RE: Hindi Lesbian Stories समलिंगी कहानियाँ
अब मैने देखा कि उसका हाथ बार बार अपनी ज़िप पर, अपनी जाँघों पर और अपनी टाँगों के बीच जा रहा था! वो कभी वहाँ अपने खडे होते लँड को अड्जस्ट करता कभी अपने आँडूए सही करता और कभी बस मज़ा लेता था! उसका चेहरा भी गुलाबी हो गया था! उसकी नज़रें भीगने लगें थी, वो कामुक हो रहा था!
"गाँड मारने में मज़ा आता है..."
"भरपूर... और मैं तो तब तक मारता हूँ जब तक लँड से दूध नहीं निकल जाता है... साला राजू भी मेरे साथ मारता है" उसने मुझे बताया!
"अच्छा राजू भी??? कहाँ??? उसने किस की मारी?"
"वही स्कूल वाले लडके की... वो तो साला रंडी है... खूब मरवाता है, हमारे स्कूल में फ़ेमस है..."
"अब तो उसकी गाँड फ़ट गयी होगी?" कहते कहते मुझे अपने स्कूल के दिन याद आ गये, जब मैं भी करीब करीब हर शाम किसी ना किसी लँड से, चाहे बायलॉजी वाले सर हों या पीटी वाले सर या सीनियर क्लास के लम्बे चौडे लौंडें हों या स्कूल मे काम करने नज़दीकी गॉव से आये पिऑन्स..., अपने स्कूल के टॉयलेट मे अपनी गाँड का मुरब्बा बनवाया करता था...
"हाँ मगर साला बडा मज़ा लेता है..."
"क्यों उसने चूसा भी?"
"चूसा??? नहीं चूसता तो नहीं है..."
"ट्राई करना, साला चूस लेगा अगर गाँडू है तो चूसेगा भी..."
"वाह यार भैया, चुसवाने में तो मज़ा आ जायेगा..." वो अचानक चुसवाने के नाम पर और एक्साइटेड हो गया! अब उसका लँड खडा होकर बिना चड्डी की पैंट से साफ़ दिखने लगा, जो उसकी टाँगों के बीच उसकी जाँघ के सहारे सामने की तरफ़ आ रहा था और उसकी नेवी ब्लू पैंट पर एक हल्का सा भीगा सा धब्बा बना रहा था, जो शायद उसका प्रीकम था! उसका बदन बेतहाशा गदराया हुआ और गोरा था और अब उसका चेहरा कामुकता से तमतमा रहा था!
"मतलब, तुमने अभी तक चुसवाया नहीं है?"
"नहीं भैया..."
"और राजू ने?"
"उसने भी नहीं... वैसे उसका पता नहीं... मेरे साथ तो कभी नहीं चुसवाया..."
"लँड चुसवाने का अपना मज़ा है..." मैने कहा और उसके बगल में थोडा ऐसे चिपक के बैठ गया कि मेरी जाँघें उसकी जाँघों से चिपकने लगीं! मुझे उसके बदन की ज़बर्दस्त गर्मी का अहसास हुआ! मैने हल्के से ट्राई मारने के लिये उसका हाथ सहलाया और फ़िर हल्के से उसका घुटना! उसके बदन में मज़बूत और चिकना गोश्त था! साला पहाडों की ताक़त लिये हुए पहाडी कमसिन था!
"मुठ भी मारते हो?"
"हाँ, जम के... कभी कभी हम साथ में ही मारते है..."
मैने अब अपना हाथ उसकी जाँघ पर आराम से रख लिया और सहलाने लगा!
"क्यों, अब भी मुठ मारने का दिल करने लगा?"
"हाँ भैया, आपने वो चुसवाने वाली बात जो कर दी..."
"अच्छा, तो तेरा चुसवाने का दिल करने लगा?"
"हाँ भैया..."
"अब क्या होगा?"
"पता नहीं..."
"चुसवाने का मज़ा लेना है?"
"हाँ..."
"किसी को बतायेगा तो नहीं?"
"नहीं..."
"लँड पूरा खडा है क्या?"
"जी... मगर चूसेगा कौन?"
"तुझे क्या लगता है?"
"जी पता नहीं..."
"आखरी बार बता, चुसवायेगा?"
"किसको?"
मेरा हाथ अब उसकी ज़िप के काफ़ी पास था! इन्फ़ैक्ट मेरी उँगलियाँ अब उसके सुपाडे को ब्रश कर रही थीं और वो अपनी टाँगें फ़ैलाये हुये था!
"पैर ऊपर कर के बैठ जा..." मेरे कहने पर उसने अपने जूते उतार के पैर ऊपर कर लिये!
"आह भैया.. क्या... क्या... मेरा मतलब.. आप चूसोगे?"
"हाँ" कहकर मैने इस बार जब उसके लँड पर हथेली रख के मसलना शुरु किया तो वो पीछे तकिये पर सर रख कर टाँगें फ़ैला के आराम से लेट गया! उसके लँड में जवानी का जोश था!
"खोलो" मैने कहा तो उसने अपनी पैंट खोल दी! उसकी जाँघें अंदर से और गोरी थीं और लँड भी सुंदर सा गुलाबी सा चिकना था! उसने अपनी पैंट जिस्म से अलग कर दी! मैं उसके बगल में लेट गया और उसकी कमर पर होंठ रख दिये तो वो मचला!
"अआई... भैया..अआह..."
साला अंदर से और भी ज़बर्दस्त, चिकना और खूबसूरत था! मैने एक हाथ से उसके जिस्म को भरपूर सहलाना शुरु किया! मैं उसके बदन को उसके घुटनों तक सहलाता! वो मेरे सहलाने का मज़ा ले रहा था!
"चूसो ना भैया..." उसने तडप के कहा तो मैने उसकी नाभि में मुह घुसाते हुये उसकी कमसिन भूरी रेशमी झाँटों में उँगलियाँ फ़िरायी और फ़िर उसके लँड को एक दो बार शेर की तरह पुचकारा तो वो दहाड उठा और उसका सुपाडा खुल गया!
"राजू का लँड कटा हुआ है..."
"मतलब?"
"मतलब जैसा मुसलमानों का होता है ना, वैसा..."
"कैसे?"
"बचपन में ज़िप में फ़ँस गया था..."
"तब तो और भी सुंदर होगा?"
"हाँ, मगर उसका साले का काला है... आपको काले पसंद हैं?"
"हाँ, मुझे हर तरह के लँड पसंद हैं" कहकर मैने उसकी झाँटों में ज़बान फ़िरायी तो उसके कमसिन पसीने का नमक मेरे मुह में भर गया! मैने उसके लँड की जड को अपनी ज़बान से चाटा!
"सी...उउउहह... भैया..अआह..."
"तुझे लगता है, राजू पसंद है..."
"हम बचपन के दोस्त हैं ना... दीपू मैं और वो..."
"अच्छा? मतलब तू ये सब उन दोनों को बतायेगा..."
"हाँ... नहीं नहीं..."
"अरे, अगर उनको भी चुसवाना हो तो बता देना... मुझे प्रॉब्लम नहीं है..."
"हाँ... वो भी चुसवा देंगे आपको..."
मैने उसके लँड को हाथ से पकड के उसके सुपाडे पर ज़बान फ़ेरी!
"अआ..आई... भैया..अआहहह... अआहहह..." उसने सिसकारी भरी तो मुझे श्योर हो गया कि उसने वाक़ई में पहले चुसवाया नहीं है! मैने उसका गुलाबी सुपाडा अपने होंठों के बीच पकडा और पकड के दबाया! "उउहहह..." उसके मुह से आवाज़ निकाली और मैने उसके सुपाडे को अपने मुह में निगल लिया और उस पर प्यार से ज़बान फ़िरा फ़िरा के दबा दबा के चूसा तो वो मस्त हो गया!
"अआह... भैया..अआहहह... बहन..चोद... मज़ा आ... गया.. भैया..अआह..." अब मैने उसको साइड में करवट दिलवा दी और जब उसका लँड पूरा मुह में भर के चूसना शुरु किया तो लौंडा कामुकता से सराबोर हो गया और मेरे मुह में अपने लँड के धक्के देने लगा! मैने उसके एक जाँघ अपने मुह पर चढवा ली और एक हाथ से उसके आँडूए और उसकी बिना बालों वाली चिकनी गाँड और उसका गुलाबी टाइट छेद भी सहलाने लगा! दूसरे हाथ को ऊपर करके मैं उसकी छाती और चूचियाँ सहलाने लगा! वो अब पूरी तरह मेरे कंट्रोल में आ गया था! मैने लँड के बाद उसके आँडूए भी मुह में भर के चूसना शुरु किये तो वो बिल्कुल हाथ पैर छोड के मेरे वश में आ गया!
"अआहहह.. सी..उउउह... भैया..आहह.. आह.. भैया..आहहह... मज़ा.. मज़ा.. मज़ा... भैया, मज़ा आ.. गया... बहुत.. मज़ा..." वो सीधे बोल भी नहीं पा रहा था!
आँडूओं के बाद मैने कुछ देर फ़िर से उसका लँड चूसा और फ़िर सीधा उसके आँडूओं के नीचे उसकी गाँड के पास जब मैं चूसने लगा तो वो मस्त हो गया! मैने उसकी चिकनी गाँड पर जब ज़बान फ़िरायी तो वो मचल गया! वो अब ज़ोर लगा लगा के मेरे मुह का मज़ा ले रहा था, उसका सुपाडा मेरी हलक के छेद तक जाकर मेरे गर्म गीले मुह का मज़ा ले रहा था!
"वाह भैया, आप तो मस्त हो..."
"हाँ बेटा, मैं मस्त लडकों को मस्ती देता हूँ..."
"भैया, अब दूध झड जायेगा..." कुछ देर बाद वो बोला!
"झाड देना..."
"कहाँ झाडूँ भैया?"
"मेरे मुह में झाड दे..."
"आपको गन्दा नहीं लगेगा?"
"अबे तू मज़ा ले ना... मेरी चिन्ता छोड..." जब उसको सिग्नल मिल गया तो वो मस्त हो गया और मेरे मुह में भीषण धक्के देने लगा! फ़िर मैं समझ गया कि वो ज़्यादा देर तक नहीं टिक पायेगा! मैने उसकी गाँड दबोच के पकड ली और कुछ ही देर में उसका लँड मेरे मुह में फ़ूला और उसका वीर्य मेरे हलक में सीधा झडने लगा, जिसको मैं प्यार से पीता गया! मगर झडने के कुछ देर बाद तक उसका लँड मेरे मुह में खडा रहकर उछलता रहा! मैने उसको अपने होंठों से निचोड लिया और उसके वीर्य की एक एक बून्द पी गया! उसके बाद उसके अपनी पैंट पहन ली और बातें करता रहा!
"क्यों मज़ा आया ना?" मैने पूछा!
"जी भैया, बहुत... साला दिमाग खराब हो गया... गाँड मारने से ज़्यादा मज़ा आया..."
"चलो बढिया है... मगर तुम चुसवाने में काफ़ी एक्स्पर्ट हो..." मैने जब कहा तो वो अपनी तारीफ़ से फ़ूल गया!
"हाँ..."
"तो बोलो, अब तो आते रहोगे ना?"
"और क्या... अगर आपको प्रॉब्लम नहीं होगी, तो..."
"अरे, मुझे क्या प्रॉब्लम होगी यार... आराम से आओ..."
"आप बहुत बढिया आदमी हो... भैया आप मुझे अच्छे लगे..." लडके को शायद वो एक्स्पीरिएंस सच में बहुत पसंद आया था!
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