मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
06-10-2021, 12:14 PM,
RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह
आज तक ऐसा मजा तो हम कभी नहीं पाया था। ना ही जानता था। ना ही सोचा था।
वह मेरे लण्ड को अपने नाजूक हाथ से सहलाते सहलाते इतना कठोर कर दिया कि हमने आन्टी से कहा......।
हाय आन्टी आप कितनी अच्छी लग रही हो आप इतनी हसीन और जवान लग रही हो कि आपके सामने तो जवान सोलह साल की लड़की भी कुछ नहीं....।
वह औरत हंसते बोली तूझे अच्छा लगा ना.....। इससे कही ज्यादा मजा आयेगा।
जब तूम हमारी बूर में अपना लण्ड डाल कर चोदोगे तब मुकेश इस बात पर झटपटा सा गया।
हाय आन्टी तब मुझे चोदने दो ना...

आन्टी बहुत समझदार थी। वह अच्छी तरह से जानती कि मुकेश एकदम से जवान छोकरा है। अगर पहले लण्ड बुर में डलवा लिया तो वह चार पांच धक्के में ही खलास हो जायेगा।
और मेरी प्यास भी नहीं बूझ पायेगी........ इसी कारण से आटी पहले लण्ड की गरमी का निकाल चुकी थी। की दोबारा जब मेरी प्यासी बुर मे लण्ड डालेगा तो वह खूब देरी तक हमें चोदेगा। - वह मुस्कुराते हुए बोली पुकेश क्या तुम हमारी बूर देखना चाहते हो।
हां हां.....आन्टी मुझे अपनी बूर दिखाओं ना.....। वह आन्टी के सामने बच्चों की तरह करने लगा। -
आन्टी इस बार मुकेशको इतना जोश से भर देना चाहती थी कि मुकेश आधा एकाधा घण्टा मेरी बूर को चोदते रहे ताकी । हमारी प्यासी बुर को अच्छी तरह प्यास बुझ सके।
आन्टी हंसती हुई बोली......। मेरी बूर चोदना चाहते हो तो रूको वह उठकर इधर उधर देखी तो उस समय एकदम से आधी रात हो चुकी थी। सभी लोग नींद्रा देवी के गोद में सोये हुए थे।
चांदनी रात नजर होने से मुकेश और आन्टी एक दूसरे को • साफ साफ नजर आ रहे थे।
आन्टी अभी तक पेटीकोट पहने थी। वह मुकेश को अभी तक अपनी अनमोल बुर का दशन नहीं होने दी थी। इससे पहले मुकेश को इतना जोश भर देना चाहती कि मुकेश उसकी बुर को खूब अच्छी तरह से चोद सके........
मुकेश कहने लगा। हाय आन्टी अपनी बुर दिखाओं ना........।
आन्टी लण्ड को मसल मसल कर इतना आग बना डाली कि मुकेश से अब रहा नहीं जा रहा था।
आन्टी बोली....। _मुकेश तुम्हारा लण्ड तो काफी मोटा और लम्बा है। इतना बड़ा लण्ड तो आज तक किसी मर्द को नहीं देख पाई थी।
वह इस प्रकार बोली रही थी कि मुकेश को इतना जोश आ -जाय की वह आज हमारी बूर को खूब दम लागर चोदे। और बूर को फार डाले.......।
वह हंसती हुई मुकेश को पहले अपनी चुची को मसलने को बोली तो वह झट से वह दोनो चुची को पकड़ घुटी को कुदेरने लगा तो आन्टी पानी पानी होने लगी।
और वह चोदास पागल होकर बोली हाय मुकेश तुम कितने अच्छे हो। तुम्हारास लण्ड एकदम घोड़ा जैसा है।
लण्ड के उपर जब आन्टी अपने हाथ पर ढेर सारा थूक निकाल कर के उपरी भाग पर लपेस उसे उपर नीचे की तो मुकेश झटपटा हुआ बोला। हाय आन्टी अब,अपनी बुर मुझे दिखाओं ना......। अब मुझसे रहा नहीं जा रहा है.......।
आन्टी तो जान बूझ कर मुकेश को अपनी बुर दिखा नहीं रही थी कि मुकेश इतना जोशीला हो जाए कि वह आज हमारी बुर के एक एक नश ढीला कर सके.
आन्टी बोली...। मुकेश आज तक किसी औरत की बुर देखे हो कि नहीं। इस बात पर मुकेश अपने बदन को ऐठते कहने लगा। हाय आन्टी ....आज तक हम किसी औरत की बुर नहीं देख पाये है। कभी हमें मौका ही नहीं मिला। दिखाओं......न आन्टी.....दिखाओ..........
आन्टी अब समझ गयी कि मुकेश अब रह नहीं सकता वह मुकेश को आदेश दिया कि अगर तुम हमारी बुर देखना चाहते हो...खुद ही पेटी कोअ के जबरन को खोल कर हमारी बुर को देख सकते हो।
मुकेश इस पर इतना मचल गया की वह एकाएक आन्टी के बदन में सिमटते हुये उसकी पेटीकोट के जबरन को पकड़ एक ही बार में खींचा तो उसकी जबरन खूलते ही पेटीकोट कमर से एकदम ढीली हो गई। पर अभी तक आन्टी पूरी नंगी नहीं हो पाई थी। अभी भी मुश्किल आने थोड़ी दूरी थी।
मुकेश ने अपने हाथों से आन्टी के पेटीकोट को कमर से ससारते उसे नंगा किया तो मुकेश को आंखों हवा में लहराता उसका लण्ड इतनी तेजी के साथ आन्टी के हाथ से फिसला की वह सर्प की भांति फनफनाने लगा......
मुकेश से रहा नहीं गया तो वह आन्टी को वहीं चादर पर सोला डाला।
और उसके पैरों से पेटीकोट को ससारकर आन्टी को एकदम सेगा कार डाला।
बरसात बांदनी रात के मजाला में जब आदी को अपार में गोपे नाक देशा हो या पागरण हो गया और यह भाटी के पर पसार होकर पहन शाल की तरह उस अनुनको वने उदेन म जगाने लगा तो आनटी भी छदाम मे पागल होकर अकरा कों अनासाले सीने से रगबने लगी। + की तो आप पवारण साप्त हो गया का यह आज तक
मीरा को भगाना देख पाय का आको तो मा सवार होने लगा ।
याम मान्दी वरवको बास जैकमा रपट एका महलानी बहा रही यी मूठियाने लगी कशी जगह को ।
आन्दी इतनी उप होने के बावजूना भी इतनी हसीन लग रही attी लग रहा था कि वह मोल्ड मारण की सौण्डिया को ।
प्याकई में आन्टीकी वदन गदराया बदन और दूध पीसी सफेद चंदार का वेशा मुकेश पागला हो गया था।
माकेश सदमती आन्दी के दोनों आपों का फताया तो यह महारी याद आन्टी की ४५ देवा मुकेश अपने आप को रोक नही
वार से आउटी के उपर सवार होकर यह बुर में तुरना गाड पुसा देना चाहता था।
आदी पोली पुश करे..... पहले वह किया हमारे नाम के पीछे हाण दो....। यह भारी के आदेशा पिणार हौ मा जनिया को अली के

कमर के नीचे डाल दिया।
अब आन्टी की बुर काफी उपर उठ चुकी थी।
जब गौर से आन्टी की बुर को देखा तो हम इतना पागल हो गये की मै जल्द से जल्द लण्ड को घुसा देना चाहते थे। पर आन्टी ने कहा। मै अभी बताती हूं।
मुकेश अगर सही मजा लेना चाहते हो तो पहले हमारे बुर को अपने हाथों से सहलाओं तो तुम्हे खूब मजा मिलेगा।
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RE: मस्तराम की मस्त कहानी का संग्रह - by desiaks - 06-10-2021, 12:14 PM

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