RE: Hindi Lesbian Stories समलिंगी कहानियाँ
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क्या यार... अकेले ही पीकर आ गया?" मैने जब निशिकांत को बीअर के बारे में बताया तो वो बोला!
"अच्छा, तू पीता है क्या?"
"हाँ पिलायेगा तो पी लेंगे..."
"मेरे पास व्हिस्की है..."
"वो भी चलेगी..."
वैसे निशिकांत भी रात के बारे में ना कुछ बोल रहा था ना उसके हाव-भाव से कुछ पता चल रहा था! वो मुझे बहुत सुंदर लग रहा था! उसकी आँखों में चंचल सी चमक थी, चेहरा गोरा था! मैं उसको निहारता रहा और रात में एक्स्पीरिएंस किये उसके स्टेमिना को याद करता रहा! उसकी गाँड की गोल फ़ाँकों को अपने हाथों पर महसूस करता रहा! धर्मेन्द्र के साथ हुए काँड के बाद मेरी ठरक जगी हुई थी! मैं उस रात निशिकांत की गाँड मारना चाहता था! मगर मुझे पता नहीं था कि वो मुझे 'अपनी' मारने देगा या नहीं...
रूम पर वापस आकर उसने व्हिस्की पीना शुरु कर दी! मैने बस एक पैग में उसका साथ दिया मगर वो काफ़ी शातिर पियक्कड लगा क्योंकि साला काफ़ी पी गया था!
"बेटा देसी हूँ... पूरी बॉटल अकेले गटक जाऊँगा और सीधा खडा रहूँगा..."
"आज क्या पहन के सोयेगा?" मैने पहली बार सैक्स का टॉपिक शुरु किया!
"वही जो कल पहना था..."
"अब तो तुझे नींद आ जायेगी..."
"पहले थोडी थकान मिटाऊँगा... नींद किसे आ रही है... तुझे आ रही है क्या?"
"कैसे मिटायेगा?"
"जैसे कल मिटायी थी... क्यों आज तू डर गया क्या?"
"नहीं, मतलब तूने कुछ कहा नहीं... इसलिये मैने समझा..."
"बेटा हर काम कह के नहीं होता... और हम उनमें से हैं जो कहते नहीं, सिर्फ़ करते हैं... तू तो देख ही चुका है..."
"हाँ..."
उसने मुझे पकडा और सीधा अपने होंठ मेरे होंठ पर चिपका दिये और कसमसा के मेरा मुह चूसने लगा और मेरी छाती सहलाने लगा!
"चल तेरी शिकायत दूर कर देते हैं... लगता है तू इग्नोर्ड फ़ील कर रहा है..." वो बोला और हम गुँथ के पलँग पर लेट गये!
"आज सर्दी का पूरा जुगाड हो गया है... शराब के साथ साथ चुदायी की सम्पूर्ण व्यवस्था है और वो भी अकेले कमरे में..."
"हाँ अआहहह... नि..शी..."
हम देखते देखते फ़िर नंगे हो गये और रज़ाई में घुस गये! फ़िर हमने 69 पोजिशन बना ली और अगल बगल लेट कर एक दूसरे का लँड चूसने लगे! उस दिन मैं उसके आँडूओं को चूसने लगा और उसके साथ नीचे उसकी इनर थाईज़ में मुह घुसा कर उसकी गाँड के छेद तक अपनी ज़बान फ़िराने लगा! फ़िर उसने भी मेरी तरह अपनी जाँघें फ़ैला दीं! उसकी गाँड के बाल रेशमी और मुलायम थे, पर हल्के हल्के थे और जाँघें चिकनी! उस दिन हमने लाइट जला रखी थी इसलिये आराम से एक दूसरे का जिस्म देख रहे थे!
उस दिन उसने मुझे चित्त लिटा दिया और फ़िर मेरे घुटनो को मुडवा के मेरी छाती के पास करवा दिया और फ़िर मेरी खुली गाँड के फ़ैले हुये छेद को सहलाया और वहाँ बीच में बैठ कर उसने अपना लँड हाथ मे पकड के मेरे छेद पर दबाना शुरु कर दिया!
"अआहहह...सी...उहहह..." मैने सिसकारी भरी! उसने फ़िर तेल से अपने लँड को भिगा लिया और फ़िर देखते देखते मेरी गाँड के छेद को फ़ैलाते हुये सीधा अपना लँड मेरी गाँड में घुसाते हुये मेरे घुटनो को पकड लिया और फ़िर धक्के दे दे कर चोदने लगा!
"लौंडिया बना के चोद रहा हूँ जानेमन..."
"हाँ राजा... चोद दे, कैसे भी चोद दे..."
"हाय मेरी लैला... मेरी छमिया... तेरी गाँड में बहुत मज़ा है डार्लिंग..."
"हाँ... निशी..." वो कुछ देर में सटीक धक्के देने लगा और पूरा ठरक गया!
"शराब के बाद चोदने में ज़्यादा मज़ा आता है..."
"हाँ वो तो है..."
"बिल्कुल लग रहा है... स्वर्ग में हूँ... तू बढिया चिकना है..."
"हाँ... मैं भी... स्वर्ग में हूँ यार..."
"कल सैटिस्फ़ाई हुआ था ना?"
"हाँ पूरा..."
"आज भी... तुझे... पूरा सैटिस्फ़ाई कर दूँगा..."
"हाँ निशिकांत... कर दे..."
काफ़ी देर तक चोदने के बाद वो मूतने के लिये चला गया और मैने बिस्तर में लेट कर उसका वेट करने लगा! जब वो आया तो हम फ़िर एक दूसरे से लिपट के अपने लँड भिडा भिडा के एक दूसरे का जिस्म सहलाने लगे! इस बार जब वो अपना लँड चुसवाने के लिये मेरे सामने करवट लेकर लेटा तो मैने कहा!
"थोडा पलट के लेट ना..."
"क्यों?"
"गाँड चाटूँगा..."
"ले चाट ले..." वो जब करवट लेकर पलटा तो उसकी जाँघें सटी हुई थीं जिस से उसकी पतली कमर और गाँड का गोल उभार बहुत बढिया लग रहे थे! मैने हल्के से उसके चूतडों को फ़ैलाया और उसका गुलाबी छेद देखा! पहले सीधा अपनी नाक उस पर रख कर सूंघा! उसकी गाँड की बेहतरीन खुश्बू सूँघ कर मैं मस्त हो गया और मैने अपने होंठ उसकी गाँड पर रख दिये और फ़िर अपनी ज़बान से उसको चाटा और देखते देखते मैं उसकी गाँड के गहरे चुम्बन लेने लगा तो उसकी गाँड खुल गयी!
तब मेरी भी ठरक जग गयी और मैने बेड के नीचे पडी तेल की शीशी उठायी!
"अबे क्या कर रहा है?"
"थोडा सा... बस थोडा सा... ऊपर ऊपर से..."
"नहीं यार..."
"अबे प्लीज... यार प्लीज..."
"ठीक है... मगर... बस ऊपर से..."
"ठीक है..."
वो अब पलट के लेट गया और अपनी टाँगें थोडी सी फ़ैला लीं! उसकी गाँड की चिकनी दरार बडी खूबसूरत थी और उसके बीच उसका सुंदर सा चुन्नटदार छेद... मैने कुछ देर उसकी दरार में लँड रगडा तो वो रिलैक्स्ड हुआ! फ़िर मैने उसके छेद पर सुपाडा रगडा, वो शुरु में चिंहुका, मगर फ़िर धीरे धीरे एन्जॉय करने लगा! मुझे उसकी गाँड रिलैक्स्ड लगी! मैने हल्का सा लँड उसकी गाँड पर दबाया तो उसकी गाँड की चुन्नटें थोडा खुलीं! उसने हल्की सी सिसकारी भरी!
"तेरा बहुत मोटा है यार... कुछ करना मत..."
"पता नहीं चलेगा यार..."
"नहीं यार बडा मोटा है... हो नहीं पायेगा..."
"होने तो दे... सब हो जाता है..." मैने थोडा दबाव दिया तो उसका छेद फ़ैल गया!
"आई...अआह... नहीं बे... नहीं... नहीं..." मैने कुछ और दबाव दिया! उसकी गाँड शायद मेरे लँड के दबाव से मचल रही थी!
"अच्छा जितना जाता है... जाने दे..."
"नहीं जा पायेगा... बहुत.. मोटा.. है..."
"मोटे का.. भी.. तो.. मज़ा... ले ले..." इस बार मैने दबाया तो उसका छेद और फ़ैला!
"सी...उउ..उहहह..."
"देख.. मज़ा आया... ना..."
"अभी.. आह... कुछ गया... कहाँ.. आह.. है... इसलिये मज़ा...अआहहह... आ रहा... है... अआई..."
मैने और दबाव दिया तो मेरा सुपाडा उसकी गाँड में घुसा और उसने साँस रोक ली!
"उउहहह.."
"बस.. बस... बस..." मैने कहा और धक्का दिया तो लँड थोडा और अंदर गया! उसकी गाँड कुछ ऊपर उठी
"उउउहहह..."
"अच्छा.. मज़ा तो ले... जब दर्द होगा... तो बोल देना... मगर.. मज़ा तो.. ले..." मैने कहा और अगले धक्के में लँड को और अंदर घुसाया तो उसका छेद चरमराता हुआ महसूस हुआ! मैं एकदम आराम से लँड अंदर घुसा रहा था कि उसको तकलीफ़ ना हो!
"उउहहह... अम्बर प्लीज...."
"बस.. निशी बस..." बातों बातों में लँड पूरा उसकी गाँड में डाल दिया और उसके कंधे पकड के उसके ऊपर लेट गया!
"देखा... कहा था ना... चला जायेगा..."
"हाँ यार..." फ़िर मैने उसकी गाँड में धक्के देने शुरु कर दिये!
"क्यों? पहले ले चुका है ना..."
"हाँ..."
"कितने आसामी फ़ँसा रखे हैं?"
"अबे... एक कज़िन के साथ करता हूँ... बस..."
"अच्छा?"
"चल, अब मैं भी तेरा भाई हो गया..."
"हाँ..." उसने कहा!
"वैसे भी दो लडकों के बीच ये रिश्ता सबसे बढिया होता है..."
"हाँ..." मेरा लँड दोपहर से ही उफ़न रहा था इसलिये कुछ देर में ही मैने अपना माल उसकी गाँड की गहराईयों में भर दिया और फ़िर कुछ देर के ब्रेक के बाद अब वो मेरे ऊपर चढ गया!
"ले डार्लिंग... ले ले.. अब मेरा लौडा ले ले..."
"हाँ निशी दे दे... ला घुसा..."
"ले ना जानेमन... तेरी गाँड की माँ चोद दूँगा..."
"हाँ चोद दे... माँ बहन... सब चोद दे..."
"जानेमन मेरी जान... तेरी गाँड बडी रसीली है..." और फ़िर उसका लँड भी मेरी गाँड की गहराई में घुस कर झड गया! हम दोनो तृप्त हो गये थे और नशे के कारण उस रात जल्दी नींद आ गयी!
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