गुलाबो
08-20-2023, 12:05 PM,
#1
गुलाबो
मेरा सिर तकिए में धंसा हुआ था, दोनों हाथों तकिए को पकड़े हुए थे , 
 मेरे मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकल रही थी 
मैं जानता थी जब गांड़ में लंड घुसा हुआ है तो वो बिना झड़े तो निकलेगा नहीं
मेरी गांड़ अब दर्द करने लगी थी हालांकि कि हर धक्के में मुझे स्वर्ग सा मजा भी आ रहा था । 
मैंने चाचा को भड़काने के लिए सिसकती आवाज में कहा।
चाचा अब जल्दी झड़ जा दर्द हो रहा है , मार ही डालेगा क्या।
चाचा जो शारीरिक रूप से मुझ से ढाई गुना बड़ा 125किलो का हब्शी सा दिखने वाला 30साल का जवान मर्द था । रंग पक्का काल तथा  शरीर बालों से भरा था 
 वो अपना  9 इंच के विकराल लंड को मेरी गांड़ में डाले पिछले 15 मिनट से हूं हूं करता हुआ किसी भैंसें की तरह मेरी गांड़ चोद रहा था ।
उसने मेरे छोटे छोटे कूल्हे अपने दोनों हाथों से जकड़े हुए थे और जंगलियों की तरह धक्के लगाए जा रहा था।
 आह जालिम छोड़ दें अब, बहुत दुख रही है, मैंने करहाते हुए कहा। 
हालांकि दो महीने से रोज लंड खा खा कर मेरी गांड़ भोसड़ा बन चुकी है , फिर भी 15 मिनट की जबरदस्त चुदाई से गांड़ दर्द करने लगी थी।
मेरी जान तुझे पर चढ़ने के बाद उतरने का मन ही नहीं करता , तेरी गांड़ में जादू है ।
चाचा ने एक जोरदार चांटा मेरे कुल्हे पर मारते हुए कहा।

ऊई मां मर गई, में किसी छिनाल की तरह चिल्लायी। 
मेरी जान तुझे‌ कैसे दूंगा, मेरे लंड का ख्याल कौन रखेगा, चाचा ने मेरी छाती सहलाते हुए कहा।
इतनी बुरी तरह से चोदोगे तो मर ही जाऊंगी ना ...मेने इतराते हुए कहा।
देखो गद्दा भी गांड के पानी से गंदा हो गया। 
ये प्रेम रस मेरी जान कोई गंदा पानी नहीं कहते हुए चाचा ने अपनी बांहें मेरी पतली कमर पर लपेट जोर से भींच लिया।

आह मरी , मेरी पसलियां कुचलोगे क्या, में जोर से चिल्लायी,
 मेरी हालत ऐसी थी जैसे किसी विशाल सांड के साथ एक छोटी सी बकरी। 

अब चाचा ने खड़े  होकर मुझे अपनी गोद में उठा लिया। में चाचा के बदन से जोंक की तरह चिपक गयी थी। (आगे में लड़की के रुप में ही पेश होऊंगी।)
, मे अपनी बांहें चाचा के गले में डाल और टांगे कमर पर लिपटा कर चाचा की चुदाई का आंनद ले रही थी । चाचा ने मुझे किसी खिलौने की तरह उठा रखा था , उनका काला मोटा लंड मेरी गांड़ में घुसा बिल्कुल पिस्टन की तरह चल रहा था 
 मेरी गांड़ से पिला चिकना पानी टपक रहा था । मेरे मुंह से दर्द और आनंद की मिली जुली सिसकियां निकल रही थी। 
मेरे राजा मुझे छोड़ तो नहीं दोगे, मेने चाचा की आंखों में झांकते हुए पूछा।
नहीं, मेरी गुलाबो तुझे ज़िन्दगी भर अपनी रानी बना कर रखूंगा, मेरा लंड इसी तरह तेरी खिदमत करता रहेगा । चाचा ने मेरे कूल्हे मसलते हुए कहा।
 मैं शरमाते हुए अपना मुंह चाचा की गर्दन मे छिपा उनसे जोर से चिपक गयी और सिसकियां लेने लगी मेरे मुंह से अजीब-अजीब आवाजें निकल रही थीं।
आह मेरी मां.... मुझे बचा ले , हाय दैय्या चोद दिया रे ... मेरी गांड़ फाड़ दी , आह जालिम अब तो छोड़ दें ...
मर जाऊंगी... हाय दैय्या कोई तो बचाओ ।
हूं हूं बहन..चोदी .. हूं आह चाचा अनवरत धक्के लगाए जा रहा था । तेरे को अब कोई बचाने नहीं आएगा । चाचा भी धक्के लगाते हुए बड़बड़ा रहा था।
चाचा ने अब मुझे बिस्तर पर लेटा दिया , और  मेरे ऊपर चढ़ मेरी दोनों टांगें अपने कंधों पर रख, जैसे मुर्गा- मुर्गी को चोदता है ऐसे ही दबोच कर चोदना शुरू कर दिया।
राजा इस आसन में मेरी टांगों और कमर में दर्द होता है , प्लीज़  मेरी टांगें अपने कंधों से उतार दे ,..= में दर्द से चिल्लायी। इस बार चाचा को रहम आ गया और उसने 
मेरी टांगें कंधो से उतार दी ।
अब मेरी दोनो टांगे उसकी कमर पर लिपटी हुई थी और मैं उसके कूल्हों को सहलाते हुए दर्द और आंनद के मिले-जुले अहसास के साथ सिसक रही थी।

ओह मेरे राजा दर्द तो बहुत होता है ,मगर आपका लंड सुख भी बहुत देता है मेरा  मन करता है जिंदगी भर  तेरे नीचे ऐसे ही टांगें फैलाकर पड़ी रहू , और तू मुझे पेलता रहे । आह मरी .....है भगवान।
मेरी जान ऐसा ही होगा , में तुझे अपनी रानी बना कर रखूंगा, ऐसे ही तेरी रगड़ाई करूंगा , कहते हुए चाचा हुमच हुमच कर धक्के मारने‌ लग।
आह  हाय  ...मेरे राजा काश कि मैं तेरा बच्चा पैदा कर सकती , मेरा भी पेट फूल सकता मैंने आह भरते हुए कहा ।

सब होगा मेरी जान  तू मेरी पत्नी भी बनेगी और मेरे बच्चे की मां भी बनेगी।...कहते हुए चाचा ने पूरा लंड बाहर निकाल कर एक जबर्दस्त धक्का मारा ।
ऊई ...मर गई मेंने गला फाड़कर कर चीख मारी , 
धक्का इतना तेज था कि में करीब तीन इंच ऊपर खिसका गई , मेरी आंखों में दर्द से आंसू आ गये।
लगता था चाचा के लंड ने मेरी आंतों को गम्भीर चोट पहुंचाई थी ।
मेरी चीख सुनकर चाचा भी घबरा गया था, उसने तुरंत अपने होंठों से मेरे होंठ बंद कर दिये ।
और धक्के रोक कर मेरे बालों को सहलाने लगा। 
सौरी मेरी जान माफ कर दे, बच्चे और पेट फूलने की बात सुनकर मैं जोश मे आ गया था चाचा मेरे को किस करते हुऐ माफी मांगने लगा।
अच्छा अब मेरे ऊपर से उतरो, मेंने नहीं चुदवाना , मेने रोते हुए गुस्से में कहा।

ऐसा जुल्म ना कर मेरी जान , अभी तो मैं झड़ा भी नहीं, अब धीरे-धीरे करूंगा 
चाचा मेरे मुंह को चूमता हुआ, खुशामदी स्वर में बोला।

नहीं मेने अब बिल्कुल नहीं चुदवाना। 
पता नहीं पेट में कितनी चोट लगी है, यदि झड़ना ही है तो मैं चूस कर झाड़ देती हूं। मेरा गुस्सा बरकरार था।

गुलाबो ऐसा ना कर कसम से अब बहुत प्यार से धीरे धीरे करूंगा, ले में कान पकड़ कर माफी मांगता हूं , इसके बाद दो दिन कुछ नहीं करेंगे। 
चाचा भौली सी शक्ल बना कर बोला, 
चाचा की इस अदा पर मुझे बहुत प्यार आया, मैंने अपने दोनों हाथों से उसकी पीठ सहलाते हुए कहा.. मेरे राजा तेरी इस अदा पर तो जान भी कुर्बान कर दूं।
मेरी आंखों में आसूं तथा होंठों पर मुस्कान थी।
जरा रुक मुझे करवट से लेटने दे‌। तेरे नीचे दबे दबे मेरा दम घुट रहा है।

ठीक है, कहते हुए चाचा ने अपना लंड पुक की आवाज के साथ बाहर निकाल लिया।
चाचा का 9 इंच लम्बा और 5इंच मोटा लंड चमक रहा था , उस पर उभरी नसें देख , मेरा मन उसे चूसने का करने लगा।

मगर में चुपचाप बांय करबट लेट गयी और अपने पैर पेट की तरफ मोड़ , अपनी गांड़ चाचा की तरफ खोल दी।

मेरी जान .. तेरी गांड़ कितनी प्यारी है, चाचा ने मेरी गांड़ का चुम्बन लेते हुए कहा।

मेरे राजा तुम्हारा लंड भी करोड़ों में एक है । मैंने हाथ पीछे ले जाकर लंड को सहलाते हुए कहा। 

मैंने लंड पकड़ कर पीछे अपनी गांड़ के छेद पर लगाया।
राजा अब डाल दो।
चाचा ने प्यार से अपना लंड मेरी गांड़ में डाला और‌ प्यार से धक्के लगाने लगा

मेरा दर्द अब कम हो गया था । मैं आंखें बंद किए असीम आनन्द से सिसकारियां भर रही थी। 

गुलाबो तेरे साथ मुझे स्वर्ग का आंनद आता है, चाचा ने मेरे पेट पर हाथ फेरते हुए कहा।

राजा में भी चाहती हूं, सारी ज़िंदगी तेरी बाहों में रहू।

मेरी जान में जिंदगी भर तेरा साथ निभाऊंगा ।

राजा में अपना परिवार बनाना चाहती हूं। ये कैसे होगा ? मैंने अपनी चिंता जाहिर की।

मेरी जान अपन सिंगापुर में तेरा सेक्स चेंज आपरेशन करा लेंगे, फिर हमें शादी करने में कोई परेशानी नहीं होगी।

राजा मगर सेक्स चेंज करवाने से मेरा पेट थोड़े ही फूलेगा । में तेरे बच्चे की मां कैसे बनूंगी।

हम एक बच्चा गोद ले लेंगे, तु उसकी मां होगी। 

मगर राजा में प्रसब पीड़ा महसूस करना चाहती हूं।

रानी इस संबंध में अपने डाक्टर से सलाह करेंगे कि कैसे तुझे प्रसव पीड़ा का अनुभव हो।

चाचा अनवरत रूप से धक्के मारे जा रहा था , में आंखें बंद किया निश्छल पड़ी  धक्के खा रही थी।

करीब दस मिनट बाद चाचा बोला ...जान अब सीधी हो‌जा , नीचे तकिया लगा कर पेलूंगा ...अब झड़ने वाला हूं।

क्यों नहीं मेरी जान कहते हुए , में तुरंत से पीठ के बल सीधी लेट गई और अपनी टांगें हवा में उठा गांड़ चाचा के लिए खोल दी ।

चाचा ने मेरी गांड़ के नीचे तकिया लगाया। लौड़ा छेद पर लगाया और बच से एक ही धक्के में पूरा अंदर कर दिया।

ऊई मां...जरा धीरे राजा।

चाचा ने कोई जबाब नहीं दिया और हूं हूं करते हुए चुदाई में लग गया ।

बहनचोदी तेरी गांड़ फाड़ दूंगा...हाय  तेरी गांड़ तो स्वर्ग का दरवाजा है ...आआआह ..ले  खा जा मेरा लंड छिनाल ... बहुत अच्छा लग रहा है।
 
चाचा के मुंह से अजीब-अजीब आवाजें निकल रही थी, मेंने उसे जोश दिलाने के लिये अपने दोनों हाथों से उसके कूल्हों को सहलाना - मसलना शुरू कर दिया।

ऊऊऊईई भगवान कितना मज़ा आ रहा है।...में तेरा लंड पा कर धन्य हो गई मेरे राजा। और जोर से... फाड़ दे आज मेरी  ....घुसेड दे अंदर तक अपना बीज डाल दें ....है भगवान में जिंदगी भर इसके नीचे पड़ी चुदतीं रहूं । में भी आंनद में अनाप-शनाप चिल्ला रही थी।

अचानक चाचा ने धक्कों की रफ्तार बहुत बड़ा दी ।    आआआआ ममेरा निकलने वाला है मेरी रानी ऊऊऊऊऊ
जकड ले मेरा हाए रे निकला ये गया गया है भगवान।

मैंने चाचा के कूल्हों को हाथों से अपनी गांड़ पर कस के दवा लिया था ,... चाचा का बदन कांप रहा था ।

अचानक मैंने महसूस किया कि गर्म लावा मेरी गांड़ में भरता जा रहा है। मैंने चाचा से चिपक कर अपनी आंखें बंद कर ली।

चाचा डकराया हुआ मेरे ऊपर ढेर हो गया । हम दोनो का बदन पसीने से लथपथ था और तेज तेज सांसें चल रही थी

पांच मिनट ऐसे ही पड़े रहने के बाद मैंने प्यार से उसके सिर को सहलाते हुए कहा।....अब उठ जाओ जानू... 

वो मेरी बगल मे लुढ़क गया, असली मेहनत तो उसी ने की थी।

में उठके लड़खड़ाते हुए बाथरूम की तरफ जाने लगी , मेरी गांड़ से जांघों तक प्रेम रस बह कर आ रहा था ...कुछ बूंदें फर्ष पर भी गिर रही थीं।

मैंने टायलेट सीट पर बैठ कर अपने हाथ से अपनी गांड़ को सहलाया, वो चिकने पदार्थ से सनी हुई थी...में कुछ देर प्यार से उसे सहलाती रही,  मुझे मेरी गांड़ पर बहुत प्यार आ रहा था....मन कर रहा था कि उसे चूम लूं।

मैंने हैंड शावर से अपनी गांड़ साफ करी  , गांड़ का छेद ऐसे फैल गया था , जैसे अभी अभी बच्चा जन कर आ रही हूं।

बाहर आकर मैंने अपना घाघरा - चोदी पहना (घर पर मैं औरतों के कपड़े पहनता हूं, ये आदत कब पड़ी ये अगली कहानी में बताऊंगा ) और चाचा की बगल में लेट गयी...रात का एक बज रहा था।... मैं अपना सर चाचा के सीने पर और एक टांग उसकी जांघों पर चढ़ा ,  सिंगापुर का सोचते हुए सो गई।
Reply
08-21-2023, 10:59 PM,
#2
RE: गुलाबो
साथियों मेरी पहली कहानी चाचा की रानी में आपने  मेरे और मेरे चाचा के रिश्ते के बारे में पढ़ा कि , मेरा चाचा किस तरह मेरी गांड़ का दिवाना है , उसने मेरा सेक्स चेंज करवा कर मेरे से शादी करने का वादा किया है । अब मैं आपको मेरे चाचा की रानी बनने तक के सफर के बारे मे बताता हूं ।
में गुलाब - गुलाब सिंह मुझे बचपन से ही लड़की बनने का बड़ा शौक था। परिवार में पांच बहनें तथा तीन भाई थे , में सबसे छोटा था। छोटा होने के कारण घर में सबका लाडला था , खास तौर पर बहनों का ।
में अपनी बहनों की फ्राक  व अन्य कपड़े पहन कर दिन भर उछल कूद करता रहता , परिवार वाले भी इस पर खूब हंसते, बहनें भी चुटकी लेती की मम्मी पापा को तेरे लिए भी कोई दूल्हा ढूंढना पड़ेगा।

धीरे धीरे मैं बड़ा किशोर अवस्था में प्रविष्ट होने लगा , में अब पुरषों की तरफ ज्यादा आकर्षित रहने लगा , मेरी बहनें मेरे से ज्यादा पर्दा नहीं करती थी, मेरे सामने कपड़े बदलना या मेरे साथ नहाना सामान्य बात थी ।

जून का महिना था, में बैठा टीवी देख रहा था तभी मेरी बहन आवाज लगाई। 
गुल्लू आजा नहा ले 
नहीं दीदी, आप ही नहा लो मेरा मन नहीं है । मैंने कहा।
अब आ भी जा, ज्यादा भाव मत खा , टब में पानी भर कर नहाएंगे।

चलो- मेंने कहा और उसके साथ बाथरूम में घुस गया । मेरी बहन मुझसे चार साल बड़ी, छरछरे बदन की लड़की थी।
बाथरूम में घुसते ही हमने हमारे कपड़े उतार दिए,
में अब अंडरवियर में था तथा मेरी बहन पेंटी में।
उसका गेहुंआ बदन गजब लग रहा था। टेनिस बॉल जैसी छोटे-छोटे मम्मे उस पर छोटे बेर जैसी चूचियां किसी को भी दिवाना बनाने के लिए काफी थी।
चल में तेरे साबुन लगाती हूं। कहते हुए दीदी मेरे बदन पर साबुन मलने लगी।
दीदी मारेगी तो नहीं? एक बात पूछूं मेने डरते हुए कहा।
नहीं - नहीं मारूंगी पूछ दीदी बोली।
आपकी छाती इतनी बड़ी क्यों है? और मेरे ये खाली निशान ही है।
अरे पगले में लड़की हूं , लड़कियों के मम्मे बड़े होते हैं दीदी मुझे समझाते हुए बोली।
दीदी मुझे भी लड़की होना चाहिए था, फिर मेरे भी बड़े बड़े मम्मे होते ।
अच्छा चल अब तू भी मेरे साबुन लगा दें ।
में दीदी के शरीर पर साबुन मलने लगा। अच्छा दीदी ये बताओ ये बड़े मम्मे काम क्या आते हैं? मैंने पूछा
दीदी - इससे लड़कियों अपने बच्चे को दूध पिलाती है और ,,,

और क्या दीदी? मैंने जिज्ञासा से पूछा।

और मर्दों से इनको सहलवा कर मजे लेती है। दीदी हंसते हुए बोली।


दीदी में आपके बोबे सहलाऊं ... मैंने डरते डरते पूंछा।

हां क्यों नहीं मेरे राजा भैया ... दीदी प्यार से मेरे सिर को सहलाते हुए बोली।

दीदी अब बाथटब में अधलेटी अवस्था में आ गयी थी , मेरे दोनों हाथ उसके स्तनों को सहला रहे थे। मेरे हाथ स्तनों पर लगते ही दीदी मदमस्त हो गयी और सिसकने लगी।

आह... मेरे राजा भैया...थोड़ा जोर से मसल रे ... बहुत अच्छा लग रहा है । ओह ... मम्मी री  बहुत मज़ा आ रहा है मेरे राजा ई..आईईईई।

मुझे दीदी के मुलायम स्तन मसलने में विशेष आनंद आ रहा था ।

ऐसे ठीक है दीदी, मज़ा आ रहा है ना आपको, कहते हुए मैंने दीदी की चूची मसल दी।


ई ई ई ई कमीनें खून निकालेगा क्या... प्यार से सहला , दीदी ज़ोर से सिसकी

सौरी दीदी.. कहते हुए मैंने अपने होंठ दीदी की चूची पर रख दिए और उन्हें चूसने लगा।

दीदी ने तो जैसे अपने होश हवास ही खो दिये, उन्होंने मेरा सर अपनी छाती पर दबा लिया और मेरे बालों को सहलाते हुए अनाप-शनाप चिल्लाने लगी। 

हूं हूं हूं हूं मेरे राजा भैया ऐसे ही जोर जोर से चूस , औ औ ओह अम्मा री में मरी ... मेरे भाई मेरा सारा दूध निचोड़ लें,,,
है भगवान ऊं ऊं ऊं में मरी रे।

में परे जोश से पुच पुच करते हुए दीदी की चूची चूस रहा था मुझे फुर्सत नहीं थी कि में उसकी बात सुनूं।

अचानक दीदी ने मेरा हाथ पकड़ कर अपनी पेंटी में डाल दिया ...और बोली मेरे भैय्या बहुत खुजली हो रही है,इसमें भी ऊंगली पेल दे ।

दीदी की चूत का स्पर्श पाते ही में जैसे स्वर्ग में पहुंच गया। मुलायम खाल जो कि काम रस से पूरी तरह चिकनी हो रही थी उसने मुझे दीवाना बना दिया था ।

में तेजी से दीदी की चूत में अंगुली चलाने लगा, दीदी मस्ती में मदहोश थी

ओह मेरे राजा और जोर से कर... आह ऊऊऊईई आज नहीं बचूंगी . ‌ .दो - तीन उंगली डाल दें भैय्या औ आआआआ मेरी फ़ाड़ दे मेरे भाई .. हां ऐसे ही जोर से कर .

में तेजी से दीदी की चूत पर अपने हाथ चलाते हुए उसकी चूची चूसे जा रहा था दीदी ने मेरा चेहरा अपने स्तनों पर दबाया हुआ था और मेरे बाल सहला रही थी।


अचानक दीदी ने मुझे इतनी कसी कर दबा लिया कि मेरा सांस लेना मुश्किल हो गया। आह हाय ईईईईई भैय्या मेरे निकलने वाला है मेरे भाई आहहहहह में मरी मेरा निकल रहा है आआा अम्मारी में तो मरी । 

कहते हुए दीदी ने अपनी चूत छः इंच ऊपर उठा दी और फिर एकदम से ठिली पड़ कर तेज तेज सांसें लेने लगी।

दीदी के चेहरे पर परम संतुष्टि के भाव ...मेरा भैय्या बड़ा प्यारा है... कहते हुए उसने मेरा गाल चूम लिया।
Reply
08-22-2023, 09:00 AM,
#3
RE: गुलाबो
दीदी आपकी तो संतुष्टि हो गई , मेरा क्या... मैंने कहा

ला तेरा लंड हिला दूं... दीदी ने कहा
नहीं दीदी मुझे लंड हिलाने में मज़ा नहीं आता।

तो क्या लंड चूस दूं ... दीदी बोली

नहीं दीदी मुझे तो लंड चाहिए ही नहीं था, मगर भगवान ने दे दिया। आप तो मेरे छेद की खुजली मिटा दो मैंने शरमाते हुए कहा।

अच्छा जी तो ये मेरा राजा भैया नहीं, प्यारी बहना है। दीदी ने हंसते हुए कहा।

मेरा चेहरा शर्म से लाल हो गया।

अब में तुझे गुलाब नहीं - गुलाबो बोला करूंगी , चल मेरी गुलाबो घोड़ी बन जा।

में टब मे दीदी के सामने घोड़ी बन गया ... दीदी मेरे चूतड  पर साबुन लगा उन्हें सहलाने लगी।

बड़े मुलायम हैं, मेरी लाडो के चूतड तो .. दीदी ने प्यार से मेरे चूतड मलते हुए कहा। मेरे लंड होता तो अभी तेरी गांड़ चोद देती ।

में कुछ नहीं बोला, उत्तेजना से मेरा शरीर कांप रहा था।
मेरी बहना की गांड़ देखो कितनी सुंदर है , गुलाब के फूल की तरह, -   दीदी मेरी गांड़ के छेद को सहलाते हुए बोली।
ऐ...
ऊईईई दीदी बहुत अच्छा लग रहा है.... में सिसकते हुए बोला।

चटाक - एक जोरदार थप्पड़ मेरे चूतड़ों पर पड़ा । अच्छा जी छिनाल को बहुत मज़ा आ रहा है , कहते हुए दीदी ने एक और थप्पड़ जड़ दिया।

आईईईई -मए हिचंका...क्या कर रही हो , दर्द होता है... मैंने सिसकते हुए कहा।

ओह सौरी ,  बहना मेने जोर से मार दिया, देखो चूतड कैसे लाल हो गए, अंगुली के निशान भी पड़ गए, मेरी गुलाबो के.. दीदी सहानुभूति दिखाते हुए बोली।
ला प्यार कर दूं कहते हुए दीदी ने पानी डाल कर साबुन साफ कर दिया और मेरे चूतड चाटने लगी।

उत्तेजना से मेरा बुरा हाल था , अचानक मेरे शरीर में सिरहन सी दौड़ गई। दीदी मेरी गांड़ का छेद चाट रही तथा जीभ से गांड़ खोदने की कोशिश कर रही थी। 

ऊऊऊऊऊ दीदी प्लीज़ अब डाल दो ना .... चाटो मत गुदगुदी बर्दाश्त नहीं होती .... दीदी प्लीज़ ...आआा ईईईईई 
दीदी रूक जाओ ना।

आईईईई अचानक में उछल सा पड़ा , दीदी ने अचानक ही साबुन लगी ऊंगली गांड़ में पूरी पेल दी थी।

दीदी - मेरी जान पूरे मज़े ले तू कहते हुए दीदी तेजी से ऊंगली चलाने‌लगी 

चूंकि ये मेरा पहला अनुभव था , मैं आंखें बंद किए सिसकियां भरता हुआ आंनद ले रहा था।

अचानक दीदी ने दूसरी ऊंगली भी गांड में डाल दी थी, जिससे एक छण के लिए तो परेशानी हुई, फिर आंनद आने लगा।

बोल ,मेरी गुलाबो तीसरी ऊंगली भी अंदर करूं... दीदी ने हंसते हुए पूछा। उसे ऊंगली करते हुए करीब सात मिनट हो चुके थे।

नहीं, अआआआ, दीदी अब निकाल लो। मैंने सिसकते हुए बोला।
ठीक है.. कह कर दीदी ने अचानक स्पीड बहुत बढ़ा दी ।

ऊईईई हाय राम ... दीदी नहीं प्लीईईईज़ रुक जाओ आईईईई रे .. सब गंदा हो जाएगा। मेरी आंखें चढ़ने लगी थी।

दीदी ने करीब सौ बार ऊंगली का पिस्टन और चलाया, फिर रूक गयी।

हां तो मेरी गुलाबो बताया मजा आया.. दीदी ने पूछा।

मेरी सांसें तेज  तेज चल रही थीं । हां दीदी... में मुश्किल से बोला।

हम लोग करीब पांच मिनट तक ऐसे ही बैठे रहे तत्पश्चात, बाथरूम से बाहर आ गए।

बहुत समय लगा दिया, तुम भाई - बहन ने बाथरूम में ऐसा क्या कर रहे थे ..  मां ने पूछा 

मेरी मां 45 साल की गदराये बदन की एक कामुक महिला थी । जिसके बारे में अगली कहानी में बताऊंगा।

कुछ नहीं अम्मा - नहा रहे थे ... दीदी ने जबाव दिया।


इसके बाद तो मेरा ये शौक बढ़ता गया, मेरी निगाहें हमेशा किसी भी आदमी की जांघों के बीच ही रहती, मन ही मन में अंदाजा लगाता कि इसका लंड कितना बड़ा होगा, और ये मेरी गांड़ कैसे चोदेगा।

कुछ भी चीज मिलती जैसे पैन, बैंगन, गाजर या नानुचक आदि तो मैं उससे अपनी गांड़ की मुठ मारी लेता था।

मेरी क्लास में मेरे तीन दोस्त थे जगदीश, बिष्णु और भानू , इन तीनों के लन्ड से खेलने में मुझे बहुत मजा आता था।








इनमें जगदीश का लंड सबसे तगड़ा था, एकदम  काला, मोटा व लम्बा  , उसके सुपाड़े पर बड़ा सा काला तिल था 
जो मुझे बहुत प्यारा लगता था।

हम लोग क्लास की अंतिम पंक्ति में बैठते थे, जगदीश और बिष्णु मुझे अपने बीच मे बैठा लेते, में उनकी जिप खोल  उनके लंड बाहर निकाल लेता और बहुत प्यार से सहलाते हुए लेक्चर सुनता ।

जगदीश का लंड तो मुझे इतना पसंद था कि मैंने दो बार उसने सुपाड़े के तिल को चूमा भी था।
मगर तब तक मैंने किसी से गांड़ चुदवाई नहीं थी
Reply
08-22-2023, 12:21 PM, (This post was last modified: 08-22-2023, 12:36 PM by Peacelover.)
#4
RE: गुलाबो
पढ़ कर लौटा तो पता लगा शाम को चाचा आ रहें हैं। मेरा मन खुशी से झूम उठा । 
मेरे चाचा 30 साल के विशालकाय व्यक्ति थे जिनका रंग एकदम काला था तथा शरीर घने बालों से भरा हुआ था।अभी तक उनकी शादी नहीं हुई थी वह एक  खुश मिजाज आदमी थे, जो हमारे गांव से करीब 145 किलोमीटर दूर शहर में सरकारी  टीचर थे।

शाम  को जैसे ही गेट की काल बेल बजी मैं दौड़ता हुआ गेट खोलने पहुंचा , गेट खुलते ही में चाचा से कस कर लिपट गया.....मेरे प्यारे चाचू , आप पूरे एक महीने बाद आए हैं मैंने कहा। 

हां मेरे बच्चे, क्या करूं छुट्टी ही नहीं मिलती। चाचा ने मुझे कस कर दबाते हुए कहा, उनका एक हाथ मेरे कूल्हे सहला रहा था।

चाचा के शरीर का स्पर्श और उसकी मादक गंध मुझे मदहोश कर रही थी।

अब मैं आपको जल्दी से नहीं जाने दूंगा, हम लोग खूब मस्ती करेंगे । मेंने उनकी गर्दन पर झूलते हुए कहा।

चाचा - हां बच्चे मेरी पूरे हफ्ते की छुट्टी है।

अरे अपने चाचा को अंदर भी आने देगा या सारी बातें गेट पर ही कर लेगा । अंदर से अम्मा की तेज आवाज सुनाई दी।


नमस्कार भाभी ... चाचा ने आंगन में प्रवेश करते हुए कहा।

नमस्कार जी ... कैसे हो लल्ला .. मां ने मुस्कराते हुए पूछा। मां पट्टे पर बैठी सब्जी काट रही थी । उसने अपनी धोती घुटने तक उठा रखी थी। जिससे उसकी मांसल टांगें तथा जांघे दिख रही थी।

ठीक ही हूं भाभी बस आपका आशीर्वाद चाहिए। चाचा ने मुस्कराते हुए कहा। 

वो तो हमेशा तुम्हारे साथ है लल्ला। मां ने मुस्कराते हुए कहा इसके  साथ ही मां ने अपने पैरों को इस तरह से हिलाया कि एक छण के लिए मां का झांटों भरा फूला हुआ भोसड़ा बिल्कुल खुले कर सामने आ गया। 

मां ने इस बात का कोई नोटिस नहीं लिया। 

तुम्हारे लिए चाय बनाऊ लल्ला... मां ने चाचा की र देखते हुए कहा। 

नहीं भाभी ... बस अब आराम करूंगा..यह कहते हुए चाचा ने अपना लंड पैंट के ऊपर से ही खुजलाया, ये देख मां के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो गयी।

में भी चाचा के साथ सोऊंगा कहते हुए मैं चाचा के पीछे पीछे उनके कमरे में आ गया।

चाचा ने अपने कपड़े बदले और लूंगी और बनियान में आ गये । में उनके बालों भरे पुष्ट शरीर को देखता रहा।

आजा अब सोते हैं , कर शाम को तुझे विज्ञान की प्रदर्शनी दिखाने ले चलूंगा। चाचा बिस्तर पर लेटते हुए बोले।

चाचा सीधे लेटे थे, उन्होंने अपने हाथ सिर पर बांधे हुए थे , मैं लाइट बंद कर उनके बगल में लेटरव गया और अपना मुंह उनकी बगल में घुसा दिया। उनके बगल की गंध मुझे मदहोश किए दे रही थी।


गुल्लू सो गया क्या ? चाचा ने मेरी तरफ करवट करते हुए पूछा।

नहीं चाचू नींद नहीं आ रही। में भी चाचा की तरफ़ करवट करते हुए बोला । 

अब हम दोनों आमने-सामने थे, हमारी सांसें आपस मे टकरा रही थी।
में चाचा के बिल्कुल चिपक गया, मेरे हाथ चाचा का बालों भरा सीना और पेट सहला रहे थे।

चाचा आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो, में चाचा से लिपटते हुए बोला। 

तू भी मुझे बहुत अच्छा लगता है, मेरे प्यारे गुल्लू ... चाचा ने मुझे बांहों में कस लिया । 
उनका हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुए, बारमूदे में घुस चुका था , अब वो मेरे कूल्हे सहला रहे थे।

आंनद के कारण मेरे मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकल रही थी। आहहहहह चाचा मुझे पिक्चर दिखाने ले चलोगे ना ... मेंने सिसकते हुए पूंछा।
हां क्यों नहीं, कल हम प्रदर्शनी देखने चलेंगे फिर परसों फिल्म देखने।

चाचा की उंगलियां अब मेरी गांड़ के छेद को‌ सहला रहे थे । मेरा उत्तेजना के कारण बुरा हाल था।
अहहह मेरे प्यारे ईईईईई चाचा ओफफंफ बहुत अच्छा लग रहा है , ऐसे ही अरे अम्म्म्मा री करते रहो। 
अब मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर चाचा के लंड को कस कर पकड़ लिया था । जो की क़रीब सात इंच लम्बा तथा चार इंच मोटा था, चारों तरफ घने झांटों से घिरा।

 क्या करता है छोड़ उसे .... चाचा ने तुरंत अपना हाथ मेरी गांड से हटाते हुए मुझे डांटा।

चाचा प्लीज़ इसे मेरे पिछवाड़े घुसेड़ दो , मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा... मेंने मिन्नत करते हुए कहा।

ओए तू पागल है क्या? मरवाएगा भैय्या - भाभी को पता चल गया तो दोनों को घर से निकाल देंगे।

उन्हें कैसे पता चलेगा.... मेंफुसफुसाया ।

जब ये मूसल तेरे छल्ले को फैलाते हुए अन्दर घुसेगाना तब तू जोर जोर  से चिल्लाएगा , और सब को पता चल जाएगा।

ऐसा नहीं होगा , मेने जोर देकर कहा.....क्यों कि मैंने बहुत बार , पैन, मोमबत्ती तथा बैंगन आदि मरी गांड़ में डाले हैं और तो और दीदी भी दो उंगलियों से मेरी गांड़ का मुठ मारी देती है 


उस सब से कुछ नहीं होता...तू चुपचाप उधर मुंह कर के सो जा।
मेंने करवट बदल ली अब मेरी पीठ चाचा की तरफ थी .. मेरी गांड़ चाचा के लंड से लग रही थी। मेंने अपनी गांड़ पीछे सरका कर चाचा के लंड पर दबा दी , चाचा का मूसल मेरी गांड़ में गड़ रहा था। मेंने उअपना हाथ पीछे कर चाचा का सख्त लंड पकड़ लिया और दोबारा मिन्नत करी।

चाचा प्लीज़ अंदर डाल दो ना , में अपना बारमूदे नीचे करने लगा।घ
वेवकूफ तेरे को समझ में नघहीं आता , चुपचाप सो जा जब भी सही मौका मिलेगा में च आप तुझे चोद दूंगा.... चाचा ने गुस्से से कहा।

पता नही वह मौका या दिन कब आएगा...में भी गुस्से में बड़बड़ाते हुए सो गया।

अगले दिन शाम में और चाचा प्रदर्शनी देखने गये, ये विज्ञान की प्रदर्शनी थी , चूंकि चाचा विज्ञान के अध्यापक थे वो हर‌ एक चीज को विस्तार से समझा रहे थे।
अब हम प्रदर्शनी के जिस भाग में थे वो मानव शरीर रचना एवं प्रजनन के बारे में थी , मेंने महसूस किया कि चाचा इस विषय को समझाते हुए काफी गर्म हो गए हैं, उन्होंने मेरा हाथ इतनी जोर से पकड़ा हुआ था कि मेरे हाथ दर्द करने लगा था।

चल गुल्लू बाहर चलते हैं...चाचा ने फुसफुसाते हुए कहा।

क्यों क्या हुआ इतना तो अच्छा लग रहा है....में चाचा की आंखों में झांकता हुआ बोला, चाचा की आंखें लाल हो रही थी , उनमें अजीब सा खुमार था।

अभी तो तू बाहर चल ... कहते हुए चाचा ज़बरदस्ती मुझे बाहर ले आया। 
बाहर अंधेरा था, प्रदर्शनी भवन के चारों ओर बाग फ़ैला हुआ था जहां बड़े बड़े पेड़, झाड़ियां थी ।

चाचा मुझे एक बड़ी झाड़ी के पीछे ले आया और अपनी पैंट उतारते हुए बोला....हाययय रे.. गुल्लू कुछ कर मेरा लंड फट जाएगा  रे जल्दी कुछ कर .. में मर जाऊंगा.. गुल्लू मुझे बचा ले

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं...अनजाने ही मेने चाचा का पत्थर जैसा सख़्त मोटा लंड , जिसकी उभरी हुई नसें साफ महसूस हो रही थी, अपने हाथ में ले लिया और  मुठ मारने लगा।

चाचा-औहहह अब जाकर चैन पड़ा चैन पड़ा आआआह.. तू बहुत प्यारा है मेरी जान .. है भगवान.. नहीं तो आज मेरे लंड ने फट ही जाना था... तूने मुझे बचा लिया रे मेरे गुल्लू औऔऔह ... तेरा अहसान कैसे चुकाऊंगा।

ऐसे क्यूं बोलते हो चाचा ..  दुनिया में मुझे सबसे प्यारी चीज लगती है तो वह तुम्हारा लंड ही है .. में प्यार से चाचा का लंड मसलते हुए बोला ... इसको फटने कैसे दूंगा... इसको तो में अपने अंदर छुपा कर रख लूंगा। कहते हुए मैं नीचे बैठ गया और चाचा के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा।

जहां तक अहसान चुकाने की बात है, मुझ से वादा करो कि जिंदगी भर मुझ से ऐसे ही प्यार करते रहोगे , कभी भी मुझे छोड़ोगे नहीं । मेंने भावुक होते हुए कहा।

चाचा ने लंड मेरे मुंह से निकला और मुझे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खड़ा करते हुए बोला ... में वादा करता हूं कि तुझे कभी धोखा नहीं दूंगा... तुझे अपनी रानी बना कर रखूंगा...आज से तुझे गुल्लू नहीं गुलाबो बुलाऊंगा ...और तू भी खुद को लड़की की तरह ही सम्बोधित करेंगी । ठीक है... चाचा ने मेरी ठोड़ी को पकड़ कर मेरा मुंह उठाते हुए पूछा। 

ठीक है जी ... मेंने शरमाते हुए जबाब दिया।

चाचा ने मेरी पेंट व शर्ट उतार दी , और मेरी पीठ पर हाथ ले जाकर कस कर अपने बदन से चिपका लिया ... चाचा का विशाल लंड मेरे पेट पर गडा हुआ था... तभी  चाचा ने‌ थोड़ा जोर लगाया जैसे पेशाब निकलना चाहता हो... मेंने अपने पेट पर गर्म गर्म चिकना पदार्थ फैलता महसूस किया।

गुलाबो मेरी रानी तू कितनी प्यारी है रे ... चाचा ने अपने लंड को मेरे पेट पर दबा घिसना शुरू कर दिया था या यूं कहें कि मेरे पेट को चोदना शुरू कर  गुलाबो में तेरा गुलाम बन कर रहूंगा री हआआआ...बस तू मेरे लंड का इसी तरह ख्याल रखना...हाययय मेरी जान तुझे किसी बात की कमी नहीं होने दूंगा। उच्च
चाचा बेतहाशा धक्के लगाए जा रहा था। चाचा ने मेरे पेट को अपने लंड पर कस कर दबाया हुआ था और बुरी तरह घिसे जाता रहा था । मेरे दोनों हाथ चाचा के कूल्हे सहला रहे थे

मेरे राजा...आहह..थोड़ा ढीला छोड़ दें ...उफ़ .. मेरे पेट में दर्द हो रहा है.. मेंने फंसी हुई आवाज में कहा।

आहहह मेरी जान थोड़ी देर दर्द सहन कर लें , तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती. बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तूने मुझे स्वर्ग का सुख दिया है मेरी जान ... उफ्फ

चाचा की बात सुनकर कर में भावुक हो गईं... हाययय रे मेरे राजा तेरे लिए तो जान भी हाज़िर है...उईईई कुचल दे इस बदन को ये तेरा ही है.... कहते हुए में चाचा से कस के चिपक गई। 
मैंने चाचा के कूल्हे को बुरी तरह मसल रही थी ...आहहह मार और तेज और ... ऊईईई और जोर से पीस दे मुझे, घुसेड़ दे पेट पर से ही लंड मेरे अंदर ... में अनाप-शनाप चिल्ला रही थी।

चाचा ने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी थी ...हाययय रे मेरी गुड़िया मेरा निकलने वाला है ...उुउउउउउ... मेरी रानी  में झड़ने वाला हूं... इतना सुख मुझे आज तक नहीं मिला...आआआआ मेरी जान , में गया रे आहहहहह... चाचा बहुत जोर से डकराया, और फिर एकदम से ढीला पड़ गया। 

मुझे ऐसा सा लगा जैसे किसी ने कटोरी भर गर्म चिपचिपा पदार्थ मेरे पेट पर डाल दिया।

चाचा निढाल होकर मेरे कंधे पर सिर रखे लम्बी लम्बी सांसें ले रहा था। मेरा एक हाथ चाचा का सिर सहला रहा था दूसरे हाथ से में चाचा के वीर्य को अपने पेट पर मल रही थी  उसकी मादक गंध मुझे मस्त किए दे रही थी, मेंने वीर्य को अंगुली में ले चांटा उसका कसैला स्वाद मुझे बहुत ही अच्छा लगा । तब मैंने उसे और चाटना शुरू कर दिया।

ऐ यह क्या कर रही है... गंदा है वह... चाचा ने मुझे झिड़कते हुए कहा।

क्या गंदा है, मेरे लिए तो अमृत समान है.... में मुस्कराते हुए बोली..और चाटना जारी रखा।

ले में रूमाल देता हूं, पेट साफ कर लें... चाचा मुझे रुमाल देते हुए कहा।

वो तो मैं कर लूंगी पर पहले अपने लल्लू राम को साफ कर दूं ... मेंने हंस कर कहा और बैठ कर चाचा का लंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी।
फिर वहां से हम घर के लिए चल पड़े।

घर पहुंचते पहुंचते रात के साढ़े नौ‌ बज चुके थे, मै खुश थी क्योंकि मेरा मर्द मेरे से संतुष्ट व खुश था , खाना खा कर हम लोग ‌अपने बैंड रूम में आ गए।

करीब साढ़े ग्यारह का समय था, मैंने चाचा से पूछा...सुनो जी सो गए क्या, नाइट बल्ब की रोशनी में पता नहीं चल रहा 

नहीं गुड़िया जगा हुआ हूं..बोल क्या कह रही है।

ऐ जी एक बात तो बताओ,मुझे कितना इंतजार करना पड़ेगा, वो दिन कब आएगा, जब ये मेरी  प्यारी में जायेगा। मेंने चाचा के लंड को सहलाते हुए पूछा। 

मेरी गुलाबो म तो खुद ये सोच रहा हूं कि कब मेरा ये मुस्टंडा तेरी दुलारी की धज्जियां उड़ाएगा, और कब में तेरी चींखें सुनूंगा... चाचा मुस्कराते हुए बोला।

मरी चीखें सुन कर आपको अच्छा लगेगा.. मेंने चाचा की आंखों में झांकते हुए कहा।

और क्या, तेरी प्यारी का उदघाटन जोर शोर से होना चाहिए... चाचा शरारत से मुस्कराते हुए बोला।


Reply
08-22-2023, 04:20 PM,
#5
RE: गुलाबो
पढ़ कर लौटा तो पता लगा शाम को चाचा आ रहें हैं। मेरा मन खुशी से झूम उठा । 
मेरे चाचा 30 साल के विशालकाय व्यक्ति थे जिनका रंग एकदम काला था तथा शरीर घने बालों से भरा हुआ था।अभी तक उनकी शादी नहीं हुई थी वह एक  खुश मिजाज आदमी थे, जो हमारे गांव से करीब 145 किलोमीटर दूर शहर में सरकारी  टीचर थे।

शाम  को जैसे ही गेट की काल बेल बजी मैं दौड़ता हुआ गेट खोलने पहुंचा , गेट खुलते ही में चाचा से कस कर लिपट गया.....मेरे प्यारे चाचू , आप पूरे एक महीने बाद आए हैं मैंने कहा। 

हां मेरे बच्चे, क्या करूं छुट्टी ही नहीं मिलती। चाचा ने मुझे कस कर दबाते हुए कहा, उनका एक हाथ मेरे कूल्हे सहला रहा था।

चाचा के शरीर का स्पर्श और उसकी मादक गंध मुझे मदहोश कर रही थी।

अब मैं आपको जल्दी से नहीं जाने दूंगा, हम लोग खूब मस्ती करेंगे । मेंने उनकी गर्दन पर झूलते हुए कहा।

चाचा - हां बच्चे मेरी पूरे हफ्ते की छुट्टी है।

अरे अपने चाचा को अंदर भी आने देगा या सारी बातें गेट पर ही कर लेगा । अंदर से अम्मा की तेज आवाज सुनाई दी।


नमस्कार भाभी ... चाचा ने आंगन में प्रवेश करते हुए कहा।

नमस्कार जी ... कैसे हो लल्ला .. मां ने मुस्कराते हुए पूछा। मां पट्टे पर बैठी सब्जी काट रही थी । उसने अपनी धोती घुटने तक उठा रखी थी। जिससे उसकी मांसल टांगें तथा जांघे दिख रही थी।

ठीक ही हूं भाभी बस आपका आशीर्वाद चाहिए। चाचा ने मुस्कराते हुए कहा। 

वो तो हमेशा तुम्हारे साथ है लल्ला। मां ने मुस्कराते हुए कहा इसके  साथ ही मां ने अपने पैरों को इस तरह से हिलाया कि एक छण के लिए मां का झांटों भरा फूला हुआ भोसड़ा बिल्कुल खुले कर सामने आ गया। 

मां ने इस बात का कोई नोटिस नहीं लिया। 

तुम्हारे लिए चाय बनाऊ लल्ला... मां ने चाचा की र देखते हुए कहा। 

नहीं भाभी ... बस अब आराम करूंगा..यह कहते हुए चाचा ने अपना लंड पैंट के ऊपर से ही खुजलाया, ये देख मां के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो गयी।

में भी चाचा के साथ सोऊंगा कहते हुए मैं चाचा के पीछे पीछे उनके कमरे में आ गया।

चाचा ने अपने कपड़े बदले और लूंगी और बनियान में आ गये । में उनके बालों भरे पुष्ट शरीर को देखता रहा।

आजा अब सोते हैं , कर शाम को तुझे विज्ञान की प्रदर्शनी दिखाने ले चलूंगा। चाचा बिस्तर पर लेटते हुए बोले।

चाचा सीधे लेटे थे, उन्होंने अपने हाथ सिर पर बांधे हुए थे , मैं लाइट बंद कर उनके बगल में लेटरव गया और अपना मुंह उनकी बगल में घुसा दिया। उनके बगल की गंध मुझे मदहोश किए दे रही थी।


गुल्लू सो गया क्या ? चाचा ने मेरी तरफ करवट करते हुए पूछा।

नहीं चाचू नींद नहीं आ रही। में भी चाचा की तरफ़ करवट करते हुए बोला । 

अब हम दोनों आमने-सामने थे, हमारी सांसें आपस मे टकरा रही थी।
में चाचा के बिल्कुल चिपक गया, मेरे हाथ चाचा का बालों भरा सीना और पेट सहला रहे थे।

चाचा आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो, में चाचा से लिपटते हुए बोला। 

तू भी मुझे बहुत अच्छा लगता है, मेरे प्यारे गुल्लू ... चाचा ने मुझे बांहों में कस लिया । 
उनका हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुए, बारमूदे में घुस चुका था , अब वो मेरे कूल्हे सहला रहे थे।

आंनद के कारण मेरे मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकल रही थी। आहहहहह चाचा मुझे पिक्चर दिखाने ले चलोगे ना ... मेंने सिसकते हुए पूंछा।
हां क्यों नहीं, कल हम प्रदर्शनी देखने चलेंगे फिर परसों फिल्म देखने।

चाचा की उंगलियां अब मेरी गांड़ के छेद को‌ सहला रहे थे । मेरा उत्तेजना के कारण बुरा हाल था।
अहहह मेरे प्यारे ईईईईई चाचा ओफफंफ बहुत अच्छा लग रहा है , ऐसे ही अरे अम्म्म्मा री करते रहो। 
अब मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर चाचा के लंड को कस कर पकड़ लिया था । जो की क़रीब सात इंच लम्बा तथा चार इंच मोटा था, चारों तरफ घने झांटों से घिरा।

 क्या करता है छोड़ उसे .... चाचा ने तुरंत अपना हाथ मेरी गांड से हटाते हुए मुझे डांटा।

चाचा प्लीज़ इसे मेरे पिछवाड़े घुसेड़ दो , मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा... मेंने मिन्नत करते हुए कहा।

ओए तू पागल है क्या? मरवाएगा भैय्या - भाभी को पता चल गया तो दोनों को घर से निकाल देंगे।

उन्हें कैसे पता चलेगा.... मेंफुसफुसाया ।

जब ये मूसल तेरे छल्ले को फैलाते हुए अन्दर घुसेगाना तब तू जोर जोर  से चिल्लाएगा , और सब को पता चल जाएगा।

ऐसा नहीं होगा , मेने जोर देकर कहा.....क्यों कि मैंने बहुत बार , पैन, मोमबत्ती तथा बैंगन आदि मरी गांड़ में डाले हैं और तो और दीदी भी दो उंगलियों से मेरी गांड़ का मुठ मारी देती है 


उस सब से कुछ नहीं होता...तू चुपचाप उधर मुंह कर के सो जा।
मेंने करवट बदल ली अब मेरी पीठ चाचा की तरफ थी .. मेरी गांड़ चाचा के लंड से लग रही थी। मेंने अपनी गांड़ पीछे सरका कर चाचा के लंड पर दबा दी , चाचा का मूसल मेरी गांड़ में गड़ रहा था। मेंने उअपना हाथ पीछे कर चाचा का सख्त लंड पकड़ लिया और दोबारा मिन्नत करी।

चाचा प्लीज़ अंदर डाल दो ना , में अपना बारमूदे नीचे करने लगा।घ
वेवकूफ तेरे को समझ में नघहीं आता , चुपचाप सो जा जब भी सही मौका मिलेगा में च आप तुझे चोद दूंगा.... चाचा ने गुस्से से कहा।

पता नही वह मौका या दिन कब आएगा...में भी गुस्से में बड़बड़ाते हुए सो गया।

अगले दिन शाम में और चाचा प्रदर्शनी देखने गये, ये विज्ञान की प्रदर्शनी थी , चूंकि चाचा विज्ञान के अध्यापक थे वो हर‌ एक चीज को विस्तार से समझा रहे थे।
अब हम प्रदर्शनी के जिस भाग में थे वो मानव शरीर रचना एवं प्रजनन के बारे में थी , मेंने महसूस किया कि चाचा इस विषय को समझाते हुए काफी गर्म हो गए हैं, उन्होंने मेरा हाथ इतनी जोर से पकड़ा हुआ था कि मेरे हाथ दर्द करने लगा था।

चल गुल्लू बाहर चलते हैं...चाचा ने फुसफुसाते हुए कहा।

क्यों क्या हुआ इतना तो अच्छा लग रहा है....में चाचा की आंखों में झांकता हुआ बोला, चाचा की आंखें लाल हो रही थी , उनमें अजीब सा खुमार था।

अभी तो तू बाहर चल ... कहते हुए चाचा ज़बरदस्ती मुझे बाहर ले आया। 
बाहर अंधेरा था, प्रदर्शनी भवन के चारों ओर बाग फ़ैला हुआ था जहां बड़े बड़े पेड़, झाड़ियां थी ।

चाचा मुझे एक बड़ी झाड़ी के पीछे ले आया और अपनी पैंट उतारते हुए बोला....हाययय रे.. गुल्लू कुछ कर मेरा लंड फट जाएगा  रे जल्दी कुछ कर .. में मर जाऊंगा.. गुल्लू मुझे बचा ले

मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं...अनजाने ही मेने चाचा का पत्थर जैसा सख़्त मोटा लंड , जिसकी उभरी हुई नसें साफ महसूस हो रही थी, अपने हाथ में ले लिया और  मुठ मारने लगा।

चाचा-औहहह अब जाकर चैन पड़ा चैन पड़ा आआआह.. तू बहुत प्यारा है मेरी जान .. है भगवान.. नहीं तो आज मेरे लंड ने फट ही जाना था... तूने मुझे बचा लिया रे मेरे गुल्लू औऔऔह ... तेरा अहसान कैसे चुकाऊंगा।

ऐसे क्यूं बोलते हो चाचा ..  दुनिया में मुझे सबसे प्यारी चीज लगती है तो वह तुम्हारा लंड ही है .. में प्यार से चाचा का लंड मसलते हुए बोला ... इसको फटने कैसे दूंगा... इसको तो में अपने अंदर छुपा कर रख लूंगा। कहते हुए मैं नीचे बैठ गया और चाचा के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा।

जहां तक अहसान चुकाने की बात है, मुझ से वादा करो कि जिंदगी भर मुझ से ऐसे ही प्यार करते रहोगे , कभी भी मुझे छोड़ोगे नहीं । मेंने भावुक होते हुए कहा।

चाचा ने लंड मेरे मुंह से निकला और मुझे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खड़ा करते हुए बोला ... में वादा करता हूं कि तुझे कभी धोखा नहीं दूंगा... तुझे अपनी रानी बना कर रखूंगा...आज से तुझे गुल्लू नहीं गुलाबो बुलाऊंगा ...और तू भी खुद को लड़की की तरह ही सम्बोधित करेंगी । ठीक है... चाचा ने मेरी ठोड़ी को पकड़ कर मेरा मुंह उठाते हुए पूछा। 

ठीक है जी ... मेंने शरमाते हुए जबाब दिया।

चाचा ने मेरी पेंट व शर्ट उतार दी , और मेरी पीठ पर हाथ ले जाकर कस कर अपने बदन से चिपका लिया ... चाचा का विशाल लंड मेरे पेट पर गडा हुआ था... तभी  चाचा ने‌ थोड़ा जोर लगाया जैसे पेशाब निकलना चाहता हो... मेंने अपने पेट पर गर्म गर्म चिकना पदार्थ फैलता महसूस किया।

गुलाबो मेरी रानी तू कितनी प्यारी है रे ... चाचा ने अपने लंड को मेरे पेट पर दबा घिसना शुरू कर दिया था या यूं कहें कि मेरे पेट को चोदना शुरू कर  गुलाबो में तेरा गुलाम बन कर रहूंगा री हआआआ...बस तू मेरे लंड का इसी तरह ख्याल रखना...हाययय मेरी जान तुझे किसी बात की कमी नहीं होने दूंगा। उच्च
चाचा बेतहाशा धक्के लगाए जा रहा था। चाचा ने मेरे पेट को अपने लंड पर कस कर दबाया हुआ था और बुरी तरह घिसे जाता रहा था । मेरे दोनों हाथ चाचा के कूल्हे सहला रहे थे

मेरे राजा...आहह..थोड़ा ढीला छोड़ दें ...उफ़ .. मेरे पेट में दर्द हो रहा है.. मेंने फंसी हुई आवाज में कहा।

आहहह मेरी जान थोड़ी देर दर्द सहन कर लें , तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती. बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तूने मुझे स्वर्ग का सुख दिया है मेरी जान ... उफ्फ

चाचा की बात सुनकर कर में भावुक हो गईं... हाययय रे मेरे राजा तेरे लिए तो जान भी हाज़िर है...उईईई कुचल दे इस बदन को ये तेरा ही है.... कहते हुए में चाचा से कस के चिपक गई। 
मैंने चाचा के कूल्हे को बुरी तरह मसल रही थी ...आहहह मार और तेज और ... ऊईईई और जोर से पीस दे मुझे, घुसेड़ दे पेट पर से ही लंड मेरे अंदर ... में अनाप-शनाप चिल्ला रही थी।

चाचा ने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी थी ...हाययय रे मेरी गुड़िया मेरा निकलने वाला है ...उुउउउउउ... मेरी रानी  में झड़ने वाला हूं... इतना सुख मुझे आज तक नहीं मिला...आआआआ मेरी जान , में गया रे आहहहहह... चाचा बहुत जोर से डकराया, और फिर एकदम से ढीला पड़ गया। 

मुझे ऐसा सा लगा जैसे किसी ने कटोरी भर गर्म चिपचिपा पदार्थ मेरे पेट पर डाल दिया।

चाचा निढाल होकर मेरे कंधे पर सिर रखे लम्बी लम्बी सांसें ले रहा था। मेरा एक हाथ चाचा का सिर सहला रहा था दूसरे हाथ से में चाचा के वीर्य को अपने पेट पर मल रही थी  उसकी मादक गंध मुझे मस्त किए दे रही थी, मेंने वीर्य को अंगुली में ले चांटा उसका कसैला स्वाद मुझे बहुत ही अच्छा लगा । तब मैंने उसे और चाटना शुरू कर दिया।

ऐ यह क्या कर रही है... गंदा है वह... चाचा ने मुझे झिड़कते हुए कहा।

क्या गंदा है, मेरे लिए तो अमृत समान है.... में मुस्कराते हुए बोली..और चाटना जारी रखा।

ले में रूमाल देता हूं, पेट साफ कर लें... चाचा मुझे रुमाल देते हुए कहा।

वो तो मैं कर लूंगी पर पहले अपने लल्लू राम को साफ कर दूं ... मेंने हंस कर कहा और बैठ कर चाचा का लंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी।
फिर वहां से हम घर के लिए चल पड़े।
Reply
08-22-2023, 05:41 PM,
#6
RE: गुलाबो
पढकर लौटा तो पता लगा शाम को चाचा आ रहें हैं। मेरा मन खुशी से झूम उठा । 

मेरे चाचा 30 साल के विशालकाय व्यक्ति थे जिनका रंग एकदम काला था तथा शरीर घने बालों से भरा हुआ था।अभी तक उनकी शादी नहीं हुई थी वह एक  खुश मिजाज आदमी थे, जो हमारे गांव से करीब 145 किलोमीटर दूर शहर में सरकारी  टीचर थे।


शाम  को जैसे ही गेट की काल बेल बजी मैं दौड़ता हुआ गेट खोलने पहुंचा , गेट खुलते ही में चाचा से कस कर लिपट गया.....मेरे प्यारे चाचू , आप पूरे एक महीने बाद आए हैं मैंने कहा। 


हां मेरे बच्चे, क्या करूं छुट्टी ही नहीं मिलती। चाचा ने मुझे कस कर दबाते हुए कहा, उनका एक हाथ मेरे कूल्हे सहला रहा था।


चाचा के शरीर का स्पर्श और उसकी मादक गंध मुझे मदहोश कर रही थी।


अब मैं आपको जल्दी से नहीं जाने दूंगा, हम लोग खूब मस्ती करेंगे । मेंने उनकी गर्दन पर झूलते हुए कहा।


चाचा - हां बच्चे मेरी पूरे हफ्ते की छुट्टी है।


अरे अपने चाचा को अंदर भी आने देगा या सारी बातें गेट पर ही कर लेगा । अंदर से अम्मा की तेज आवाज सुनाई दी।



नमस्कार भाभी ... चाचा ने आंगन में प्रवेश करते हुए कहा।


नमस्कार जी ... कैसे हो लल्ला .. मां ने मुस्कराते हुए पूछा। मां पट्टे पर बैठी सब्जी काट रही थी । उसने अपनी धोती घुटने तक उठा रखी थी। जिससे उसकी मांसल टांगें तथा जांघे दिख रही थी।


ठीक ही हूं भाभी बस आपका आशीर्वाद चाहिए। चाचा ने मुस्कराते हुए कहा। 


वो तो हमेशा तुम्हारे साथ है लल्ला। मां ने मुस्कराते हुए कहा इसके  साथ ही मां ने अपने पैरों को इस तरह से हिलाया कि एक छण के लिए मां का झांटों भरा फूला हुआ भोसड़ा बिल्कुल खुले कर सामने आ गया। 


मां ने इस बात का कोई नोटिस नहीं लिया। 


तुम्हारे लिए चाय बनाऊ लल्ला... मां ने चाचा की र देखते हुए कहा। 


नहीं भाभी ... बस अब आराम करूंगा..यह कहते हुए चाचा ने अपना लंड पैंट के ऊपर से ही खुजलाया, ये देख मां के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो गयी।


में भी चाचा के साथ सोऊंगा कहते हुए मैं चाचा के पीछे पीछे उनके कमरे में आ गया।


चाचा ने अपने कपड़े बदले और लूंगी और बनियान में आ गये । में उनके बालों भरे पुष्ट शरीर को देखता रहा।


आजा अब सोते हैं , कर शाम को तुझे विज्ञान की प्रदर्शनी दिखाने ले चलूंगा। चाचा बिस्तर पर लेटते हुए बोले।


चाचा सीधे लेटे थे, उन्होंने अपने हाथ सिर पर बांधे हुए थे , मैं लाइट बंद कर उनके बगल में लेटरव गया और अपना मुंह उनकी बगल में घुसा दिया। उनके बगल की गंध मुझे मदहोश किए दे रही थी।



गुल्लू सो गया क्या ? चाचा ने मेरी तरफ करवट करते हुए पूछा।


नहीं चाचू नींद नहीं आ रही। में भी चाचा की तरफ़ करवट करते हुए बोला । 


अब हम दोनों आमने-सामने थे, हमारी सांसें आपस मे टकरा रही थी।

में चाचा के बिल्कुल चिपक गया, मेरे हाथ चाचा का बालों भरा सीना और पेट सहला रहे थे।


चाचा आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो, में चाचा से लिपटते हुए बोला। 


तू भी मुझे बहुत अच्छा लगता है, मेरे प्यारे गुल्लू ... चाचा ने मुझे बांहों में कस लिया । 

उनका हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुए, बारमूदे में घुस चुका था , अब वो मेरे कूल्हे सहला रहे थे।


आंनद के कारण मेरे मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकल रही थी। आहहहहह चाचा मुझे पिक्चर दिखाने ले चलोगे ना ... मेंने सिसकते हुए पूंछा।

हां क्यों नहीं, कल हम प्रदर्शनी देखने चलेंगे फिर परसों फिल्म देखने।


चाचा की उंगलियां अब मेरी गांड़ के छेद को‌ सहला रहे थे । मेरा उत्तेजना के कारण बुरा हाल था।

अहहह मेरे प्यारे ईईईईई चाचा ओफफंफ बहुत अच्छा लग रहा है , ऐसे ही अरे अम्म्म्मा री करते रहो। 

अब मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर चाचा के लंड को कस कर पकड़ लिया था । जो की क़रीब सात इंच लम्बा तथा चार इंच मोटा था, चारों तरफ घने झांटों से घिरा।


 क्या करता है छोड़ उसे .... चाचा ने तुरंत अपना हाथ मेरी गांड से हटाते हुए मुझे डांटा।


चाचा प्लीज़ इसे मेरे पिछवाड़े घुसेड़ दो , मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा... मेंने मिन्नत करते हुए कहा।


ओए तू पागल है क्या? मरवाएगा भैय्या - भाभी को पता चल गया तो दोनों को घर से निकाल देंगे।


उन्हें कैसे पता चलेगा.... मेंफुसफुसाया ।


जब ये मूसल तेरे छल्ले को फैलाते हुए अन्दर घुसेगाना तब तू जोर जोर  से चिल्लाएगा , और सब को पता चल जाएगा।


ऐसा नहीं होगा , मेने जोर देकर कहा.....क्यों कि मैंने बहुत बार , पैन, मोमबत्ती तथा बैंगन आदि मरी गांड़ में डाले हैं और तो और दीदी भी दो उंगलियों से मेरी गांड़ का मुठ मारी देती है 



उस सब से कुछ नहीं होता...तू चुपचाप उधर मुंह कर के सो जा।

मेंने करवट बदल ली अब मेरी पीठ चाचा की तरफ थी .. मेरी गांड़ चाचा के लंड से लग रही थी। मेंने अपनी गांड़ पीछे सरका कर चाचा के लंड पर दबा दी , चाचा का मूसल मेरी गांड़ में गड़ रहा था। मेंने उअपना हाथ पीछे कर चाचा का सख्त लंड पकड़ लिया और दोबारा मिन्नत करी।


चाचा प्लीज़ अंदर डाल दो ना , में अपना बारमूदे नीचे करने लगा।घ

वेवकूफ तेरे को समझ में नघहीं आता , चुपचाप सो जा जब भी सही मौका मिलेगा में च आप तुझे चोद दूंगा.... चाचा ने गुस्से से कहा।


पता नही वह मौका या दिन कब आएगा...में भी गुस्से में बड़बड़ाते हुए सो गया।


अगले दिन शाम में और चाचा प्रदर्शनी देखने गये, ये विज्ञान की प्रदर्शनी थी , चूंकि चाचा विज्ञान के अध्यापक थे वो हर‌ एक चीज को विस्तार से समझा रहे थे।

अब हम प्रदर्शनी के जिस भाग में थे वो मानव शरीर रचना एवं प्रजनन के बारे में थी , मेंने महसूस किया कि चाचा इस विषय को समझाते हुए काफी गर्म हो गए हैं, उन्होंने मेरा हाथ इतनी जोर से पकड़ा हुआ था कि मेरे हाथ दर्द करने लगा था।


चल गुल्लू बाहर चलते हैं...चाचा ने फुसफुसाते हुए कहा।


क्यों क्या हुआ इतना तो अच्छा लग रहा है....में चाचा की आंखों में झांकता हुआ बोला, चाचा की आंखें लाल हो रही थी , उनमें अजीब सा खुमार था।


अभी तो तू बाहर चल ... कहते हुए चाचा ज़बरदस्ती मुझे बाहर ले आया। 

बाहर अंधेरा था, प्रदर्शनी भवन के चारों ओर बाग फ़ैला हुआ था जहां बड़े बड़े पेड़, झाड़ियां थी ।


चाचा मुझे एक बड़ी झाड़ी के पीछे ले आया और अपनी पैंट उतारते हुए बोला....हाययय रे.. गुल्लू कुछ कर मेरा लंड फट जाएगा  रे जल्दी कुछ कर .. में मर जाऊंगा.. गुल्लू मुझे बचा ले


मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं...अनजाने ही मेने चाचा का पत्थर जैसा सख़्त मोटा लंड , जिसकी उभरी हुई नसें साफ महसूस हो रही थी, अपने हाथ में ले लिया और  मुठ मारने लगा।


चाचा-औहहह अब जाकर चैन पड़ा चैन पड़ा आआआह.. तू बहुत प्यारा है मेरी जान .. है भगवान.. नहीं तो आज मेरे लंड ने फट ही जाना था... तूने मुझे बचा लिया रे मेरे गुल्लू औऔऔह ... तेरा अहसान कैसे चुकाऊंगा।


ऐसे क्यूं बोलते हो चाचा ..  दुनिया में मुझे सबसे प्यारी चीज लगती है तो वह तुम्हारा लंड ही है .. में प्यार से चाचा का लंड मसलते हुए बोला ... इसको फटने कैसे दूंगा... इसको तो में अपने अंदर छुपा कर रख लूंगा। कहते हुए मैं नीचे बैठ गया और चाचा के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा।


जहां तक अहसान चुकाने की बात है, मुझ से वादा करो कि जिंदगी भर मुझ से ऐसे ही प्यार करते रहोगे , कभी भी मुझे छोड़ोगे नहीं । मेंने भावुक होते हुए कहा।


चाचा ने लंड मेरे मुंह से निकला और मुझे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खड़ा करते हुए बोला ... में वादा करता हूं कि तुझे कभी धोखा नहीं दूंगा... तुझे अपनी रानी बना कर रखूंगा...आज से तुझे गुल्लू नहीं गुलाबो बुलाऊंगा ...और तू भी खुद को लड़की की तरह ही सम्बोधित करेंगी । ठीक है... चाचा ने मेरी ठोड़ी को पकड़ कर मेरा मुंह उठाते हुए पूछा। 


ठीक है जी ... मेंने शरमाते हुए जबाब दिया।


चाचा ने मेरी पेंट व शर्ट उतार दी , और मेरी पीठ पर हाथ ले जाकर कस कर अपने बदन से चिपका लिया ... चाचा का विशाल लंड मेरे पेट पर गडा हुआ था... तभी  चाचा ने‌ थोड़ा जोर लगाया जैसे पेशाब निकलना चाहता हो... मेंने अपने पेट पर गर्म गर्म चिकना पदार्थ फैलता महसूस किया।


गुलाबो मेरी रानी तू कितनी प्यारी है रे ... चाचा ने अपने लंड को मेरे पेट पर दबा घिसना शुरू कर दिया था या यूं कहें कि मेरे पेट को चोदना शुरू कर  गुलाबो में तेरा गुलाम बन कर रहूंगा री हआआआ...बस तू मेरे लंड का इसी तरह ख्याल रखना...हाययय मेरी जान तुझे किसी बात की कमी नहीं होने दूंगा। उच्च

चाचा बेतहाशा धक्के लगाए जा रहा था। चाचा ने मेरे पेट को अपने लंड पर कस कर दबाया हुआ था और बुरी तरह घिसे जाता रहा था । मेरे दोनों हाथ चाचा के कूल्हे सहला रहे थे


मेरे राजा...आहह..थोड़ा ढीला छोड़ दें ...उफ़ .. मेरे पेट में दर्द हो रहा है.. मेंने फंसी हुई आवाज में कहा।


आहहह मेरी जान थोड़ी देर दर्द सहन कर लें , तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती. बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तूने मुझे स्वर्ग का सुख दिया है मेरी जान ... उफ्फ


चाचा की बात सुनकर कर में भावुक हो गईं... हाययय रे मेरे राजा तेरे लिए तो जान भी हाज़िर है...उईईई कुचल दे इस बदन को ये तेरा ही है.... कहते हुए में चाचा से कस के चिपक गई। 

मैंने चाचा के कूल्हे को बुरी तरह मसल रही थी ...आहहह मार और तेज और ... ऊईईई और जोर से पीस दे मुझे, घुसेड़ दे पेट पर से ही लंड मेरे अंदर ... में अनाप-शनाप चिल्ला रही थी।



चाचा ने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी थी ...हाययय रे मेरी गुड़िया मेरा निकलने वाला 

उुउउउउउ... मेरी रानी  में झड़ने वाला हूं... इतना सुख मुझे आज तक नहीं मिला...आआआआ मेरी जान , में गया रे आहहहहह... चाचा बहुत जोर से डकराया, और फिर एकदम से ढीला पड़ गया। 

मुझे ऐसा सा लगा जैसे किसी ने कटोरी भर गर्म चिपचिपा पदार्थ मेरे पेट पर डाल दिया।

चाचा निढाल होकर मेरे कंधे पर सिर रखे लम्बी लम्बी सांसें ले रहा था। मेरा एक हाथ चाचा का सिर सहला रहा था दूसरे हाथ से में चाचा के वीर्य को अपने पेट पर मल रही थी  उसकी मादक गंध मुझे मस्त किए दे रही थी, मेंने वीर्य को अंगुली में ले चांटा उसका कसैला स्वाद मुझे बहुत ही अच्छा लगा । तब मैंने उसे और चाटना शुरू कर दिया।

ऐ यह क्या कर रही है... गंदा है वह... चाचा ने मुझे झिड़कते हुए कहा।

क्या गंदा है, मेरे लिए तो अमृत समान है.... में मुस्कराते हुए बोली..और चाटना जारी रखा।

ले में रूमाल देता हूं, पेट साफ कर लें... चाचा मुझे रुमाल देते हुए कहा।

वो तो मैं कर लूंगी पर पहले अपने लल्लू राम को साफ कर दूं ... मेंने हंस कर कहा और बैठ कर चाचा का लंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी।
फिर वहां से हम घर के लिए चल पड़े।

घर पहुंचते पहुंचते रात के साढ़े नौ‌ बज चुके थे, मै खुश थी क्योंकि मेरा मर्द मेरे से संतुष्ट व खुश था , खाना खा कर हम लोग ‌अपने बैंड रूम में आ गए।

करीब साढ़े ग्यारह का समय था, मैंने चाचा से पूछा...सुनो जी सो गए क्या, नाइट बल्ब की रोशनी में पता नहीं चल रहा 

नहीं गुड़िया जगा हुआ हूं..बोल क्या कह रही है।

ऐ जी एक बात तो बताओ,मुझे कितना इंतजार करना पड़ेगा, वो दिन कब आएगा, जब ये मेरी  प्यारी में जायेगा। मेंने चाचा के लंड को सहलाते हुए पूछा। 

मेरी गुलाबो म तो खुद ये सोच रहा हूं कि कब मेरा ये मुस्टंडा तेरी दुलारी की धज्जियां उड़ाएगा, और कब में तेरी चींखें सुनूंगा... चाचा मुस्कराते हुए बोला।

मरी चीखें सुन कर आपको अच्छा लगेगा.. मेंने चाचा की आंखों में झांकते हुए कहा।

और क्या, तेरी प्यारी का उदघाटन जोर शोर से होना चाहिए... चाचा शरारत से मुस्कराते हुए बोला।
Reply
08-22-2023, 10:51 PM,
#7
RE: गुलाबो
पढकर लौटा तो पता लगा शाम को चाचा आ रहें हैं। मेरा मन खुशी से झूम उठा । 

मेरे चाचा 30 साल के विशालकाय व्यक्ति थे जिनका रंग एकदम काला था तथा शरीर घने बालों से भरा हुआ था।अभी तक उनकी शादी नहीं हुई थी वह एक  खुश मिजाज आदमी थे, जो हमारे गांव से करीब 145 किलोमीटर दूर शहर में सरकारी  टीचर थे।


शाम  को जैसे ही गेट की काल बेल बजी मैं दौड़ता हुआ गेट खोलने पहुंचा , गेट खुलते ही में चाचा से कस कर लिपट गया.....मेरे प्यारे चाचू , आप पूरे एक महीने बाद आए हैं मैंने कहा। 


हां मेरे बच्चे, क्या करूं छुट्टी ही नहीं मिलती। चाचा ने मुझे कस कर दबाते हुए कहा, उनका एक हाथ मेरे कूल्हे सहला रहा था।


चाचा के शरीर का स्पर्श और उसकी मादक गंध मुझे मदहोश कर रही थी।


अब मैं आपको जल्दी से नहीं जाने दूंगा, हम लोग खूब मस्ती करेंगे । मेंने उनकी गर्दन पर झूलते हुए कहा।


चाचा - हां बच्चे मेरी पूरे हफ्ते की छुट्टी है।


अरे अपने चाचा को अंदर भी आने देगा या सारी बातें गेट पर ही कर लेगा । अंदर से अम्मा की तेज आवाज सुनाई दी।



नमस्कार भाभी ... चाचा ने आंगन में प्रवेश करते हुए कहा।


नमस्कार जी ... कैसे हो लल्ला .. मां ने मुस्कराते हुए पूछा। मां पट्टे पर बैठी सब्जी काट रही थी । उसने अपनी धोती घुटने तक उठा रखी थी। जिससे उसकी मांसल टांगें तथा जांघे दिख रही थी।


ठीक ही हूं भाभी बस आपका आशीर्वाद चाहिए। चाचा ने मुस्कराते हुए कहा। 


वो तो हमेशा तुम्हारे साथ है लल्ला। मां ने मुस्कराते हुए कहा इसके  साथ ही मां ने अपने पैरों को इस तरह से हिलाया कि एक छण के लिए मां का झांटों भरा फूला हुआ भोसड़ा बिल्कुल खुले कर सामने आ गया। 


मां ने इस बात का कोई नोटिस नहीं लिया। 


तुम्हारे लिए चाय बनाऊ लल्ला... मां ने चाचा की र देखते हुए कहा। 


नहीं भाभी ... बस अब आराम करूंगा..यह कहते हुए चाचा ने अपना लंड पैंट के ऊपर से ही खुजलाया, ये देख मां के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो गयी।


में भी चाचा के साथ सोऊंगा कहते हुए मैं चाचा के पीछे पीछे उनके कमरे में आ गया।


चाचा ने अपने कपड़े बदले और लूंगी और बनियान में आ गये । में उनके बालों भरे पुष्ट शरीर को देखता रहा।


आजा अब सोते हैं , कर शाम को तुझे विज्ञान की प्रदर्शनी दिखाने ले चलूंगा। चाचा बिस्तर पर लेटते हुए बोले।


चाचा सीधे लेटे थे, उन्होंने अपने हाथ सिर पर बांधे हुए थे , मैं लाइट बंद कर उनके बगल में लेटरव गया और अपना मुंह उनकी बगल में घुसा दिया। उनके बगल की गंध मुझे मदहोश किए दे रही थी।



गुल्लू सो गया क्या ? चाचा ने मेरी तरफ करवट करते हुए पूछा।


नहीं चाचू नींद नहीं आ रही। में भी चाचा की तरफ़ करवट करते हुए बोला । 


अब हम दोनों आमने-सामने थे, हमारी सांसें आपस मे टकरा रही थी।

में चाचा के बिल्कुल चिपक गया, मेरे हाथ चाचा का बालों भरा सीना और पेट सहला रहे थे।


चाचा आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो, में चाचा से लिपटते हुए बोला। 


तू भी मुझे बहुत अच्छा लगता है, मेरे प्यारे गुल्लू ... चाचा ने मुझे बांहों में कस लिया । 

उनका हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुए, बारमूदे में घुस चुका था , अब वो मेरे कूल्हे सहला रहे थे।


आंनद के कारण मेरे मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकल रही थी। आहहहहह चाचा मुझे पिक्चर दिखाने ले चलोगे ना ... मेंने सिसकते हुए पूंछा।

हां क्यों नहीं, कल हम प्रदर्शनी देखने चलेंगे फिर परसों फिल्म देखने।


चाचा की उंगलियां अब मेरी गांड़ के छेद को‌ सहला रहे थे । मेरा उत्तेजना के कारण बुरा हाल था।

अहहह मेरे प्यारे ईईईईई चाचा ओफफंफ बहुत अच्छा लग रहा है , ऐसे ही अरे अम्म्म्मा री करते रहो। 

अब मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर चाचा के लंड को कस कर पकड़ लिया था । जो की क़रीब सात इंच लम्बा तथा चार इंच मोटा था, चारों तरफ घने झांटों से घिरा।


 क्या करता है छोड़ उसे .... चाचा ने तुरंत अपना हाथ मेरी गांड से हटाते हुए मुझे डांटा।


चाचा प्लीज़ इसे मेरे पिछवाड़े घुसेड़ दो , मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा... मेंने मिन्नत करते हुए कहा।


ओए तू पागल है क्या? मरवाएगा भैय्या - भाभी को पता चल गया तो दोनों को घर से निकाल देंगे।


उन्हें कैसे पता चलेगा.... मेंफुसफुसाया ।


जब ये मूसल तेरे छल्ले को फैलाते हुए अन्दर घुसेगाना तब तू जोर जोर  से चिल्लाएगा , और सब को पता चल जाएगा।


ऐसा नहीं होगा , मेने जोर देकर कहा.....क्यों कि मैंने बहुत बार , पैन, मोमबत्ती तथा बैंगन आदि मरी गांड़ में डाले हैं और तो और दीदी भी दो उंगलियों से मेरी गांड़ का मुठ मारी देती है 



उस सब से कुछ नहीं होता...तू चुपचाप उधर मुंह कर के सो जा।

मेंने करवट बदल ली अब मेरी पीठ चाचा की तरफ थी .. मेरी गांड़ चाचा के लंड से लग रही थी। मेंने अपनी गांड़ पीछे सरका कर चाचा के लंड पर दबा दी , चाचा का मूसल मेरी गांड़ में गड़ रहा था। मेंने उअपना हाथ पीछे कर चाचा का सख्त लंड पकड़ लिया और दोबारा मिन्नत करी।


चाचा प्लीज़ अंदर डाल दो ना , में अपना बारमूदे नीचे करने लगा।घ

वेवकूफ तेरे को समझ में नघहीं आता , चुपचाप सो जा जब भी सही मौका मिलेगा में च आप तुझे चोद दूंगा.... चाचा ने गुस्से से कहा।


पता नही वह मौका या दिन कब आएगा...में भी गुस्से में बड़बड़ाते हुए सो गया।


अगले दिन शाम में और चाचा प्रदर्शनी देखने गये, ये विज्ञान की प्रदर्शनी थी , चूंकि चाचा विज्ञान के अध्यापक थे वो हर‌ एक चीज को विस्तार से समझा रहे थे।

अब हम प्रदर्शनी के जिस भाग में थे वो मानव शरीर रचना एवं प्रजनन के बारे में थी , मेंने महसूस किया कि चाचा इस विषय को समझाते हुए काफी गर्म हो गए हैं, उन्होंने मेरा हाथ इतनी जोर से पकड़ा हुआ था कि मेरे हाथ दर्द करने लगा था।


चल गुल्लू बाहर चलते हैं...चाचा ने फुसफुसाते हुए कहा।


क्यों क्या हुआ इतना तो अच्छा लग रहा है....में चाचा की आंखों में झांकता हुआ बोला, चाचा की आंखें लाल हो रही थी , उनमें अजीब सा खुमार था।


अभी तो तू बाहर चल ... कहते हुए चाचा ज़बरदस्ती मुझे बाहर ले आया। 

बाहर अंधेरा था, प्रदर्शनी भवन के चारों ओर बाग फ़ैला हुआ था जहां बड़े बड़े पेड़, झाड़ियां थी ।


चाचा मुझे एक बड़ी झाड़ी के पीछे ले आया और अपनी पैंट उतारते हुए बोला....हाययय रे.. गुल्लू कुछ कर मेरा लंड फट जाएगा  रे जल्दी कुछ कर .. में मर जाऊंगा.. गुल्लू मुझे बचा ले


मुझे समझ नहीं आ रहा था कि क्या करूं...अनजाने ही मेने चाचा का पत्थर जैसा सख़्त मोटा लंड , जिसकी उभरी हुई नसें साफ महसूस हो रही थी, अपने हाथ में ले लिया और  मुठ मारने लगा।


चाचा-औहहह अब जाकर चैन पड़ा चैन पड़ा आआआह.. तू बहुत प्यारा है मेरी जान .. है भगवान.. नहीं तो आज मेरे लंड ने फट ही जाना था... तूने मुझे बचा लिया रे मेरे गुल्लू औऔऔह ... तेरा अहसान कैसे चुकाऊंगा।


ऐसे क्यूं बोलते हो चाचा ..  दुनिया में मुझे सबसे प्यारी चीज लगती है तो वह तुम्हारा लंड ही है .. में प्यार से चाचा का लंड मसलते हुए बोला ... इसको फटने कैसे दूंगा... इसको तो में अपने अंदर छुपा कर रख लूंगा। कहते हुए मैं नीचे बैठ गया और चाचा के लंड को मुंह में लेकर चूसने लगा।


जहां तक अहसान चुकाने की बात है, मुझ से वादा करो कि जिंदगी भर मुझ से ऐसे ही प्यार करते रहोगे , कभी भी मुझे छोड़ोगे नहीं । मेंने भावुक होते हुए कहा।


चाचा ने लंड मेरे मुंह से निकला और मुझे अपने दोनों हाथों से पकड़ कर खड़ा करते हुए बोला ... में वादा करता हूं कि तुझे कभी धोखा नहीं दूंगा... तुझे अपनी रानी बना कर रखूंगा...आज से तुझे गुल्लू नहीं गुलाबो बुलाऊंगा ...और तू भी खुद को लड़की की तरह ही सम्बोधित करेंगी । ठीक है... चाचा ने मेरी ठोड़ी को पकड़ कर मेरा मुंह उठाते हुए पूछा। 


ठीक है जी ... मेंने शरमाते हुए जबाब दिया।


चाचा ने मेरी पेंट व शर्ट उतार दी , और मेरी पीठ पर हाथ ले जाकर कस कर अपने बदन से चिपका लिया ... चाचा का विशाल लंड मेरे पेट पर गडा हुआ था... तभी  चाचा ने‌ थोड़ा जोर लगाया जैसे पेशाब निकलना चाहता हो... मेंने अपने पेट पर गर्म गर्म चिकना पदार्थ फैलता महसूस किया।


गुलाबो मेरी रानी तू कितनी प्यारी है रे ... चाचा ने अपने लंड को मेरे पेट पर दबा घिसना शुरू कर दिया था या यूं कहें कि मेरे पेट को चोदना शुरू कर  गुलाबो में तेरा गुलाम बन कर रहूंगा री हआआआ...बस तू मेरे लंड का इसी तरह ख्याल रखना...हाययय मेरी जान तुझे किसी बात की कमी नहीं होने दूंगा। उच्च

चाचा बेतहाशा धक्के लगाए जा रहा था। चाचा ने मेरे पेट को अपने लंड पर कस कर दबाया हुआ था और बुरी तरह घिसे जाता रहा था । मेरे दोनों हाथ चाचा के कूल्हे सहला रहे थे


मेरे राजा...आहह..थोड़ा ढीला छोड़ दें ...उफ़ .. मेरे पेट में दर्द हो रहा है.. मेंने फंसी हुई आवाज में कहा।


आहहह मेरी जान थोड़ी देर दर्द सहन कर लें , तू मेरे लिए इतना भी नहीं कर सकती. बहुत मजा आ रहा है मेरी रानी तूने मुझे स्वर्ग का सुख दिया है मेरी जान ... उफ्फ


चाचा की बात सुनकर कर में भावुक हो गईं... हाययय रे मेरे राजा तेरे लिए तो जान भी हाज़िर है...उईईई कुचल दे इस बदन को ये तेरा ही है.... कहते हुए में चाचा से कस के चिपक गई। 

मैंने चाचा के कूल्हे को बुरी तरह मसल रही थी ...आहहह मार और तेज और ... ऊईईई और जोर से पीस दे मुझे, घुसेड़ दे पेट पर से ही लंड मेरे अंदर ... में अनाप-शनाप चिल्ला रही थी।



चाचा ने धक्कों की रफ्तार बढ़ा दी थी ...हाययय रे मेरी गुड़िया मेरा निकलने वाला 

उुउउउउउ... मेरी रानी  में झड़ने वाला हूं... इतना सुख मुझे आज तक नहीं मिला...आआआआ मेरी जान , में गया रे आहहहहह... चाचा बहुत जोर से डकराया, और फिर एकदम से ढीला पड़ गया। 

मुझे ऐसा सा लगा जैसे किसी ने कटोरी भर गर्म चिपचिपा पदार्थ मेरे पेट पर डाल दिया।

चाचा निढाल होकर मेरे कंधे पर सिर रखे लम्बी लम्बी सांसें ले रहा था। मेरा एक हाथ चाचा का सिर सहला रहा था दूसरे हाथ से में चाचा के वीर्य को अपने पेट पर मल रही थी  उसकी मादक गंध मुझे मस्त किए दे रही थी, मेंने वीर्य को अंगुली में ले चांटा उसका कसैला स्वाद मुझे बहुत ही अच्छा लगा । तब मैंने उसे और चाटना शुरू कर दिया।

ऐ यह क्या कर रही है... गंदा है वह... चाचा ने मुझे झिड़कते हुए कहा।

क्या गंदा है, मेरे लिए तो अमृत समान है.... में मुस्कराते हुए बोली..और चाटना जारी रखा।

ले में रूमाल देता हूं, पेट साफ कर लें... चाचा मुझे रुमाल देते हुए कहा।

वो तो मैं कर लूंगी पर पहले अपने लल्लू राम को साफ कर दूं ... मेंने हंस कर कहा और बैठ कर चाचा का लंड चाट चाट कर साफ़ करने लगी।
फिर वहां से हम घर के लिए चल पड़े।

घर पहुंचते पहुंचते रात के साढ़े नौ‌ बज चुके थे, मै खुश थी क्योंकि मेरा मर्द मेरे से संतुष्ट व खुश था , खाना खा कर हम लोग ‌अपने बैंड रूम में आ गए।

करीब साढ़े ग्यारह का समय था, मैंने चाचा से पूछा...सुनो जी सो गए क्या, नाइट बल्ब की रोशनी में पता नहीं चल रहा 

नहीं गुड़िया जगा हुआ हूं..बोल क्या कह रही है।

ऐ जी एक बात तो बताओ,मुझे कितना इंतजार करना पड़ेगा, वो दिन कब आएगा, जब ये मेरी  प्यारी में जायेगा। मेंने चाचा के लंड को सहलाते हुए पूछा। 

मेरी गुलाबो म तो खुद ये सोच रहा हूं कि कब मेरा ये मुस्टंडा तेरी दुलारी की धज्जियां उड़ाएगा, और कब में तेरी चींखें सुनूंगा... चाचा मुस्कराते हुए बोला।

मरी चीखें सुन कर आपको अच्छा लगेगा.. मेंने चाचा की आंखों में झांकते हुए कहा।

और क्या, तेरी प्यारी का उदघाटन जोर शोर से होना चाहिए... चाचा शरारत से मुस्कराते हुए बोला।

अच्छा गुलाबो एक आइडिया आया है दिमाग में, क्यों ना में भैय्या - भाभी से कहूं कि आगे कि पढ़ाई के लिए वो तुझे मेरे साथ शहर भेज दें ।

ओह राजा कमाल का आइडिया है, आप तो कल ही मम्मी पापा से बात कर लो, मुझसे ज्यादा इंतजार नहीं होता।

ठीक है कल बात करता हू... चाचा मेरे कूल्हे सहलाता हुआ बोला।
Reply
08-23-2023, 12:36 AM,
#8
RE: गुलाबो
पढकर लौटा तो पता लगा शाम को चाचा आ रहें हैं। मेरा मन खुशी से झूम उठा । 

मेरे चाचा 30 साल के विशालकाय व्यक्ति थे जिनका रंग एकदम काला था तथा शरीर घने बालों से भरा हुआ था।अभी तक उनकी शादी नहीं हुई थी वह एक  खुश मिजाज आदमी थे, जो हमारे गांव से करीब 145 किलोमीटर दूर शहर में सरकारी  टीचर थे।


शाम  को जैसे ही गेट की काल बेल बजी मैं दौड़ता हुआ गेट खोलने पहुंचा , गेट खुलते ही में चाचा से कस कर लिपट गया.....मेरे प्यारे चाचू , आप पूरे एक महीने बाद आए हैं मैंने कहा। 


हां मेरे बच्चे, क्या करूं छुट्टी ही नहीं मिलती। चाचा ने मुझे कस कर दबाते हुए कहा, उनका एक हाथ मेरे कूल्हे सहला रहा था।


चाचा के शरीर का स्पर्श और उसकी मादक गंध मुझे मदहोश कर रही थी।


अब मैं आपको जल्दी से नहीं जाने दूंगा, हम लोग खूब मस्ती करेंगे । मेंने उनकी गर्दन पर झूलते हुए कहा।


चाचा - हां बच्चे मेरी पूरे हफ्ते की छुट्टी है।


अरे अपने चाचा को अंदर भी आने देगा या सारी बातें गेट पर ही कर लेगा । अंदर से अम्मा की तेज आवाज सुनाई दी।



नमस्कार भाभी ... चाचा ने आंगन में प्रवेश करते हुए कहा।


नमस्कार जी ... कैसे हो लल्ला .. मां ने मुस्कराते हुए पूछा। मां पट्टे पर बैठी सब्जी काट रही थी । उसने अपनी धोती घुटने तक उठा रखी थी। जिससे उसकी मांसल टांगें तथा जांघे दिख रही थी।


ठीक ही हूं भाभी बस आपका आशीर्वाद चाहिए। चाचा ने मुस्कराते हुए कहा। 


वो तो हमेशा तुम्हारे साथ है लल्ला। मां ने मुस्कराते हुए कहा इसके  साथ ही मां ने अपने पैरों को इस तरह से हिलाया कि एक छण के लिए मां का झांटों भरा फूला हुआ भोसड़ा बिल्कुल खुले कर सामने आ गया। 


मां ने इस बात का कोई नोटिस नहीं लिया। 


तुम्हारे लिए चाय बनाऊ लल्ला... मां ने चाचा की र देखते हुए कहा। 


नहीं भाभी ... बस अब आराम करूंगा..यह कहते हुए चाचा ने अपना लंड पैंट के ऊपर से ही खुजलाया, ये देख मां के चेहरे की मुस्कान और गहरी हो गयी।


में भी चाचा के साथ सोऊंगा कहते हुए मैं चाचा के पीछे पीछे उनके कमरे में आ गया।


चाचा ने अपने कपड़े बदले और लूंगी और बनियान में आ गये । में उनके बालों भरे पुष्ट शरीर को देखता रहा।


आजा अब सोते हैं , कर शाम को तुझे विज्ञान की प्रदर्शनी दिखाने ले चलूंगा। चाचा बिस्तर पर लेटते हुए बोले।


चाचा सीधे लेटे थे, उन्होंने अपने हाथ सिर पर बांधे हुए थे , मैं लाइट बंद कर उनके बगल में लेटरव गया और अपना मुंह उनकी बगल में घुसा दिया। उनके बगल की गंध मुझे मदहोश किए दे रही थी।



गुल्लू सो गया क्या ? चाचा ने मेरी तरफ करवट करते हुए पूछा।


नहीं चाचू नींद नहीं आ रही। में भी चाचा की तरफ़ करवट करते हुए बोला । 


अब हम दोनों आमने-सामने थे, हमारी सांसें आपस मे टकरा रही थी।

में चाचा के बिल्कुल चिपक गया, मेरे हाथ चाचा का बालों भरा सीना और पेट सहला रहे थे।


चाचा आप मुझे बहुत अच्छे लगते हो, में चाचा से लिपटते हुए बोला। 


तू भी मुझे बहुत अच्छा लगता है, मेरे प्यारे गुल्लू ... चाचा ने मुझे बांहों में कस लिया । 

उनका हाथ मेरी पीठ को सहलाते हुए, बारमूदे में घुस चुका था , अब वो मेरे कूल्हे सहला रहे थे।


आंनद के कारण मेरे मुंह से हल्की हल्की सिसकारियां निकल रही थी। आहहहहह चाचा मुझे पिक्चर दिखाने ले चलोगे ना ... मेंने सिसकते हुए पूंछा।

हां क्यों नहीं, कल हम प्रदर्शनी देखने चलेंगे फिर परसों फिल्म देखने।


चाचा की उंगलियां अब मेरी गांड़ के छेद को‌ सहला रहे थे । मेरा उत्तेजना के कारण बुरा हाल था।

अहहह मेरे प्यारे ईईईईई चाचा ओफफंफ बहुत अच्छा लग रहा है , ऐसे ही अरे अम्म्म्मा री करते रहो। 

अब मैंने अपना हाथ नीचे ले जाकर चाचा के लंड को कस कर पकड़ लिया था । जो की क़रीब सात इंच लम्बा तथा चार इंच मोटा था, चारों तरफ घने झांटों से घिरा।


 क्या करता है छोड़ उसे .... चाचा ने तुरंत अपना हाथ मेरी गांड से हटाते हुए मुझे डांटा।


चाचा प्लीज़ इसे मेरे पिछवाड़े घुसेड़ दो , मुझसे बर्दाश्त नहीं हो रहा... मेंने मिन्नत करते हुए कहा।


ओए तू पागल है क्या? मरवाएगा भैय्या - भाभी को पता चल गया तो दोनों को घर से निकाल देंगे।


उन्हें कैसे पता चलेगा.... मेंफुसफुसाया ।


जब ये मूसल तेरे छल्ले को फैलाते हुए अन्दर घुसेगाना तब तू जोर जोर  से चिल्लाएगा , और सब को पता चल जाएगा।


ऐसा नहीं होगा , मेने जोर देकर कहा.....क्यों कि मैंने बहुत बार , पैन, मोमबत्ती तथा बैंगन आदि मरी गांड़ में डाले हैं और तो और दीदी भी दो उंगलियों से मेरी गांड़ का मुठ मारी देती है 



उस सब से कुछ नहीं होता...तू चुपचाप उधर मुंह कर के सो जा।

मेंने करवट बदल ली अब मेरी पीठ चाचा की तरफ थी .. मेरी गांड़ चाचा के लंड से लग रही थी। मेंने अपनी गांड़ पीछे सरका कर चाचा के लंड पर दबा दी , चाचा का मूसल मेरी गांड़ में गड़ रहा था। मेंने उअपना हाथ पीछे कर चाचा का सख्त लंड पकड़ लिया और दोबारा मिन्नत करी।


चाचा प्लीज़ अंदर डाल दो ना , में अपना बारमूदे नीचे करने लगा।घ

वेवकूफ तेरे को समझ में नघहीं आता , चुपचाप सो जा जब भी सही मौका मिलेगा में च आप तुझे चोद दूंगा.... चाचा ने गुस्से से कहा।


पता नही वह मौका या दिन कब आएगा...में भी गुस्से में बड़बड़ाते हुए सो गया।
Reply
08-23-2023, 10:56 AM,
#9
RE: गुलाबो
Since, it is my first story , mistakenly I have posted same contains many. Pl. Let me know how to fix it.
Reply
08-23-2023, 05:53 PM,
#10
RE: गुलाबो
मित्रों, क्षमा करें चूंकि ये मेरी प्रथम कहानी है , इसलिए गलती से एक ही हिस्सा दो दो बार पो स्ट हो गया। ये कैसे ठीक हो सकता हैं, कृपया मार्गदर्शन करें।
Reply


Possibly Related Threads…
Thread Author Replies Views Last Post
  A Fresh Perspective on Indian Live Sex and Live Porn India desiaks 0 13,035 03-13-2024, 01:53 PM
Last Post: desiaks
  Saali Adhi Gharwali - 2 ratanraj2301 1 13,728 03-12-2024, 11:57 AM
Last Post: volohan
Bug Jannath Ke Hoor's sashi_bond 0 3,407 02-29-2024, 12:54 PM
Last Post: sashi_bond
  महारानी देवरानी aamirhydkhan 211 329,404 12-20-2023, 03:29 AM
Last Post: aamirhydkhan
Exclamation Meri sagi mom ki chudai-1 (How I became Incest) gotakaabhilash 6 45,284 12-02-2023, 01:36 PM
Last Post: gotakaabhilash
  दीदी को चुदवाया Ranu 101 528,519 11-27-2023, 01:13 AM
Last Post: Ranu
  Sach me Saali adhi Gharwali - Part 1 ratanraj2301 0 7,300 11-22-2023, 09:58 PM
Last Post: ratanraj2301
  Maa ka khayal Takecareofmeplease 25 233,014 11-08-2023, 01:58 PM
Last Post: peltat
  FFM sex series Part 1 सपना Popcorn 4 10,011 11-08-2023, 12:16 AM
Last Post: Popcorn
Rainbow Threesome with my wife(rohan420) Rohan420 3 15,279 11-04-2023, 02:02 PM
Last Post: Gandkadeewana



Users browsing this thread: 1 Guest(s)