RE: Hindi Lesbian Stories समलिंगी कहानियाँ
यार बना प्रीतम - भाग (14)
गतान्क से आगे.......
प्रदीप तो मेरी चप्पल खा'कर पागल सा हो गया था. मुझे पटक'कर मेरे ऊपर चढ गया और अपना लंड मेरी गुदा पर रख कर पेल'ने लगा. माजी हंस'ने लगी.
देखो कैसा उतावला हो गया है, अरे पहले ज़रा बहू के शरीर को मसलना कुचलना था. खैर, तेरी बेताबी मैं समझ सक'ती हूँ. मार ले उसकी, अपनी आग शांत कर ले, फिर मिल'कर आराम से खेलेंगे इस गुड़िया से.
प्रदीप के पेल'ने के बावजूद उसका लंड मेरी गान्ड में नहीं घुस रहा था. उधर मैं दर्द से बिलबिलाता हुआ तडप रहा था क्योंकि गान्ड में बहुत दर्द हो रहा था. मेरी हालत अजीब सी थी, एक तरफ मैं किसी नवविवाहित वधू जैसा अप'ने पति से चुद'ने को बेताब था, वहीं उस घोड़े से लंड को देख'कर डर से अधमरा हो गया था. प्रीतम मेरी परेशानी देख'कर बोला.
भैया, ये ऐसे नहीं जाएगा. महीने भर से मैने भाभी को नहीं चोदा है. आराम मिल'ने से अब उस'की गान्ड फिर कुँवारी चूत सी कसी हो गयी है. मक्खन लगा लो नहीं तो माधुरी मर जाएगी.
वह जा'कर मक्खन ले आया. माजी ने मेरी गुदा में और प्रीतम ने अप'ने भाई के लंड में मक्खन लगाया. मक्खन लगाते हुए प्रदीप के लंड को चूम कर प्रीतम बोला.
आज तो यह गजब ढा रहा है यार! सुहागरात ना होती तो मैं कह'ता कि मेरी ही मार लो प्लीज़! उधर माजी बड़े प्यार से दो उंगलियों से मक्खन के लॉंड के लौंदे मेरी गान्ड में भर रही थी. माजी ने मेरे चूतड पकड़'कर कस के चौड़े किए.
देख बेटे, कैसा गुलाब की कली सा च्छेद है, पेल दे अब. प्रदीप ने जैसे ही अप'ने लंड को पकड़ा और बेरहमी से मेरी गान्ड में सुपाड़ा उतार दिया. पक्क की आवाज़ के साथ मेरा छल्ला चौड़ा हुआ और मुझे इतना दर्द हुआ कि मैं रो पड़ा और हाथ पैर फेकते हुए चीख'ने लगा.
आख़िर सील टूटी साली की. प्रीतम इधर आ और हाथ पकड़ हरामजादी के, बहुत छटपटा रही है प्रदीप मस्त होकर बोला. माजी ने मेरे पैर पकड़ लिए और प्रीतम ने हाथ. प्रीतम ने पूचछा.
मुँह बंद कर दूं भाभी का? माजी बोलीं.
अरे नही, चिल्ला'ने दे, मज़ा आएगा. सुहागरात में बहू रोए तो मज़ा आता है. इससे पता चल'ता है कि असल में चुदी या नहीं! मैं इस'की दर्द भरी चीख सुनना चाह'ती हूँ. जब मेरे बेटे का लॉडा इस'की गान्ड चौडी करेगा, तो ये कट'ती मुर्गी जैसी चिल्लानी चाहिए. तब मैं समझूंगी कि इस अप्सरा को तूने ठीक से भोगा है. वैसे फाड़ तो नहीं देगा रे प्रदीप बहू की गान्ड? नहीं तो कल ही टाँके लगवा'ने पडेन्गे. आगे ढीली ढाली गान्ड मार'ने में क्या मज़ा आएगा?
नहीं मा, ऐसे थोड़े फटेगी! साली पूरी चुदक्कड है. देख अब इस'की कैसी दूरगत कर'ता हूँ! कह'कर प्रदीप ने आगे लंड पेलना शुरू किया. मैं दर्द से चीख'ने लगा. आज सच में मेरी गान्ड ऐसे दुख रही थी जैसे कोई घूँसा बना कर हाथ डाल रहा हो. अब मेरा लंड भी बैठ गया था. सारी मस्ती उतर गयी थी. आँखों से आँसू बह रहे थे. प्रदीप ने और ज़ोर लगा'कर जब तीन चार इंच लॉडा और मेरी गान्ड में उतार दिया तो मैं बेहोश होने को आ गया.
अरे अरे, बेहोश हो रही है बहू. फिर क्या मज़ा आएगा इस'के बेजान शरीर को छोड़'कर. प्रदीप, उस'की चूची मसल, अभी जाग जाएगी. मा की इस सलाह पर प्रदीप ने मेरी चूची पकड़'कर ऐसे कुचली की दर्द से बिलबिला'कर मैं फिर होश में आ गया और हाथ पैर पटक'ने की कोशिश कर'ने लगा.
अब ठीक है, डाल दे पूरा लंड अंदर. मा ने कहा. प्रदीप ने मेरे चूतड पकड़े और घच्छसे पूरा एक फुट लॉडा मेरे चूतडो के बीच गाढ दिया.
मैं ऐसे चिल्लाया जैसे हलाल हो रहा हू! मेरे दर्द की परवाह ना कर'के प्रदीप मेरे ऊपर चढ गया और मेरी चूचियाँ हाथ में पकड़'कर बोला.
अब हट जाओ मा. प्रीतम तू अब जा और मा को चोद ले. मुझे अपनी पत्नी को चोद'ने दे ठीक से. अब देख मैं कैसे इस रंडी की गान्ड का भूर'ता बनाता हूँ. और मेरी रबड की ब्रा में कसी चूचियाँ मसल मसल कर वह मेरी गान्ड मार'ने लगा.
अगले आधे घंटे मेरी जो हालत हुई, मैं कह नहीं सकता. मैं रोता बिलख'ता रहा और मेरा पति हांफ'ता हुआ ऐसे मेरी गान्ड मार'ता रहा जैसे पैसा वसूल कर'ने किसी रंडी पर चढ़ा हो. मुझे ऐसा लग रहा था कि किसीने पूरा हाथ मेरे चूतडो के बीच गाड़ दिया हो और उसे अंदर बाहर कर रहा हो. आज मुझे पता चल गया था कि हलाल होते बकरे को कैसा दर्द होता होगा या फिर भयानक बलात्कार की शिकार कोई युव'ती क्या अनुभव कर'ती होगी!
उधर प्रीतम अपनी मा पर चढ कर उसे चोद रहा था. माजी भी चूतड उच्छाल उच्छाल कर अप'ने छोटे बेटे से चुदवा'ती हुई बड़े बेटे को शाबासी दे रही थी.
बस ऐसे ही बेटा, दिखा दे बहू को चुदाई क्या होती है! प्रीतम ने तो बड़े प्यार से मारी होगी इस'की गान्ड! अब ज़रा यह देखे की असली गान्ड मराना किसे कहते हैं. आज यह ऐसी चुदनी चाहिए कि जनम भर याद रखे कि बहू का स्वागत कैसे किया जाता है
आख़िर प्रदीप एक हुंकार के साथ झड और हांफ'ता हुआ मेरे ऊपर लेट कर आराम कर'ने लगा. मा और प्रीतम मेरी यह निर्मम चुदाई देख'कर पहले ही झड चुके थे. उन'की वासना शांत होने पर अब वे मुझसे थोड़ा नरमी का बर्ताव कर'ने लगे.
बाहू, ठीक से चुदी या नहीं तू या कोई तमन्ना बा'की है? माजी ने पूच्छा. मुझे रोते देख'कर तरस खा'कर बोलीं.
बहुत अच्छा चोदा तूने प्रदीप इसे, इस'की खूबसूर'ती के लायक इसे भोगा, पर अब इसे ज़रा पानी पिला दे. बेचारी को प्यास लगी होगी. और प्रीतम ज़रा अपनी भाभी के लंड पर ध्यान दे, देख कैसा मुरझा गया है. ज़रा मज़ा दिला उसे. तब तक मैं प्रदीप को शहद चखा'ती हूँ. प्रदीप मज़ा आया बेटे?
मस्त मुलायम गान्ड है मा माधुरी की. प्रीतम तू सही बीवी लाया है चुन कर मेरे लिए. अब देखना कैसे इस काली को मसल मसल कर इसका भोग लगाता हूँ. इस'की मलाई चख'ने का मन हो रहा है अब. प्रदीप मेरे गुदा में से लौड खींचते हुए बोला.
माजी ने प्रदीप का मुँह अपनी चूत में डाल लिया और उसे अप'ने बुर के पानी और प्रीतम के वीर्य का मिला जुला अमृत पिला'ने लगीं. मैं अब सोच रहा था कि काश मैं उस'की जगह होता. प्रदीप का लंड निकल जा'ने के कारण अब मेरी गान्ड में होती भयानक यातना कम हो गयी थी फिर भी गान्ड तन तन दुख रही थी. प्रीतम ने पहले प्रदीप का लंड चूस कर साफ किया. फिर वह मेरे गुदा पर मुँह लगा'कर अंदर का माल चूस'ने लगा. मुँह उठा'कर बोला.
वाहा, भाभी की मुलायम गान्ड में से भैया का वीर्य चख'ने का मज़ा ही कुच्छ और है मा. वह साथ में मेरे लंड को सहला रहा था. उसे मालूम था कि मुझे क्या अच्च्छा लग'ता है और उस'के अनुभवी हाथों ने जल्द ही मेरा लंड ख़ड़ा कर दिया. लंड खड होने के बाद गान्ड का दर्द मुझे अब इतना जान लेवा नहीं लग रहा था.
प्रदीप आख़िर अपनी मा की चूत पूरी चाट कर उठा और मेरा सिर अपनी गोद में लेकर लेट गया. मेरे मुँह में अपना मुरझाया लंड पूरा डालते हुए बोला.
माधुरी रानी, चल अब अप'ने पति का शरबत पी ले. ख़ास तेरी प्यास बुझा'ने को मैने बनाया है. फिर वह मेरे सिर को अप'ने पेट पर भींच कर मेरे मुँह में मूत'ने लगा.
उस'ने दस मिनिट मुझे अपना मूत पिलाया. लग'ता है घंटों वह मूता नहीं था. मैने आँखें बंद कर'के चुपचाप अप'ने स्वामी का मूत पिया. वह खारा गरमागरम मूत मुझे बहुत अच्च्छा लग रहा था. मेरे चेहरे पर के भाव देख'कर प्रदीप और माजी बहुत खुश हुए.
सच बड़ी अच्छी ट्रेनिंग दी है प्रीतम ने अपनी भाभी को. कैसे पी रही है जैसे भगवान का प्रसाद हो! माजी बोलीं.
प्रदीप का मूत पीने के बाद प्रीतम और माजी ने भी अपना अपना मूत मुझे पिलाया. प्रीतम ने तो वैसे ही लॉडा मुँह में देकर पिलाया पर माजी ने खड़े होकर मुझे अपनी टाँगों के बीच बिठा'कर मेरे मुँह में मूता जैसे कोई देवी साम'ने बैठे भक्त पर अहसान कर रही हो. पहले चेतावनी भी दी.
बहू, अगर ज़रा भी नीचे गिराया तो आज तेरी टाँगें तोड़ दूँगीं. अपनी सासूमा का यह बेशकीम'ती उपहार मन लगा कर पी. मैं जब बिना छलकाए सारा पी गया तो वे बहुत खुश हुईं. मेरा पेट अब लबालब भरा था और मुझे डकार आ रही थी. तीनों मिल'कर यह सोच'ने लगे कि अब मेरे साथ क्या किया जाए?
इसे कुच्छ खिला दो अब . माजी का आग्रह था. पर प्रीतम ने कहा कि अभी अभी मूत पिया है, पेट भरा है, ठीक से माधुरी खा नहीं पाएगी.
तो कोई ऐसी चीज़ खिला जिसे खा'ने में टाइम लगे. फिर खा लेगी. प्रदीप, तेरी चप्पलें इसी लिए तो रखी हैं? चल तैयार हो जा. बहू चप्पालों की कितनी शौकीन है, मैं जान'ती हूँ इस'लिए वैसे किसी की भी चप्पलें खिला सकते हैं पर आज की सुहागरात में तो पति का ही प्रसाद मिले तो अक्च्छा है. माजी ने प्रदीप को कहा. वह अपनी चप्पलें हाथ में लेकर तैयार हो गया.
हां मा, अपनी दुल्हन के लिए यह तोहफा तो मैने मन लगा'कर तैयार किया है. महीने भर से पहन कर इन्हें चिकना कर दिया है. मेरे पैरों का पसीना भी इन'में भीं गया है, मेरी रानी को खूब स्वाद आएगा.
ठहरो भैया, तुम'ने इसका एक छेद तो चोद डाला, अब दूसरा चोदो. मुँह चोद डालो, मस्त पूरा घुसेड कर पेट तक उतार दो. बहुत अच्छी चुद'ती है यह लौंडा मुँह में, अभी ठीक से सीखी नहीं है इस'लिए गोंगिया'ती है, बहुत मज़ा आता है. तब तक मैं अपनी भाभी की गान्ड मार लेता हूँ. आख़िर इस'की सुहाग रात है, गान्ड खूब चुदनी चाहिए नहीं तो सोचेगी कि कैसे लोग हैं, बहुओं को ठीक से चोदना भी नहीं जानते. और माधुरी मा की गान्ड मार ले तब तक! आख़िर बहू से गान्ड मरा'ने में जो मज़ा है, वह मा भी चख ले ज़रा. प्रीतम ने सुझाव दिया.
प्रदीप को बात जच गयी. चप्पलें बाजू में रख कर उस'ने अपनी मा को बिस्तर पर लेट'ने को कहा. माजी अपनी पहाड सी गान्ड ऊपर कर'के लेट गयीं. मुझे उनपर चढ़ा दिया गया और मेरा लंड उन'की गान्ड में घुसेड दिया गया. काफ़ी फुकला गान्ड थी मेरी सासूमा की, आख़िर दो दो बेटों के मतवाले लंडों से सालों चुदी थी. पर उस मुलायम छेद का मज़ा ऐसा था कि मैं तुरंत अपनी सास की गान्ड मार'ने लगा. प्रीतम मेरे ऊपर चढ गया और मेरी गान्ड मार'ने लगा. उस'के प्यारे जा'ने पहचा'ने लंड के अप'ने गुदा में होते स्पर्श से मुझे बहुत अच्च्छा लगा.
प्रदीप मेरे साम'ने बैठ गया और अपना झाड़ा लंड मेरे मुँह में डाल'कर मेरा सिर अप'ने पेट पर दबा'कर हमारे साम'ने बैठ गया.
चलो शुरू हो जाओ अब . अगले आधे घंटे यह सामूहिक चुदाई चल'ती रही. मैं माजी के मम्मे दबाता हुआ उन'की गान्ड मार रहा था और प्रीतम मेरी. धीरे धीरे प्रदीप का लंड खड़ा हुआ और मेरे गले में समा'ने लगा.
जल्द ही मैं दम घुट'ने से छटपटा रहा था. मेरे पति का एक फूटिया लंड मेरे सीने तक उतर गया था. अब मैं हाथ पैर मार'कर छूट'ने की कोशिश कर रहा था. मेरा गला दुख रहा था और साँस रुक गयी थी. मैं साँस लेने की कोशिश करते हुए चीख भी रहा था पर मुँह से सिर्फ़ 'आम' 'आम' 'अघ' ऐसी आवाज़ निकल रही थी. बीच में मुझे लगा कि अब मैं मर जाऊँगा. किसी तरह हाथ पैर फटकार'ता हुआ रोता बिलख'ता मैं तडप'ता रहा पर वे तीनों मा बेटे मुझसे ऐसे चिपटे रहे जैसे उन्हें कोई परवाह नहीं है कि मैं जिऊ या मरूं, और मुझे भोगते रहे.
आख़िर मेरे झड'ने के बाद वे रुके. प्रीतम और प्रदीप ने अप'ने अप'ने तन्नाए लंड मेरी गान्ड और मुँह से निकाले और बारी बारी से अपनी मा की गान्ड में से मेरा वीर्य चूसा. मैं हांफ'ता हुआ अधमरा साँस लेने की कोशिश कर'ता हुआ लस्त पड़ा रहा. माजी उलाहना देते हुए बोलीं.
तुम लोग झाडे नहीं बहू के शरीर में? अब तो मौका आया है दुल्हन की असली चुदाई का मा! जब तक यह चप्पल खाएगी, हम लगातार इस'की गान्ड मारेंगे. एक मिनिट को भी इस'की गान्ड में लंड चलना बंद नहीं होना चाहिए. आख़िर हमारे खानादान की इज़्ज़त का सवाल है. सुहागरात में बहुएँ बिना रुके रात भर चुदाना चाहिए ऐसी प्रथा है हमारे यहाँ मा. प्रीतम अपनी मा की चूचियाँ दबाता हुआ बोला.
कितनी फिकर है मेरे जवान बेटों को अपनी बाहू के सुख की! मा भाव विभोर होकर बोलीं.
क्रमशः................
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