RE: College Girl Sex Kahani कुँवारियों का शिकार
हमेशा की तरह मैने अरषि को भी एक मसल रिलाक्सॅंट पेन किल्लर टॅबलेट खिला दी. फिर मैने अरषि से पूछा के कहो चुदाई का मज़ा कैसा लगा. वो हंसते हुए बोली के उसको तो इतना अच्छा लगा के वो तो चाहती है के वो चुदवाती रहे और ये चुदाई कभी ख़तम ही ना हो. मेरी हँसी निकल गयी और मैने उसे समझाया के देखो ‘ऑल गुड थिंग्स ऑल्वेज़ एंड’. कुच्छ जल्दी ख़तम हो जाती हैं और कुच्छ देर से पर ख़तम ज़रूर हो जाती हैं पर देर इस ऑल्वेज़ आ नेक्स्ट टाइम. वो छूटते ही बोली के कब आएगा नेक्स्ट टाइम? आप कब आ रहे हो अगली बार? मैने उसको कहा के इतनी जल्दी जल्दी नही चुदाई मत करवाना , नही तो शादी के बाद में परेशान हो जाओगी. ज़्यादा चुदाई से तुम्हारी टाइट चूत जो है वो ढीली हो जाएगी तो पति को क्या जवाब दोगि. अब अगली चुदाई कम से कम एक महीने के बाद. उसके चेहरे पर उदासी च्छा गयी तो मैने उसको कहा के उदास होने की कोई बात नही है और बहुत से तरीके हैं मज़ा लेने के और मैं उसको धीरे धीरे सब कुच्छ सीखा दूँगा. वो खुश हो गयी. फिर मैने उसको कहा के एक बात और मैं अभी तुम्हारे बापू से बात करके हमारे मिलने का पक्का इंटेज़ाम कर दूँगा और वो खुद ही तुम्हें मेरे आने का बता दिया करेंगे और तुम्हे मेरे पास भेजेंगे. उसका कन्फ्यूषन दूर करने के लिए मैने उसको बताया के कंप्यूटर सीखने के बहाने. वो आकर मुझसे लिपट गयी और बोली बहुत चालाक हो. क्या स्कीम है के बापू खुद मुझे तुम्हारे पास चुदवाने के लिए भेजेंगे. मैं हंस पड़ा और उसको अपनी बाहों में समेट कर उसको किस किया और कहा के करना पड़ता है. अच्छे काम के लिए झूट भी बोलना पड़ता है. इस पर दोनो खुल कर हंस दिए. मैने उसको अपना प्राइवेट वाला मोबाइल नंबर दिया और कहा के जब भी उसको कुच्छ भी चाहिए हो वो मुझे फोन कर दे पर स्कूल टाइम के बाद. वो बोली के ठीक है. सबसे आख़िर में मैने उसको आंटी प्रेग्नेन्सी वाली टॅबलेट दी और कहा के कल नाश्ते के बाद इस्सको खा ले. समझा भी दिया के ये क्या है. वो प्रशंसा भरी नज़रों से मुझे देख कर बोली के हर बात का पूरा ख़याल रखते हो. मैने कहा के नही रखूँगा तो मुश्किल नही पड़ जाएगी?
फिर मैने बहुत ही बेमन से अरषि से विदा ली और चला आया. कार गेट के पहले ही रोक कर मैं उतरा और राम सिंग के पास गया और मुस्कुराते हुए उसको बोला के मैं तुमसे बहुत नाराज़ हूँ तुम मुझे अपना नही समझते. वो एक बार तो घबरा गया पर मुझे मुस्कुराता देख कर हिम्मत कर के बोला के ऐसा क्या हो गया साहिब. तो मैने कहा के अरषि को कंप्यूटर की ज़रूरत थी और तुमने मुझे क्यों नही बताया. यह तो अच्छा हुआ के अरषि को आज एक काम करना था और वो मेरे होते हुए ही वहाँ आ गयी. मुझे पता भी लग गया के वो कितनी समझदार है और ये भी के तुम मुझे अपना नही समझते. राम सिंग सर झुका के बोला साहिब ऐसी कोई बात नही है पहले ही आपसे बहुत कुछ माँग चुक्का हूँ. मैने उसको प्यार से डांटा और कहा के उसको ऐसा कहते हुए शरम आनी चाहिए. मैने कभी अपने लिए काम करने वालों को नौकर नही समझा और हमेशा ऐसा ही बर्ताव किया है उनके साथ जैसे के वो मेरे घर के सदस्य हैं. खैर अरषि को अभी इसी कंप्यूटर पे यहीं काम करना होगा लेकिन अगले महीने इसकी जगह नया कंप्यूटर आने ही वाला है फिर ये कंप्यूटर वो घर ले जा सकती है. और हां ध्यान रखना वो तुमको बता देगी अगर उसको कोई मुश्किल आ रही होगी या उसको कुच्छ समझाना होगा और मैं जब यहाँ पर आता हूँ तो तुम उसको बता देना वो आके समझ लेगी. ठीक है?
राम सिंग ने सर हिला के कहा के हां, भावुकता में उसके मुँह से शब्द नही निकल पाए. मैं भी सर हिला के वहाँ से चला आया. घर पहुँच कर मैने चेंज किया और जल्दी खाना लगाने के लिए कह दिया. खाना खाने के बाद मैं बिस्तर के हवाले हो गया और इतनी अच्छी नींद आई के बता नही सकता.
बीस-एक दिन ऐसे ही बीत गये, बिना किसी एक्सट्रा करिक्युलर आक्टिविटी के. फिर एक दिन मैं स्कूल से आ कर खाना खा के बैठा ही था और बोर हो रहा था के मेरे प्राइवेट वाले मोबाइल की घंटी बजी. मैं चौंक गया और जल्दी से फोन उठाया और देखा के अरषि का फोन है. आप कब आ रहे हो, उसने पूछा. मैने कहा क्या बात है कुच्छ खास. तो वो बोली के खास नही भी और है भी. मैने कहा के क्या मतलब है? वो बोली के आ जाओ तभी बता सकूँगी, ऐसे नही बता सकती. मैने कहा के ठीक है बोलो कब आना है. वो बोली के हो सके तो आज ही. मैने टाइम देखा तो अभी 3-00 ही बजे थे. मैने कहा के आता हूँ आधे घंटे में पहुँच जवँगा..
मैं कपड़े पहन कर तैयार हुआ और फार्म हाउस को चल पड़ा. वहाँ पहुँच कर राम सिंग ने मुझे बताया के अरषि 2 दिन से मेरी राह देख रही है. तो मैने कहा के ठीक है उसको जल्दी से भेज दो फिर अगर मैने अपना काम शुरू कर दिया तो उसको टाइम नही दे सकूँगा. उसने कहा के ठीक है. मैं कार को अंदर ले आया और वो मेरे पीछे गेट लॉक कर के अपने घर की ओर चला गया अरषि को बुलाने के लिए. मैने अंदर आकर मेन डोर लॉक किया और अपने बेडरूम में चला गया. फिर मैने सोचा के मुझे कंप्यूटर पर ही बैठना चाहिए. क्योंकि अगर अरषि के साथ कोई आ गया तो शक ना हो जाए के बेडरूम में क्यों आई है. मैं कंप्यूटर पर आके बैठ गया और दरवाज़ा भी खुला रहने दिया.
थोड़ी ही देर में अरषि ने एंटर किया और आके मेरे पास चुपचाप खड़ी हो गयी. मैने उसकी पीठ पर हाथ फेरा और उसको पूछा के बोलो क्या बात है? वो बोली के एक ग़लती हो गयी है. क्या, मैने कहा तो वो बोली के कहाँ से शुरू करूँ. मैने कहा के शुरू से ही शुरू करो. वो बोली के ठीक है मैं शुरू से ही बताती हूँ. इसके बाद जो उसने बताया वो उसके शब्दों में इस प्रकार है.
मेरी एक छ्होटी बेहन है अदिति. वो मुझसे केवल एक साल छ्होटी है इसलिए हम दोनो बहनें कम और सहेलियाँ ज़्यादा हैं और एक दूसरी के साथ सारी बातें कर लेती हैं. अभी कुच्छ दिन पहले जब हम सेक्स के बारे में बातें कर रही थीं तो अचानक मेरे मुँह से निकल गया के मैं सब जानती हूँ तो उसने मेरी बात पकड़ ली के कैसे जानती हो और मेरे पीछे पड़ गयी के बताओ ना तो मुझे बताना पड़ा पर मैने यह नही बताया के कौन, कब और कहाँ लेकिन बाकी उसे सब बता दिया है. यह 2 दिन पहले की बात है और तभी से वो मेरे पीछे पड़ी है के उसको भी मिलवाऊं नही तो वो मम्मी को बता देगी. अब आप ही बताओ के क्या किया जाए, उसने रात तक का टाइम दिया है और वो रात को मम्मी को सब बता देगी.
क्रमशः...........
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