Raj sharma stories चूतो का मेला
12-29-2018, 02:26 PM,
#3
RE: Raj sharma stories चूतो का मेला
जैसे ही मैने वो पॅकेट खोला मेरी आँखे खुली की खुली रह गयी , उसमे से ब्रा –पैंटी निकले मतलब कि मेरा वाला पॅकेट बिम्ला के पास रह गया था अब तक तो उसने खोल भी लिया होगा और उन किताबों को देख भी लिया होगा यार ये तो बड़ी मुश्किल हुई अब कैसे उस से नज़रे मिला पाउन्गा मैं . क्या सोचेगी वो मेरे बारे मे कही घर वालो से ना कह दे सारी रात इसी बारे मे सोचते हुवे आँखो आँखो मे कटी अपनी अब करे क्या कुछ समझ ना आया तो फिर सो गये.

अगली सुबह जब मैं कॉलेज के लिए निकल रहा था तो बिम्ला बाहर चूल्‍हे पर रोटियाँ पका रही थी उसने झलक भर मुझे देखा और हल्का सा मुस्कुरा दी पर मैं जल्दी से निकल गया ,कॉलेज वाले मोड़ पर ही मुझे नीनु मिल गयी मुझे देख कर अपनी साइकल से उतर गयी और मेरे साथ चलने लगी वो उसने बातों बातों मे मेरा धन्यवाद किया मैने कहा उसकी क्या ज़रूरत भला तो वो बोली – तुम मेरे साथ घर तक गये शुक्रिया तुम्हारा और बाते करते हुए हम लोग कॉलेज की तरफ बढ़ने लगे

ये मेरे लिए पहली बार था जब कोई लड़की आगे से मुझसे बात कर रही थी वरना अपनी तरफ कोई देखता भी तो क्यो. क्लास मे अभी स्टूडेंट्स आने शुरू नही हुवे थे जो दो-चार आ गये थे वो बाहर थे, मैने कहा लगता है आज मैं जल्दी आ गया नीनु बोली- हाँ शायद 

मैं भी बात को आगे बढ़ाते हुवे मैने पूछा- तुमको डर नही लगता क्या इतने सुनसान रास्ते से अकेले आते जाते हुवे ,
नीणू- डर क्यो लगेगा और फिर मैं अपनी सहेलियो के साथ आती जाती हूँ वो तो कल ही रुकना पड़ा
मैं- अच्छा अच्छा उनका तो मुझे ध्यान ही नही रहा
अब और भी स्टूडेंट्स आने लगे थे तो नीनु बाहर चली गयी अपन भी कुछ देर बाद बाहर चले गये उस दिन पता नही क्यो बार बार मेरी नज़रे नीनु की ओर ही जा रही थी चोरी छिपे बस मैं उसको ही देखे जा रहा था मेरे दोस्तो ने टोका भी मुझे कि क्या बात है आज ध्यान कहाँ है तेरा अब उनको क्या बता ता मैं कि मेरा ध्यान कहाँ पर है मुझे खुद नही पता था छुट्टी होने के बाद मैं घर को आया शाम को मैं बाहर जा रहा था तो बिम्ला से टकरा गया
वो बोली- कहाँ जा रहे हो
मैं- बस घर ही जा रहा हूँ
बिम्ला- ज़रा मेरे साथ आना
मैं थोड़ा सा घबराते हुवे- अभी मुझे काम है बाद मे आ जाउन्गा
बिम्ला ने मेरा हाथ पकड़ा और खीचते हुवे अपने साथ ले गयी और कमरे मे ले जाकर बोली – वो कल जब हम बाजार गये थे तो शायद मेरा एक पॅकेट तुम्हारे पास रह गया है तो वो वापिस कर देना
मैं- जी मैं देख लूँगा
बिम्ला- कोई परेशानी है क्या कुछ सूने सूने से लग रहे हो
मैं- नही, बस ऐसे ही
बिम्ला- चलो कोई बात नही मैं रात को छत पा आउन्गि तब मेरा पॅकेट दे देना
मैने सोचा कि मैं भी अपनी किताब माँग लेता हूँ पर फिर हिम्मत ही नही हुई और ना ही उसने कोई जिकर किया तो फिर मैं घर पर आ गया.

रात रोशन हो रही थी धीरे धीरे बिम्ला अभी छत पर नही आई थी मैने अपन बिस्तर बिछाया , पानी का जग रखा साइड मे और लेट गया उपर आसमान मे चाँद चमक रहा था, अपनी चाँदनी को बिखेरते हुवे हवा चल रही थी गरमी की सदा को लिए अपने साथ बेशक रात थी पर उमस दिन जैसी ही थी करीब दस बजे बिम्ला छत पर आई तो मैं भी उठ कर मुंडेर पर चला गया . मुझे देख कर वो मेरी साइड आई और बोली- सोए नही क्या अभी तक
मैं-गर्मी बहुत है तो नींद नही आ रही



बिंला- हाँ वो तो है
मैं- ये लो आपका पॅकेट
बिम्ला- खोल के तो नही देखा ना
मैं- खोल लिया था पर तभी रख दिया था
बिम्ला- बड़े शैतान हो गये हो तुम, मैं तो तुम्हे बड़ा शरीफ समझती थी पर तुम तो पक्के वाले बदमाश हो गये हो
मैं चुप ही रहा
बिम्ला- कोई दोस्त है तुम्हारी
मैं- कुछ नही बोला
बिम्ला- अब शरमाओ मत , वैसे भी मुझसे शरमाने की कोई ज़रूरत है नही तुमको बताओ कोई दोस्त है तुम्हारी
मैं- नही, नही है अब मेरी तरफ कॉन देखेगा
बिम्ला- भला ऐसा क्यो
मैं- बस ऐसे ही
बिम्ला- हूंम्म्मममममम
मैं- आप ये सब क्यो पूछ रही हो
बिम्ला- बस ऐसे ही करो ट्राइ किसी से दोस्ती करने की कोई ना कोई तो पट ही जाएगी
मैं- नही मैं ऐसे ही ठीक हूँ
बिम्ला- क्यो भला, अब तुम भी जवान हो गये हो कोई तो अच्छी लगती होगी तुमको भी मुझसे क्या शरमाना बताओ मुझे
मैं- मुझे तो बस आआआआआआआआआअ नही कुछ नही
बिम्ला- ओह हो तो अब शरम आ रही है जब ऐसी करतूते करते हो तब शरम नही आती है तुमको अब देखो कैसा भोला पन टपक रहा है चेहरे से
मैं कुछ नही बोला
बिम्ला- अब इतने भोले भी ना बनो और बताओ

मैं- क्या बताऊ , दिल तो करता है पर डर भी लगता है और फिर मेरी तरफ कोई देखती भी नही

बिम्ला-इसका ये मतलब तो नही कि किसी से दोस्ती ना कर सकोगे

मैं-अब कोई नही करती दोस्ती तो इसमे मैं क्या कर सकता हूँ
बिम्ला- कभी कह के तो देखो किसी को फिर बताना
मैं- आआप जब इतना ही कह रही हो तो फिर आप ही कर्लो ना फ्रेंडशिप आख़िर मेरे मूह से अपने मन की बात निकल ही गयी
बिम्ला- मेरी और आँखे फेरते हुवे बड़े बदमाश हो गये हो सीधा मुझ पर ही लाइन मार रहे हो अपनी उमर देखो मेरी उमर देखो शरम नही आई तुम्हे
मैं- अब देखलो जब आप ने ही मना कर दिया तो फिर और कोई होती वो भी मना कर देती
बिंला- ऐसा नही है भोन्दु
मैं- फिर कर्लो दोस्ती
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RE: Raj sharma stories चूतो का मेला - by sexstories - 12-29-2018, 02:26 PM

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