RE: Hindi Lesbian Stories समलिंगी कहानियाँ
यार बना प्रीतम - भाग (6)
गतान्क से आगे........
चल आधी तो ले ली, आज रह'ने दे, पर मा कसम, पूरी चप्पल तेरे मुँह में कभी ना कभी ठूनसावा कर ही रहूँगा. दोनों पट्टे और आधी चप्पल मेरे मुँह में थे जिन्हें मैं पूरी शक्ति से चबाते हुए चूस रहा था. अपना मनचाहा सपना पूरा होने के कारण इतनी वासना में मैं डूबा हुआ था की मेरी आँखें पथारा गयी थी. मेरे ये कारनामे देख'कर प्रीतम का लंड मचल'कर मेरी गान्ड में और गहरा घुस गया. आख़िर उससे ना रहा गया और वह मुझे वहीं सोफे पर पटक कर मेरे ऊपर चढ बैठा. अपनी दूसरी चप्पल उस'ने मेरे लौडे से निकाल कर मेरे ओन्धे चेहरे के नीचे तकिया बना'कर रख दी और हुमक हुमक कर मेरी गान्ड मार'ने लगा.
पूरे प्रयास के बावजूद वह अप'ने आप पर कंट्रोल नहीं कर पाया और दस मिनिट में ही झड गया. मेरा लंड अब इतना उत्तेजित था कि उस'के पूरा झडते ही मैं उसे हट'कर उठ बैठा और उसे पलट'कर उसपर चढ'ने की कोशिश कर'ने लगा.
दस मिनिट रुक यार, मुझे दम लेने दे, फिर मैं जैसे कहूँ वैसे मार मेरी गान्ड . आज तेरे इस मस्ता'ने लौडे से मन भर कर मरावाऊंगा. बस थोड़ा लंड खड़ा हो जा'ने दे मुझे रोकते हुए प्रीतम बोला. तब तक मैं चप्पल मुँह में लिए चूस'ता रहा और प्रीतम के भारी भरकम चूतड सहलाता रहा. उस'की गान्ड में मक्खन लगाया और उस'ने मेरे लंड को चिकना किया. जब उसका लंड फिर कुच्छ उठ'ने लगा तो वह उठा और सोफे की पीठ पकड़'कर झुक'कर खड़ा हो गया.
अब डाल यार अंदर धीरे धीरे और मार मेरी खड़े खड़े अपनी गान्ड ढीली कर'ता हुआ वह बोला. मैने तुरंत उस'की गान्ड में लंड डाल दिया. धीरे धीरे नहीं, एक ही बार में सॅट से. वह थोड़ा हुमका और फिर बोला.
चल कोई बात नहीं, आज तो तू तैश में है, पर राजा कल से धीरे धीरे डालना और घंटे भर मारना. आज भी कम से कम आधे घंटे मार यार नहीं तो सब मज़ा किरकिरा हो जाएगा. उस'के चूतड पकड़'कर पंजों के बल खड़े होकर मैने उस'की मारना शुरू कर दी. पहले स्ट्रोक थोड़े धीमे थे पर फिर उस'के कह'ने से मैं घचाघाच चोद'ने लगा. मेरा पेट बार बार उस'के नितंबों से टकराता और फॅक फॅक फॅक आवाज़ होती. बीच बीच में मैं रुक जाता जिससे झड ना जाउ. अति वासना के बावजूद अब मैं अप'ने आप पर कंट्रोल कर पा रहा था इस'लिए उस'की खूब देर मार पाया जैसी उस'की इच्च्छा थी.
सारे समय प्रीतम की चप्पल मेरे मुँह में थी जिसे मैं चूस और चबा रहा था. कुच्छ देर बाद वह खुद ही चल'कर दीवार से मुँह के बल सॅट कर खड हो गया और मुझसे खड़े खड़े गान्ड मरवाई. आख़िर इसी आसान में मैं झड गया. अपनी चप्पल जब उस'ने मेरे मुँह से निकाली तो चूस चूस कर मैने बिलकुल सॉफ कर दी थी. उसपर जगह जगह मेरे दाँतों के गहरे निशाम. भी बन गये थे. उसे देख'कर वह बोला.
हाय मेरी जान, इतनी अच्छी लगी अप'ने सैंया की चप्पल? तू फिकर मत कर, अब रात को तो ऐसे आसान से तुझे चोदून्गा कि तू खुश हो जाएगा. थक कर मैं पलंग पर लेट गया. प्रीतम मेरे पास बैठ गया और मेरे पैर उठ'कर अपनी गोद में रख लिए. मैं अपनी चप्पलें पहना हुआ था. मेरे पैरों और तलवों को सहलाता हुआ प्रीतम बोला.
यार तू तो बड़ा सुंदर है ही, तेरे पैर भी बड़े खूबसूरत हैं. एकदम चिक'ने और कोमल, तलवे तो देख, बच्चों जैसे गुलाबी हैं. और मेरे पैर उठ'कर वह उन्हें चूम'ने लगा. मैं सुख से सित्कार उठा. मेरे पैरों को चप्पलो समेत वह चूम रहा था. बीच में मेरी चप्पलें भी चाट लेता. मेरी उंगलियों को भी उस'ने मुँह में ले'कर चूसा. उसका एकदम तन्ना'कर खड़ा हो गया था.
मुझसे ना रहा गया. मैने प्रीतम के पैर खींच'कर अप'ने मुँहासे लगा लिए और उन्हें बेताशा चूम'ने और चाट'ने लगा. उस'के पैर बड़े थे, पर एकदम चिक'ने और साफ. मुझे उस'के गोरे तलवे चाट'ने में बहुत मज़ा आया. हम दोनों फिर मस्त हो गये थे. चुदाई का एक नया दौर शुरू होने ही वाला था. पर फिर प्रीतम ने उठ'कर कहा.
अभी नहीं यार, अब बाद में. शाम को मैं तेरे पैरों को छोड़ूँगा. अभी सो ले. नहीं तो चोद चोद कर हम दोनों बुरी तरह तक जाएँगे. वैसे तू क्यों चप्पल चटक'कर नहीं चलता, मेरी तरह? मैने कहा,
कोशिश तो की थी पर मुझे जम'ता नहीं प्रीतम बोला
पंजों के बल उचक उचक कर चल'ने की कोशिश कर, लड़कियों जैसी. मस्त चटकेंगी. एक दूसरे के लंड हम'ने चूस कर साफ किए और फिर कुच्छ देर आराम किया. घंटे भर सो भी लिए. मैं सो कर उठ तो वह पढ रहा था. वह पढाइ का भी पक्का था. शाम तक वह खुद पढ़ाता रहा और मुझे भी पढावाया. रात को हम'ने वहीं खाना बनाया. खाना खा'कर फिर पढ़ाई की और नहा'कर हम फिर कामक्रीड़ा में जुट गये. प्रीतम मुझसे बोला.
इधर आ यार चप्पल पहन'कर और इस स्टूल पर खड हो जा, दीवाल का सहारा ले कर. मुँह दीवाल की ओर कर'के मैं खड हो गया. बड़ी उत्सुक'ता थी कि मेरा यार अब क्या गुल खिलाएगा! वह खुद स्टूल के पास नीचे घुट'ने टेक कर बैठ गया.
अब अप'ने पंजों के बल खड हो जा. मेरी ऐडिया अब मेरी चप्पालों से ऊपर उठ गयी थी. बड़े प्यार से उस'ने अपना लंड मेरे पाँव के तलवे और चप्पल के बीच घुसेडा. फिर बोला.
अब नीचे हो जा. ख़ड़ा हो जा मेरे लौडे पर. अप'ने तलवे और चप्पल के बीच दबा ले. उस'के कड़े लंड के मेरे तलवों पर होते स्पर्श से मुझे मज़ा आ गया. मैं पैर हिला कर उस'की मालिश कर'ने लगा. मेरे पैर पकड़'कर प्रीतम अब अपना लंड मेरे तलवों और चप्पल के बीच पेल'ने लगा.
देख इसे कहते हैं पैरों को चोदना. बहुत मज़ा आता है, ख़ास कर जब तेरे जैसे चिक'ने पैरों वाला कोई मिल जाए. और तू पूरा वजन दे कर खड हो जा मेरे लंड पर, घबरा मत, मेरा लॉडा आराम से झेल लेगा. पैरों से दबा दबा कर मालिश कर उसकी मैं ऊपर नीचे होकर प्रीतम के लंड को पैर तले रौंद'ने लगा. जैसे मेरा पैर उठता, प्रीतम और पेल'ने लगता. एक चप्पल से मन भर गया तो उस'की दूसरी चप्पल में लंड डाल दिया. मेरे दोनों पैरों और चप्पालों को प्रीतम ने मन भर कर चोदा. झड'ने के करीब आ'कर रुक गया और बोला.
अब बंद करते हैं यार नहीं तो यहीं तेरी चप्पालों में झड जाऊँगा. वैसे उस'में भी मज़ा है, तुझसे चटवा कर सॉफ करा'ने में मज़ा आएगा. पर अभी तो मैं तेरी गान्ड मारूँगा. हम'ने अब अप'ने लंड और गुदा मक्खन से चिक'ने कर लिए की बीच में ना रुकना पड़े. मुझे गोद में लेकर प्रीतम मुझे प्यार कर'ने लगा.
कुच्छ देर की चूमा चॅटी के बाद उस'ने मुझे चित बिस्तर पर लिटाया और मेरे सीधे खंबे से खड़े लंड को प्यार से चूसा. चूसाते चूसाते वह उलटी तरफ से मेरी छा'ती के दोनों ओर घुट'ने टेक कर मेरे ऊपर आ गया. मुझे लगा कि लंड चुसवाना चाह'ता है पर थोड़ा सिमट'कर जब वह उकड़ू हुआ तो उस'के चूतड मेरे मुँह पर लहरा रहे थे. गांद का छेद खुल और बंद हो रहा था.
मैं समझ गया कि मुझसे गान्ड चुसवाना चाह'ता है. मैने उस'के नितंबों को दबाते हुए उसका गुदा चूसना शुरू कर दिया. उसे इतना मज़ा आया कि वह अपना पूरा वजन देकर मेरे मुँह पर ही बैठ गया. वह अपनी चप्पलें पहना हुआ था. चप्पलें भी मैं हाथ से पकड़'कर दबाता रहा.
दस मिनिट बाद वह उठा और झुक कर मेरे पेट के दोनों ओर पैर जमा कर तैयार हो गया. मेरी ओर मुँह कर के मेरा लंड उस'ने अप'ने गुदा पर जमाया और उसे अंदर लेता हुआ नीचे बैठ गया. मेरा लॉडा उस'की चिकनी खुली गान्ड में आसानी से घुस गया. पूरा लंड अंदर लेकर उस'के चूतड मेरे पेट पर टिक गये. प्रीतम ने फिर दोनों पैर उठ'कर मेरे चेहरे पर रखे और हाथ बिस्तर पर टेक कर ऊपर नीचे होते हुए खुद ही अपनी गान्ड मरा'ने लगा. चप्पलें पह'ने हुए उस'के पैर मेरे मुँह पर थे. उन'के तलवे मेरे गालों और मुँह पर रगड़'ता हुआ वह बोला.
ले अब यार, मन भर कर मेरी चप्पल चाट और चूस. मुँह में ले. मज़ा कर. मैं भी मन भर कर आराम से अपनी गान्ड से तेरे लंड को चोद'ता हूँ. मेरे लिए तो मानो खजा'ने का दरवाजा खुल गया. यहाँ प्रीतम की गान्ड का मुलायम तप'ता घर्षण मेरे लंड को अपूर्व सुख दे रहा था उधर मेरे मुँह पर टिके उस'के चप्पालों में लिपटे पैर मुझे मदहोश कर रहे थे. मैने हाथों से पकड़'कर उन्हें मुँह से लगा लिया और बेतहाशा चूम'ने और चाट'ने लगा. कभी उस'की चप्पल चाटता, कभी चप्पल का सिरा मुँह में लेकर चबाता और चूस'ता और कभी प्रीतम के तलवे चाट'ने लगता. बीच में उस'के पैरों की उंगलियाँ और अंगूठा मुँह में लेकर चूस'ने लगता.
प्रीतम ने तरसा तरसा कर आधे घंटे मुझे इस मीठी छुरी से हलाल किया और फिर ज़ोर ज़ोर से अपनी गान्ड से चोदते हुए मुझे झड़ाया. मैं इतनी ज़ोर से झाड़ा कि मेरा शरीर काँप गया. इस बार प्रीतम ने एक और करम मेरे ऊपर किया. मेरा स्खलन होने के बाद भी मुझे चोदना बंद नहीं किया, बल्कि ऊपर नीचे उच्छल'ता हुआ मेरे लंड को अप'नी गान्ड में लिए मरावाता रहा. लंड अब भी खड़ा था पर झड'ने के बाद सुपाड़ा बहुत संवेदनशील हो गया था. इस'लिए उसपर गान्ड का घर्षण मुझे सहन नहीं हुआ. जब भी वह ऊपर नीचे होता, मैं सिसकारी भरते हुए तडप तडप जाता पर वह हरामी हँसते हुए मेरे लंड को अपनी गान्ड की म्यान से रगड़'ता रहा. मुझे ऐसा निचोड़ा कि मैं किसी काम का नहीं रहा, करीब करीब बेहोश हो गया. वह तभी रुका जब मेरा लंड बिलकुल मुरझा कर उस'की गान्ड से बाहर आ गया.
मुझे ऑंढा पटक'कर उस'ने मेरी गान्ड मारना शुरू कर दी. चप्पलें उतार कर उस'ने मेरे मुँह के नीचे रख दीं और दोनों चप्पालों के पंजे मेरे मुँह में घुसा दिए. गांद मार'ने के साथ साथ वह लगातार चप्पालों को पकड़'कर मेरे मुँह में और अंदर ठेल'ने की कोशिश कर'ता रहा. लग'ता था कि पूरी जोड़ी मेरे मुँह में ठूंस देगा. गाल और जबड़े दुख'ने के बावज़ूद मैने भी चप्पलें चूस'ने का भरपूर मज़ा लिया. उन्हें मुँह में भर लेने की भी भरसक कोशिश की. जब प्रीतम आख़िर झाड़ा तो शांत होने पर मुझसे बोला.
मज़ा आ गया रानी. एक बात देखी तूने? आधी जोड़ी तेरे मुँह के अंदर है. देख, दोनों चप्पालों के पंजे और पट्टे तूने एक साथ मुँह में भर लिए हैं, सिर्फ़ ऐडिया बाहर हैं. इसका मतलब मालूम है मेरे यार? तू मेरी एक चप्पल पूरी मुँह में ले सक'ता है अब.
मैने भी गौर किया तो देखा सच था. मुझे चप्पलें चबाते हुए मरवा'ने में इतना मज़ा आया था कि मैने मन ही मन प्रण कर लिया कि रोज ऐसा ही करूँगा बल्कि मेरे यार की चप्पल खा जा'ने की कोशिश करूँगा. बस मौके का इंतजार था. प्रीतम के प्रति मेरी वासना इस हद तक बढ चुकी थी कि उस'की चप्पलें मेरे लिए स्वादिष्ट सेक्सी खाना बना गयी थी.
उस रात हम'ने एक बार और संभोग किया और फिर सो गये. यह सिक्सटी नाइन का आसन था और इस बार मैने उसका लंड काफ़ी हद तक मुँह में ले ही लिया. बस तीन चार इंच बाहर बचे होंगे. गले तक लंड निगल'कर चूसना और ख़ास कर गले में सुपाडे के कसी फिट होने से दम घुटना ये दोनों अनुभव बहुत मादक थे. प्रीतम ने तो आराम से मेरा लंड पूरा निगल कर चूसा. बोला.
अब जल्दी सिखाना पड़ेगा मेरी रानी को पूरा लॉडा मुँह में लेना. दूसरे दिन से हमारा जीवन धीरे धीरे एक कामुक'ता की लय में बँध गया. मैं प्रीतम की पत्नी जैसे उस'की सेवा कर'ने लगा. उस'के कपड़े धोता, सामान बटोर'ता और बा'की सब छोटे छोटे काम करता. सुबह प्रीतम मुझे संभोग नहीं कर'ने देता था क्योंकि कॉलेज जा'ने की जल्दी रह'ती थी. बस एक साथ नहाना, चूम चाटी करना, एक दूसरे के ऊपर मूतना इत्यादि बातें बाथ रूम में होती थी. नहाते समय मैं अपनी और उस'की चप्पलें धोता. उस'की पानी से गीली चप्पलें तो मैं चाट चाट कर और चूस कर सॉफ करता.
उन्हें मुँह में लेकर मेरा लंड ऐसा फड़फदाता की झड'ने को हो जाता. प्रीतम यह नज़ारा देख देख कर खूब गरम होता था और एक दो बार तो मेरी आशा बँध गयी थी कि शायद वहीं बाथ रूम में मुझे पटक कर वह चोद ले पर साला बड़ा कंट्रोल रख'ता था. सिर्फ़ छुट्टी के दिन बाथ रूम में ज़रूर संभोग होता था जब वह शवर के नीचे गोद में बिठा कर मेरी गान्ड मार'ता हुआ मुझसे चप्पलें चटवाता.
क्रमशः................
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