महारानी देवरानी
08-15-2023, 08:12 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 50 C

खुलम खुला प्यार 

"आह माँ! क्या आप भी भरी पूरी माल हो!"


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"बलदेव तुम्हारे जैसा बलिष्ठ शरीर का पुरुष मैंने भी कहीं नहीं देखा।"

बलदेव देवरानी की पीठ को एक हाथ से दूसरे हाथ से उसके कमर के मांस को दबाते हुए मजे से मसल रहा था।


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 "महारानी" हे महारानी! "

ये कमला की आवाज थी वह देवरानी के कक्ष में प्रवेश कर चुकी थी और देखती है कि बलदेव ने देवरानी के कमर को खूब जोर से पकड़ा हुआ है।

कमला: (मन में-देखो कैसे अपना कमर या पीठ को मसलव रही है जैसा उसकी धर्म पत्नी हो और वह भी दरवाजा खोल कर । कमला महारानी के कक्ष के दरवाजे के पास वह खड़ी हो जाती है और अंदर का नजारा देख कर दंग थी ।

कमला: महारानी!

देवरानी के कान में अब कमला की आवह सुनाई पड़ती है।

"बलदेव ये कमला मुझे बुला रही है क्या?"

"माँ! उह्म्म ऐसे ही रहो ।"


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"मेरे राजा तुमने दरवाज़ा लगाया था ।"

"नहीं माँ" और अचानक से उसको ध्यान आता है ।


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बलदेव झट आँखे खोल कर द्वार की तरफ देखता है और आख खुलते हे सामने दरवाज़े पर कमला खड़ी नज़र आती है। वह तुरंत समझ जाता है कि कमला ने उसे देवरानी की पीठ और कमर को मसलते देख लीया है ।

कमला अपने होठों पर एक कामुक मुस्कान के साथ खड़ी थी।


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बलदेव हड़बड़ा कर उठ का खड़ा होता है।

"माँ मैं पेशाब कर के आता हूँ" और स्नान घर में घुस जाता है ।

कमला मुस्कुराती हुई आती है और देवरानी के पास आकर "क्या नई नवेली दुल्हन की तरह सुबह शाम नहीं देखती हो दरवाजा खोल चालू हो जाती हो।"


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देवरानी बलदेव को जाते हुए अपनी वेश भूषा और साडी को-को अस्थ व्यस्त पाकर शर्मा जाति है और अपनी साड़ी को ठीक करते हुए सीधा बैठने लगती है और बोलती है "आओ ना कमला" !

कमला (मन में-कैसे मसल-मसल के क्या हालत कर दी है बलदेव ने महारानी की..।.) 

अपने अस्त व्यस्त कपड़ो को सम्भाल देवरानी बैठ जाती है और मुस्कुराती है ।

"नयी नवेली की बात नहीं, बस वह मैंने सोचा था कि बलदेव ने दरवाजा लगा दिया होगा और ख्याल ही नहीं रहा।"

"अक्सर ऐसा होता है इश्क़ में बेकार जाते हैं लोग।"


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"मैं तो कहती हूँ महारानी खूब टूट कर प्यार करो और सच में तुम बहुत खिली-खिली लग रही हो।"

"धन्यवाद कमला मेरी बहन !"

"हाँ एक समय था जब तुम दुख और गम की सोच में मुरझाई रहती थी ।"

"हाँ कमला सब मेरे राजा बेटा बलदेव का अहसान है।"

"वो तो है मेरी महारानी जी।"

"वैसे तुम्हें ऐसी क्या आवश्यकता पड़ गई जो हमारे बीच में आ टपकी।"

" ओहो तो अब मैं दूल्हा दुल्हन के बीच में आ गई! वैसे में तो नहीं आती कोई और आता तो पता नहीं क्या होता। सोच लो! इसलिए मैंने सोचा और चली आयी । सोचा जांच लू के तुम लोग थोड़ा सचेत रह रहे हो या... ।

"या क्या कमला ?"


[Image: KAMLA-RANI.jpg]

कमला एक हाथ में अपना पत्र लिये खड़ी थी ।

"ये पत्र मुझे पारस के दूत दिया है कहा है ये शमशेरा ने भेजा है।"

देवरानी शमशेरा समझ जाती है ये तो वही है जो जासूसी करने आया था और उसके भाई का संदेश भी दिया था।

देवरानी झट से वह पत्र खोल के पढ़ने लगती है।

प्रिया बहन देवरानी ।

मैं तुम्हारा अभागा भाई देवराज हूँ आशा करता हूँ के तुम कुशल मंगल हो मैं ये पत्र शमशेरा के दूत के माध्यम से भेज रहा हूँ, मुझे शमशेरा ने बताया के मेरी बहन देवरानी कितना अपना परिवार, अपने भाई से मिलने के लिए तड़प रही है और एक मैं हूँ जिसने भी वर्षो से अपनी बहन को देखा नहीं।


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मुझे क्षमा कर दो देवरानी मेरी बहन तुम्हे तुम्हारे विवाह के बाद तुम्हारे मायके आने का सौभाग्य प्राप्त नहीं हुआ । हम युद्ध में व्यस्त थे और पिता जी भी अब नहीं रहे पर उनके बदले में हूँ तुम्हारा पिता और तुम्हारा भाई, दोनो।

कृपा कर के तुम हमारे यहाँ पारस आओ! हम तुम्हारी सेवा करना चाहते हैं और अपने पति यानी मेरे जीजा जी राजपाल को प्रणाम कहना । यदि संभव हो तो उन्हें भी साथ ले कर आना, मैं अपनी बहन और जीजा से मिल्ने के लिए व्याकुल हूँ।

प्रतीक्षा करुंगा मैं अपनी बहन की ।

तुम्हारा भाई ।

देवराज ।

[Image: DEVRAJ.jpg]


जारी रहेगी ...
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08-15-2023, 08:13 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 51 A

मायके चलने का अनुरोध


देवरानी अपने भाई का पत्र कमला से ले कर पढ़ती है और खुशी से उसकी आंखो में आसू आ जाते है

"कमला मेरे भाई का पत्र है, मेरे भैया देवराज का! "

"क्या बात कर रही हो! महारानी! क्या लिखा है आपके भाई ने? "

तभी स्नानागार से बलदेव चुपके से निकल कर दबे पाव बाहर जाने लगता है। अभी हुई घटना से शर्मा जो गया था बलदेव।


[Image: walkaway.gif]

"बलदेव बेटा  जा रहे हो?"

" मां मैं आता हूं। "

"बेटा तुम्हारे मामा का पत्र है उसने मुझे मेरे मायके पारस बुलाया है। "

देवरानी खुशी के मारे एक सांस में पूरी बात बोल देती है।


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बलदेव देवरानी की आँखों में आसु देख और उसके चेहरे पर ख़ुशी देख रुक जाता है। फिर थोड़ा हिचकिचाते हुए कमला और देवरानी के पास आता है।

कमला: आर्य युवराज तुम तो ऐसे मुंह छुपा रहे हो जैसे कमला जानती हो ना हो के तुम दोनो माँ बेटे में क्या धक्कम पेली चालू है।

बलदेव:चुप करो कमला शब्दो को संभाल कर उसका इश्तमाल करना सीखो।

देवरानी कमला के मुँह से धक्कमपेली सुन के शर्मा जाती है।


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"बलदेव ! जाने दो ना क्यू गुस्सा होते हो कमला पर । इसके मुँह में जो आता है बक देती है।"

"हम्म माँ! "

"बेटा मैं बहुत खुश हूं जिसका 18 वर्ष से प्रतीक्षा की वो घड़ी आ गई है मुझे मेरा राज्य जो मेरा जन्म स्थान है वहां जाने का सौभाग्य प्राप्त होने वाला है। "

"मां आप को इतना खुश देख कर मुझे भी बहुत खुशी हो रही है। लगता है भगवान ने आपकी प्रार्थना सुन ली है।"

कमला: भगवान तो अब महारानी के ही सुनते हैं। जो मांग रही हैं वो सब मिल रहा है आज कल।

"महारानी आपके लिए मैं भी खुश हूं आप अपने देश जाओ और खूब घूम आओ। "



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"मां और क्या लिखा है मामा देवराज ने पत्र में। "

"उन्हें कहा है कि जीजा जी को प्रणाम कह दू और उनको भी साथ लें आओ !"

देवरानी ये कह कर थोड़ा मायुस हो जाती है।

कमला:अरे ! अब काहे मायुस हो रही हो महरानी?

देवरानी: कमला वो।

कमला: अरे समधी है देवराज मामा का प्रणाम बलदेव को कह दो ! क्यू के असल जीजा जी तो देवराज जी के यही है । राजपाल तो नाम के ही है।


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ये कह कर हस्ते हुए बलदेव को देख कमला कहती है।

"क्यू सही कहा ना देवराज के जीजा जी? "

बलदेव झट से कमला को पकड़ने के लिए झपटता है।गुस्से में कहता है।

"कमला तुम्हारा प्राण ले लेंगे हम! "

कमला अपना जान बचाए जल्दबाजी में भाग जाती है।

दोनों को ऐसे चूहा बिली की तरह लड़ते देख देवरानी मुस्कुरा रही थी और सोचती है।

"कमला ने सही तो कहा है देवराज का जीजा तो बलदेव ने कहा है राजपाल तो नाम का ही है।"



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और खुद अपनी सोच पर झेप जाती है।

"बलदेव तुम कहा जा रहे हो। कमला के पीछे! छोड़ो उसको! वो मुंहफट है और उसकी ज़बान ख़राब है। "

बलदेव अपनी माँ की बात सुन कर रुक जाता है।

"मां मैं उसे छोड़ूंगा नहीं। "

"बलदेव बेटा ये बात याद रखना आज हमारे मिलन या प्रेम का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो कामला ही है। "

"हां मां इस बात को भली चंगी तरह से जानता हूं इसलिए तो कमला को हमेशा माफ़ कर देता हूं।"

"हां कमला बहुत अच्छे दिल की है। बेटा! "

"वो सब छोड़ो ! आप बताओ आगे क्या करना है? पारस कब जाना है? "


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"बेटा अभी भी शत्रु के आक्रमण का डर है और तुम्हारे मामा देवराज ने तुम्हारे पिता राजपाल को भी निमंत्रण भेजा है।"

"तो क्या करना है माँ? हम चलते हैं पिता जी से बात कर के!"

"बेटा ये इतना आसान नहीं है, ऐसे समय में अपने राष्ट्र को छोड़ना सही नहीं होता है, पर फिर भी हम राजपाल से पूछेंगे कि क्या किया जा सकता है? "

दोनों पत्र को ले कर राजपाल के कक्ष की ओर जाते हैं जहां राजपाल बैठा है अपने सेनापति से बात कर रहा है।

बलदेव:पिता जी!

राजपाल: आओ पुत्र कहो क्या बात है?


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बलदेव: क्या आप व्यस्त हैं? वो माता देवरानी बाहर खड़ी हैं आपसे कुछ बात करना चाहती हैं।

राजपाल: सेनापति तुम जाओ ! और मैंने जैसा कहा है सैनिकों द्वारा वैसे दो नियमो का पालन हो!

सेनापति: जो आज्ञा महाराज!

सेनापति अपना हाथ जोड़ कर झुक कर आज्ञा ले कर कक्ष के बाहर दरवाजे के पीछे खड़ी देवरानी को देखते हुए बाहर चला जाता है।


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सेनापति: (बूढ़ी हो गई है पर आज भी मुंह छुपाती है देवरानी "अपने मन में फुसफुसाता है। )

ये बात बलदेव अपने तेज कान से सुन लेता है।

बलदेव अपने पिता के सामने खड़े हो कर पुकारता है ।

"मां आजाओ अंदर सेनापति चला गया! "

देवरानी दरवाजे की आड़ से बाहर आती है और जो परदा उसने सेनापति को देख कर लीया था उसे उठा लेती है।


[Image: 51ghoonghat.webp]

देवरानी एक अंदाज़ से मुस्कुराती हुई अंदर प्रवेश करती है ।

बलदेव;( मन में- गधे सेनापति अच्छा हुआ तूने परदा के उठने के बाद का दृश्य नहीं देखा । नहीं तो देवरानी की जवानी की गर्मी से जल कर राख हो जाता ! मेरी मां तो अब जा कर जवान हुई है इसे मैं अभी और जवान करूंगा।

कहानी जारी रहेगी
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08-15-2023, 08:15 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 51 B

मायके चलने का अनुरोध

सेनापति: (बूढ़ी हो गई है पर आज भी मुंह छुपाती है देवरानी "अपने मन में फुसफुसाता है। )

ये बात बलदेव अपने तेज कान से सुन लेता है।

बलदेव अपने पिता के सामने खड़े हो कर पुकारता है ।

"मां आजाओ अंदर सेनापति चला गया! "

देवरानी दरवाजे की आड़ से बाहर आती है और जो परदा उसने सेनापति को देख कर लीया था उसे उठा लेती है।


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देवरानी एक अंदाज़ से मुस्कुराती हुई अंदर प्रवेश करती है ।

बलदेव;( मन में- गधे सेनापति अच्छा हुआ तूने परदा के उठने के बाद का दृश्य नहीं देखा । नहीं तो देवरानी की जवानी की गर्मी से जल कर राख हो जाता ! मेरी मां तो अब जा कर जवान हुई है इसे मैं अभी और जवान करूंगा।

"महाराज देवराज भैया का पारस से पत्र आया है। "

राजपाल अपने आसन से उठ खड़ा होता है।


[Image: RAJPAL1.jpg]

"अच्छा साले साहब ने क्या लिखा है पत्र में? "

देवरानी पत्र खोल कर -"आपको प्रणाम कहा है और मेरे साथ आपको पारस आने का निमंत्रण दिया है।"

"देवरानी तुम्हें तो पता है ना मैं पिछले 18 साल में पारस नहीं गया क्यू के हमारे शत्रु बहुत हैं।"

"महाराज पता है पर. आप ये पत्र पढ़ें"

राजपाल पत्र पढ़ कर-"हां इसमें तो उसने अनुरोध तो किया है मिलने के लिए पर ये पत्र शमशेरा के दूत से आया है। इसका तुम्हे कुछ मतलब समझ में आता हो देवरानी? "

"नहीं महाराज !"

"हम कह नहीं सकते पर सूत्रों से पता चला है के पारस पर अब शमशेरा के पिता सुल्तान मीर वाहिद का राज है और उनकी नज़र में कुबेरी का खजाना है। "
"महाराज इस से तो वो राजा रतन सिंह का दुश्मन हो जाएगा ।"

"देवरानी पूरी दुनिया राजा रतन और मेरी मित्रता से परिचित है। संभावना है कि कुबेरी को प्राप्त करने के लिए हमरे घटराष्ट्र पर भी आक्रमण किया जा सकता है।"

परन्तु महाराज मुझे वर्ष हो गए मेरे परिवार से मिले । "

"देवरानी वो बात है अपनी जगह पर सही है कि शमशेरा हम पर हमला करेगा या नहीं हमे नहीं पता , पर दिल्ली के बादशाह शाहजेब ने तो तयारी भी शुरू कर दी है घाटराष्ट्र और कुबेरी पर हमला करने के लिए और कुछ सैनिक इस ओर आ रहे हैं। "

"ऐसे समय में देवरानी हमारा जाना खतरे से खाली नहीं होगा हमारे राष्ट्र पर कभी भी कोई आक्रमण कर सकता है और अगर हम पश्चिम की ओर जाते हैं तो इस हमले की सम्भावना बढ़ जायेगी । "


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ये सब बात सुन कर देवरानी का खुश चेहरा मुर्झा जाता है और अपने पास बलदेव और उसका साथ अपने पास महसुस कर उससे भी आज रहा नहीं जाता।

"महाराज आपने पिछले मुझे 18 वर्ष से हमले के डर के कारण ही मेरे परिवार से दूर रखा है और आज भी…"

गुस्से में ये शब्द देवरानी के मुँह से फूट पड़ते है।

राजपाल अपना दया हाथ देवरानी को मारने के लिए उठाता है।

राजपाल: देवरानी अपनी मर्यादा में रहो, हम से ऊंची स्वर में बात करने का परिणाम जानती हो !

"बलदेव पुत्र अपनी माँ से कहो हम से तर्क वितरक ना करे नहीं तो हम से बुरा कोई नहीं होगा!"

देवरानी के ऊपर जैसे वह राजपाल हाथ ऊँचा कर उसे डांटता है वो उसका दुख से गला भर जाता है और उसकी आंखों में आंसू गिर जाते हैं।



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"महाराज आपने हाथ उठाया है तो मार लो मैं मना नहीं करूंगी!"

"मां होश में आओ हम इस पर कुछ सोचेंगे!"

"चुप कर तू मेरे पिता ने कभी मेरे ऊपर हाथ नहीं उठाया, ना कभी पहले गुस्सा हुए । कभी मैं रानी थी पारस की। पर यहाँ आ कर बस नौकरानी बना दी गयी । मेरी चाहत के बारे में कोई नहीं सोचता! "

"चुप हो जाओ देवरानी तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने पर है ना। "

देवरानी रोती हुई बोली -"नहीं होना चुप मुझे! मैं बहुत चुप रह ली । जब तुम रजाओ में इतना दम नहीं होता, जब सबकी इच्छा का सम्मान नहीं कर सकते, तो 10 विवाह क्यू करते हो ? "

"देवराआआआआआआआआआआआअनी! अगर मेरे हाथ में तलवार होती तो अभी मैं तुम्हारा सर धड से अलग कर देता! "

"बलदेव इस पागल को ले जाओ यहां से इसको बुढ़ापे के साथ इसका दिमाग भी काम करना बंद हो गया है ।" ले जाओ इसे बलदेव ! नहीं तो मैं धक्के मार कर भगाऊंगा इसे। "


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बलदेव:बस पिता जी!

देवरानी रोते हुए अब ज़मीन पर नीचे बैठने लगती है।

बलदेव झट से अपनी माँ को अपनी बाहो में पकड़ लेता है।

"चलो माँ ! "

देवरानी सिसकते हुए बलदेव के कंधों पर अपना सर रखती है और बलदेव देवरानी को उसके कक्ष में ले जाता है।

राजपाल वापस आसन पर बैठ कर-"आआआहहहह देवराअअअअअअणि " और एक जोरदार चीख से साथ अपने हाथ गद्दे पर मारता है और अपने गुस्से पर काबू करने का प्रयास करता है ।

बलदेव इधर अपनी मां को ला कर बिस्तर पर बैठाता है फिर अपने हाथो पर थोड़ा गुलाब जल ले कर मां का चेहरा जो आंसू से भरा था उसे धोता है और फिर कपड़े से पूंछता है।


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बलदेव: माँ रोना बंद करो!

देवरानी: तुमने सुना ना कैसे मुझे अपमानित कर के भगाया उसने!

बलदेव अपनी माँ की आँखों पर हाथ फेरते हुए कहता है -"रोते नहीं मेरी रानी चुप हो जाओ! "

"अगर तुम सच में मेरे साथ प्रेम करती हो तो चुप हो जाओ, अब मैं नहीं कहूँगा चुप हो जाऊँगा ।"

ये सुन कर देवरानी बलदेव से गले लग जाती है और थोड़ी देर आखे बंद कर दोनों एक दूसरे के दिल की धड़कन सुनते रहते हैं।



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कुछ देर बाद बलदेव चुप्पी तोड़ता है।

बलदेव: माँ तुम चिंता मत करो तुम्हारे हर अपमान का बदला लिया जाएगा।

देवरानी:मुझसे अब और सहन नहीं होता! बलदेव बहुत सह लीया ! देखा ना तुमने कैसे बात कर रहा था । वो मुझसे कह रहा है "इसे भगा दूंगा! " सृष्टि को आप कहता हैं "उनको" कहता है। जैसे वो बहुत बुद्धिमान हो।

बलदेव: आपको सम्मान राजपाल जैसे व्यक्ति से लेने की जरूरत नहीं, मैं आपका सम्मान करता हूं । एक दिन आपका हर कोई सम्मान करेगा। किसी की भी हिम्मत नहीं होगी वो आपको "तुम" कह दे। इसको, उसको उनको नहीं कहेगा । और अपमान करना तो बहुत दूर की बात है बस आप थोड़ा धैर्य रखो ।


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देवरानी: बलदेव अब क्या करे हम?

बलदेव: माँ आप आराम करो! मैं कुछ सोचता हूं और प्रयास करता हूं। दोपहर के भोजन के बाद मैं राजपाल और सृष्टि दोनों से मिलूंगा ।

दोपहर के भोजन पर देवरानी और बलदेव गुमसुम हो भोजन कर के उठ जाते है और बलदेव कुछ सोच कर अपने पिता के कक्ष में जाता है।

बलदेव:पिता जी!

राजपाल: आओ बलदेव!

थोड़ा धीरे से उठ कर कहता है।

"पिता जी बात ये है कि मेरे पास एक सुझाव है इस समस्या का। "

"क्या सुझाव है बलदेव! "

"देखिये आप के हिसाब से शत्रु आप पर आक्रमण कर सकता है पर शत्रु मुझे या माँ को तो नहीं जानता। "

"तुम्हारे कहने का अर्थ क्या है? "


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"यही पिता जी आप अगर नहीं जाते हैं पारस और माँ के साथ मैं जाऊं तो। "

"अभी तुम बालक हो मैंने ये पहले सोचा था कि पर शत्रु हम से कहीं ज्यादा शक्तिशाली है। वो तुम दोनों को अगवा भी कर सकते हो या तुम दोनों की प्राण भी ले सकते हैं । "

बलदेव (मन मैं - ये बालक अब इतना बड़ा हो गया है कि तुम्हारी पत्नी को संभाल सकता है और तुम्हारे हाथ में जब पत्नी मेरा बालक देगी तब देखूंगा क्या कहते हो। )

राजपाल:तुम्हारी बात पूरी हो गई हो तो जाओ अब सीमा पर और मैंने जो सेनापति को बताया था और देखो की उस पर कितना काम हो रहा है । हमारे देश की सुरक्षा का प्रबंध करो । जाओ दिन रात अपनी बूढ़ी मां की बातों पर दिमाग मत लगाओ।

बलदेव: जो आज्ञा पिता जी !


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बलदेव अपना सर झुकाता है।

मन में : महाराज राजपाल तुमने अपनी कुल्हाडी खुद अपने पैरो और दिमाग पर मारी है और देवरानी और बूढ़ी! हाहा! सठिया तुम गए हो वो नहीं।


कहानी जारी रहेगी
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08-15-2023, 08:16 PM,
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महारानी देवरानी


अपडेट 52 A

पारस  जाने की अनुमति



बलदेव को सीमा पार भेज कर राजपाल अपने कक्ष में जा कर आज की हुई घटना के बारे में सोचता है और देवरानी की बढ़ती हुई हिम्मत राजपाल को गहरी सोच में डूबो देती है।


[Image: rajpal.jpg]

इधर बलदेव अपने घोड़े पर बैठ के जाता है और सोच रहा था। के क्या युक्ति निकली जाए जिस से माँ को मैं पारस ले जा सकूँ। बलदेव कुछ समय सोचने के बाद अपना घोड़ा फिर महल की ओर घुमा देता है।

बलदेव मन में: मेरे पिता राजपाल अपने ऊपर या राष्ट्र पर हमले के डर से पारस जाना नहीं चाहते अगर मुझे बड़ी माँ सृष्टि के कानो में ये बात डाल दू की माँ पारस जाना चाहती है और अकेली जाने को भी त्यार है तो-तो वह पक्की चाहेगी के अपने जान जोखिम में डाल कर देवरानी पारस जाए क्यू के हमें पारस जाने के लिए दिल्ली के रास्ते से जाना होगा जहाँ हमारा दुश्मन बादशाह शाहजेब है।

यहीं सब बातें सोचते हुए बलदेव महल में आता है और सीधे अपनी बड़ी माँ को ढूँढने लगता है।

"बड़ी माँ...बड़ी माँ कहा हो आप?"


[Image: horse1.gif]

"सुनो लगता है। बलदेव आ गया है।"

"तुम जाओ यहाँ से"

बलदेव जैसा कक्ष में प्रवेश करता है तो देखता है। की महारानी रहृष्टि किसी पुरुष से बात कर रही थी और उसके आते ही वह चुप हो गई.

"बड़ी माँ आप यहाँ हो।"

"आओ बलदेव क्या हुआ बेटा?"


[Image: shr-gupt.jpg]

बलदेव जाते हुए पुरुष को ऊपर से नीचे तक देखता है।

"बड़ी माँ ये कौन था। इसे घटराष्ट्र में आज से पहले कभी नहीं देखा।"

"बलदेव ये हमारे घटराष्ट्र के पुराने गुप्तचर है।"

"अच्छा बड़ी माँ आपसे कुछ बात करनी थी।"


[Image: bal-shr1.jpg]

"तो कहो क्या बात है।"

"बड़ी माँ वह मामा देवराज ने हमें पत्र लिख कर न्योता दिया है, पारस आने का और मुझे भी बुलाया है । मेरा भी ननिहाल देखने का जी चाह रहा था।"

"तो समस्या क्या है, बलदेव?"

"वो बड़ी माँ आप ही हैं। जो मेरी मदद कर सकती हो।"

"वो कैसे बलदेव?"

"बड़ी माँ पिता जी पारस नहीं जाना चाहते क्यू के उनको डर है कोई हम पर या उनकी अनुपस्थिति में राष्ट्र पर हमला ना कर दे, क्यू के दिल्ली से बादशाह शाहजेब सैनिकों को उत्तर की ओर आने की सूचना मिली है।"

"पर बड़ी माँ मैं चाहता हूँ कि आप पिता जी को मनाएँ और वह कम से कम मुझे और माँ को जाने की आज्ञा दे-दे ।"


"अच्छा तो बलदेव ये बात है।"

शुरष्टि (मन में-में तो मनाऊंगी राजपाल को इस के लिए की वह तुम दोनों को जाने की आज्ञा दे ताकि जब तुम दोनों घटराष्ट्र से बाहर जाओ और तुम दोनों पारस पहुँचने से पहले स्वर्ग लोक पहुँच जाओ । ")

"बड़ी माँ कृपा कर के मेरे लिए इतना कर दीजिये"

बलदेव (मन में-महारानी सृष्टि तुम यही सोच रही हो ना की हम बहार जाए और शत्रु हम पर हमला कर दे और हम रास्ते में ही मर जाए.")

"ठीक है बलदेव। सिर्फ तुम्हारे लिए मैं महराज से बात करती हूँ क्यू के तुम मेरे सब से दुलारे पुत्र हो।" 


सृष्टि मन में अगर मेरा शक ठीक है और उस दिन जो घुसपैठिया चादर छौड कर भागा था, वह चादर देवरानी की ही थी। तो बेटा बलदेव देवरानी का इतनी बरस बाद खुशी और हंसी का राज तुम हो।)


[Image: dev-sad.jpg]

सृष्टि मुस्कुराति है। और बलदेव को देखती है। और ये सोच कर मन में कहती है।

"देवरानी तुम्हें भी अपनी आग बुझाने के लिए अपना बेटा ही मिला । तुम दोनों जाओ तो सही, पारस से वापस लौट के नहीं आओगे।"

"बलदेव अब तुम जाओ खड़े क्यू हो मैं तुम्हारा काम करवा दूंगी।"

बलदेव: "जी बड़ी माँ आप बहुत अच्छी हैं ।"

बलदेव (मन में-बड़ी माँ तुम्हारी मनो कामना कभी पूरी नहीं होगी कभी। मैं मेरी माँ के ऊपर, आंच भी नहीं आने दूंगा।)


[Image: shr-bal.jpg]

बलदेव प्रणाम कर उसके कक्ष से निकल जाता है।

शुरष्टि जाते हुए बलदेव को देख मन में

"देवरानी आखिर कैसे ना अपने पुत्र पर मोहित होती, इतने लंबे चौड़े कद काठी का जो है। ऊपर से महाराज ने पिछले 17 साल से देवरानी को छुए भी नहीं है।"

और हसती है। हाहाहा देवरानी तुम्हें तो मैं तड़पा-तड़पा के मारूंगी, अगर तुम्हें घातराष्ट्र के शत्रु नहीं मार पाएंगे तो मैं मारूंगी। "

इधर बलदेव कक्ष से निकल कर जा रहा था। की उसे कुछ याद आता है और वह वापस अपनी बड़ी माँ सृष्टि के कक्ष की ओर आता है और उसकी हंसी सुन कर वही छिप कर सब देखने लगता है।

जल्दबाजी में सृष्टि पास रखी एक पेटारी को खोलती है और हमसे सांप निकाल कर बोलती है ।



[Image: sh-snak.jpg]
"ये सांप तुम्हारे जीवन का अंत करेगा देवरानी, महल में तो इसके उपयोग करने से लोग तुम्हें बचा लेते पर अब ये तुम्हारे समान के साथ पारस जाएगा और रास्ते में तुम्हें ये डसेगा और वहाँ पर तुम्हें बचाने वाला कोई नहीं होगा ना कोई वैध ना कोई जड़ी।"

बलदेव तो ये देख और सृष्टि की बात सुन कर हैरान और परेशान हो जाता है और उसके माथे पर पसीना आने लगता है।

शुरष्टि: "पिछली काई बार तू बच गई है। इस बार मैं तेरे प्राण ले कर रहूंगी देवरानी।"

बलदेव दबे पाँव वहाँ से खिसक जाता है।

सृष्टि वापस से सांप को पेटारे में रख कर मुस्कुराती है।


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"बेचारी देवरानी जीवन में खुशियाँ ढूँढने लगी हुई थी और बलदेव के साथ रंगरेलियाँ भी मनाने लगी थी, तुम्हे जीवन भर तड़पने का मेरा सपना पूरा हुआ और अब तुम्हें मरना होगा देवरानी, तुम्हारी हर एक हंसी हर खुशी मेरे जिस्म पर कांटे की तरह चुभती है। मैं नहीं चाहती कि तुम एक पल भी खुशी से जियो और जब तुम ने अपनी खुशी खोज निकली है बलदेव में तो अब तुम्हें मरना होगा और साथ में मैं बलदेव को भी नहीं छोड़ूंगी।"

ये सब सोचते हुए शुरू हुई महाराज राजपाल की कक्षा में आती है।

"आओ महारानी आप को ही याद कर रहा था।"

"महाराज आप की याद में हम यहाँ आये पर आप हमारी याद में हम कभी हमारी कक्ष में नहीं आते।"

"कहो महारानी श्रुष्टि आप की हम क्या सेवा कर सकते हैं?"

[Image: raj-dev1.jpg]


"महाराज हमने सुना है के देवराज का पत्र आया है।"

"हाँ महारानी हमारे साले साहब का पत्र आया है और उन्होंने हमें और देवरानी को पारस आने के लिए अमंत्रित किया है। पर हम ऐसी स्थिति में नहीं जा पाएंगे ।"

शुरष्टि (मन में आपका साला नहीं देवराज अब बलदेव का साला हो गया है। ") और एक मुस्कान के साथ-" महाराज हम समझ सकते हैं कि युद्ध कभी भी हो सकता है और आप अगर जाएंगे तो आप पर हमारे शत्रु से आक्रमण का भी खतरा है। "

"आप बिलकुल ठीक समझी महारानी"

"पर महाराज आप ना जा कर बलदेव और देवरानी को भेज सकते हैं ना।"

ये सब बात अपना कान लगाए बलदेव सुन रहा था। क्यू के वह अपनी माँ के ऊपर हमले के योजना जानना चाहता था और वह सृष्टि का पीछा करते हुए आ गया था।

"पर महारानी हमारे पास पहले ही कम सैनिक है। ये दोनों गए तो हम इनकी सुरक्षा के लिए इन्हें सैनिक कहाँ से देंगे?"

"बिना सैनिक के भी जा सकते हैं वह दोनों तो ।"

"पर महारानी उनकी जान को खतरा हो सकता है।"

"महाराज अब उन्हें अपनी जान जोखिम में डालनी है तो हमें क्या और वैसे भी आपको उनकी चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है।"


[Image: shr-int.jpg]


सृष्टि ये बोल कर राजपाल के पास आती है और उससे चिपक कर गले लग जाती है।

"महाराज अगर वह दोनों मर भी जाये तो ठीक होगा झंझट ख़तम हो जाएगा ।"

कहानी जारी रहेगी
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08-15-2023, 08:21 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 52 B

पारस  जाने की अनुमति



सृष्टि राजपाल के पास आती है और उससे चिपक कर गले लग जाती है।

"महाराज अगर वह दोनों मर भी जाये तो ठीक होगा झंझट ख़तम हो जाएगा ।"

राजपाल सृष्टि के गले लग कर "आह! महारानी आप का शरीर कितना गरम है।"




[Image: DEVRANI-KHUSH.jpg]


"हाँ मरने दो माँ बेटे को! अगर आप यही चाहती हो महारानी तो मैं उनको जाने की आज्ञा दे देता हूं"

शुरष्टि राजपाल को जकड़ते हुए

"धन्यवाद महाराज शरीर गरम है तो आप इसे ठण्डा कर दो ना।"

 [Image: shr-int1.jpg]



"कर दूंगा महारानी आज रात।"



 [Image: shr-raj-intimate.jpg]

शुरष्टि थोडा उदास चेहरा बना की सोचती है। " महाराज आप लग्भाग 60 के हो गए आप से कैसे ये उम्मीद करू के आप मेरी जवानी की आग आप शांत कर दोगे, कमीनी देवरानी तो अपने बेटे से फिर शांत करवा लेती होगी।)


[Image: horse2.gif]

बलदेव अपने पिता और अपनी बड़ी माँ की बात सुन कर समझ जाता है के यहाँ सब उसकी माँ और उसके शत्रु है। कोई मित्र नहीं और वह अपनी बड़ी माँ और पिता की बात सुन कर बाहर आकर घोड़े पर बैठ सीमा की ओर चल देता है।

बलदेव (मन में-आज पिता जी मेरी नजर से और ज्यादा गिर गए. उनके मुंह से ये बात कैसे निकली कि हम मर जाएंगे तो मरे । मुझे समझ नहीं आ रहा है कि मैं खुश होऊँ या दुखी, क्यू के आने वाले दिनों में और कठिनायियो का सामना करना होगा और वह भी दूसरे से नहीं बल्कि हमारे अपनों से। "

सीमा पर पहुच कर बलदेव घोड़े से उतरता है।

सेनापति: आइये युवराज आज बहुत दिनों बाद सीमा पर आये हैं।

बलदेव: हन सेनापति थोडे व्यस्त थे हम ।

सेनापति: आप तो महल हे थे तो घर में ऐसा क्या काम कर रहे थे जो व्यस्त रहते थे

बलदेव: अब तुम्हें हर कारण बताना जरूरी नहीं है सेनापति सोमनाथ।

सेनापति सोमनाथ: क्या युवराज आप तो नाराज हो गए हैं। हम तो बस यहीं जानना चाहते थे कि कहीं कोई दुविधा तो नहीं हमारे युवराज को । अगर हम आपके काम आ सके तू ये हमारे सौभाग्य होगा ।

बलदेव: ठीक है। वह सब छोड़ो! ये बताओ क्या कुछ संकेत मिला है शाहजेब की आगामी चाल का

सेनापति सोमनाथ: नहीं युवराज अब तक बस ये पता चला है। दिल्ली से सैनिको की एक टुकड़ी उत्तर की ओर चली है। जिसके कम से कम 2 हजार सैनिक बल है और टुकड़ी के पास 5 सैनिको के बराबर हथियार और अनाज भी है। इनके पास।


[Image: baldev.jpg]

बलदेव: सेनापति ये अपनी जरुरत से ज्यादा हथियारो का क्या करेंगे और अनाज की क्या आवश्कयता है ।

सेनापति: महाराज हम ये विश्वास से तो कह नहीं सकते कि उनके मन में क्या चल रहा है, पर मेरे अनुमान से इस बार बादशाह शाहजेब सिर्फ कुबेरी पर नहीं पूरे उत्तर भारत को अपना बनाने की मंशा बना रहा होगा।

बलदेव: इससे तो हमारे घटराष्ट्र पर उसका हमला होना तो लगभग तय है।

सेनापति: युवराज बलदेव आज तकहमारे घृतराष्ट्र पर किसी ने हमला नहीं किया है, क्यू के हम सदियों से शांति प्रिय थे और दूसरा कारण ये था कि हमारा राज्य पहाड़ों से घिरा है और घाटराष्ट्र तक कितने राजाओ ने पहुँचने का प्रयास किया पर कोई पहुँच नहीं पाया ।

बलदेव: तो सेनापति सोमनाथ ऐसे परिस्तिथि क्यू आ गयी जो हम पर अब सब आक्रमण करना चाहते हैं। हमारे शत्रु क्यों बढ़ रहे हैं।

सेनापति: अब युवराज अगर आपको बुरा ना लगे तो मैं इसका उत्तर दे सकता हूँ।

बलदेव: निस्संकोच कहो मुझे जानना है।

सेनापति: बात ये है। के आपके दादा चाहते थे कि के घटरास्ट्र संसार का ऐसा राष्ट्र हो जहाँ पर युद्ध नहीं सिर्फ प्रेम हो और कोई किसी का शत्रु नहीं हो इसलिए उन्होंने अपने जीवन भर किसी के साथ युद्ध नहीं किया और वह मानते थे उन्हें युद्ध में किसी का साथ नहीं देना चाहिए जिस वजह से हमारे शत्रु भी हम से मित्रता का हाथ बढ़ाते थे परन्तु

राजपाल: परंतु क्या सोमनाथ?

सोमनाथ: परन्तु आपके पिता ने घटराष्ट्र की मर्यादा का उल्लंघन कर अपने पिता की छवि खराब कर दी और अनेक युद्धों में राजा रतन का साथ दिया जिस वजह से हमारे शत्रु बढ़ते गए.

बलदेव: तो ये बात है, ठीक है। जो हुआ तो हुआ पर तुम्हें अपना काम पर ध्यान देना चाहिए क्यू के घटराष्ट्र को बचाना ही हमारा धर्म है।

सेनापति: जी आवश्य महाराज!

सेनापति सोमनाथ (मन में-महाराज के कारण से मैं सालो साल युद्ध करता रहा और आज तक राज्य में कोई सम्मान नहीं है। इसका बदला तो मैं लूंगा। वह भी घटराष्ट्र का महाराज बन के.)


[Image: horse3.gif]

ऐसे वह संध्या हो जाती है और बलदेव सीमा से महल वापस आता है।

बलदेव मन में ठान लेता है। के वह अपनी माँ के विरुद्ध चल रहे हैं षड्यंत्र के बारे में माँ को नहीं बताएँगा नहीं तो वह दुखी हो सकती है। वह अपनी माँ देवरानी को पुकारता है ।

"मां कहा हो तुम?"

बलदेव देवरानी के कक्ष की ओर जाते हुए दिखता है।


[Image: 52-C.gif]
touch smileys

देवरानी स्नान कर की अभी निकली थी और अपने बालों को सुखा रही थी।

"मां जल्दी तैयार हो कर बाहर आओ"

बलदेव अपनी माँ के हल्का भीगा बदन, बाल और उठी चुची देख अपने छोटे बलदेव को मसलता है।


[Image: ezgif-com-gif-maker-4.gif]

जिसे देवरानी तिरछी नजर से देख लेती है।

"बदमाश!"

बलदेव बाहर चला जाता है। थोड़े देर बाद तैयार हो कर देवरानी बाहर आती है।

बलदेव खड़ा अपनी माँ का इंतज़ार कर रहा था। वह उसको देख



[Image: ezgif-com-gif-maker-3.gif]

"क्या हुआ बलदेव बाहर क्यू बुलाया तुमने"

"मां तुम्हारे लिए खुश खबरी है।"

बलदेव माँ को पकड़कर पास खींच लेता है।


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"क्या ख़ुशख़बरी है बेटा?"

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08-15-2023, 08:23 PM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 52 C

पारस  जाने की अनुमति


बलदेव बाहर चला जाता है। थोड़े देर बाद तैयार हो कर देवरानी बाहर आती है।

बलदेव खड़ा अपनी माँ का इंतज़ार कर रहा था। वह उसको देख



[Image: ezgif-com-gif-maker-3.gif]

"क्या हुआ बलदेव बाहर क्यू बुलाया तुमने"

"मां तुम्हारे लिए खुश खबरी है।"

बलदेव माँ को पकड़कर पास खींच लेता है।


[Image: 52-0.gif]

"क्या ख़ुशख़बरी है बेटा?"

बलदेव जो पहले से अपना लैंड खड़ा किये हुए था। देवरानी को देख के वह अपना लंड देवरानी के बड़े निताम्बो से रगड़ कर एक हल्का धक्का मारता है।

अचानक इस धक्के को देवरानी सह नहीं पाती और चीख पड़ती है ।


[Image: BACK-PULL.gif]

"आआआआआह!"

"बलदेव क्या कर रहे हो हम महल के बीचो बीच है।"

देवरानी फ़ुसफुसाति है।

बलदेव अब देवरानी का हाथ पकड़े अपने पिता की कक्षा की ओर ले जाता है।

"पिता जी आप कहाँ हैं।"

"आजाओ बलदेव"

देवरानी और बलदेव अंदर आते हैं। देवरानी का गुस्सा अब बी उसके दिल में था। वह दरवाज़े पर रुक जाती है।




[Image: 1.jpg]

सृष्टि उसे खड़े देख (मन में: बडी सती सावित्री बने खड़ी है। सबसे छुपा कर छोटे-छोटे वस्त्र पहनती है और अपने बेटे से रासलीला खेलती हैं।

और बलदेव देखता है और उसके पिता लेटे हुए हैं और उसके पास ही में महारानी सृष्टि बैठी हुई है।



बलदेव सृष्टि की तरफ देखता है और सृष्टि अपनी दोनों को आखो को बंद कर के बलदेव को अपने पिता से बात करने का इशारा देती है।

बलदेव समझ जाता है के अब उसे महाराज से बात करनी चाहिए.

"पिता जी अगर आपकी आज्ञा हो मैं बिना सैनिको के माँ को उनका मायका घुमा के ले आउँ ।"

राजपाल सृष्टि की ओर देख कर कहता है


[Image: bal-dev-frnd.jpg]

"बेटा हमें तुम्हारे जाने से कोई आपत्ति नहीं पर अकेले कैसे जाओगे? ..."

"पिता जी मुझे किसी सैनिक की आवश्यकता नहीं है, मुझे भी राज्य को ज्यादा चिंता है। मैं अपने मित्रो बद्री और श्याम को बुला लूँगा और इसी बहाने वह भी पारस देश घूम लेंगे और हम..."

"बस बस बलदेव हम समझ गए तुम्हारी बात को! तुम अपने मित्रो को ले कर जा सकते हो । जाओ अपनी माँ को उसके मायके घुमा लाओ."

"देवरानी तुम जाओ हम आज्ञा दे रहे हैं। देवराज को कह देना उसे जीजा की तबीयत खराब है, इसी लिए साथ नहीं आए."

देवरानी मन में: कमीने राजपाल तू मेरे भाई का जीजा नहीं है। जो असली जीजा है। वह साथ जा ही रहा है। चिंता मत कर।

देवरानी: जरूर महाराज, धन्यवाद महाराज!



[Image: bel-raj.jpg]


देवरानी मन में अभी भी अपने अपमन की आग जल रही थी।

बलदेव अपनी माँ के मन को टटोल लेता है और कहता है।

"मां आप जाएँ! हम आपसे मिल कर बताते हैं कि हमें कैसी तयारी करनी है।"

शुरष्टि: वैसे अभी देवरानी कक्ष में आने से पहले चीखी क्यू थी?

राजपाल: हाँ भाई. हमने भी उसकी चीख सुनी थी! क्या हुआ था

बलदेव: वह माँ को ठेस लग गई थी किसी चीज़ से।
सृष्टि (मन में ठेस लगी थी बलदेव से । बेटा अपनी माँ को परेशान कर रहा था।)

राजपाल: हाँ इसे बेटा अपनी माँ से कहो देख कर चला करे, अपनी माँ का कुछ ध्यान रखा करो अब तो मैं बूढ़ा हो गया हूँ । अब तो तुमही ले कर आया जाया करो अपनी माँ को। क्यू महारानी सृष्टि?

शुरुआत: हाँ अब तो बलदेव अपनी माँ को संभालने लायक हो गया है ।

बलदेव: मां को संभाल भी लूंगा और उनको सब कुछ सीखa भी दूंगा पिता जी और मैं इतनी मेहनत करूंगा के एक दिन आप देखना माँ को मैं बदल दूंगा।

ये सुन कर देवरानी लज्जा के साथ अपनी पैरो के अंगूठो से अपनी उंगली फसा नीचे देखने लगती है।

देवरानी: मैं जा रही हूँ, इस ख़ुशी के मौके पर मुझे पूजा भी करनी है और रसोई को भी संभालना है।

राजपाल: ठीक है। जाओ!


[Image: 52-1.gif]

देवरानी बलदेव की ओर देख

"आ जाना!"

"भूलूंगा नहीं आज मुझे सब खाना है।"



बलदेव की बात सुन कर मुस्कुराते हुए देवरानी अपना घूंघट ठीक कर के बाहर जाने लगती है।

शुरष्टि मन में "बड़ी छिनाल है। अरे तू देवरानी अपने पति के सामने अपने ही अपने नए यार अपने बेटे को आने का निमन्त्रण दे रही है और बेटा भी बेशर्मी से माँ को खाने की बात कर रहा है।"

देवरानी के जाने के बाद कुछ देर तक राजपाल और बलदेव बात करते रहे। राजपाल हर रास्ता समझा देता है और बलदेव अपने मित्रो को पत्र लिख कर भेजवा देता है।

बलदेव: पिता जी आप लोग चिंता मत कीजिए हम ठीक ठाक वापस आ जाएंगे।

शुरुआत: (मन में अगर मैं आने दूंगी वापस तब आओगे बलदेव)

बलदेव कक्ष से निकल कर अपनी माँ के कक्ष में जाता है। जहाँ पर देवरानी भगवान की आराधना में लीन थी।

"हे भगवान आज से और अभी मैं अपने सच्चे मन से बलदेव को अपना पति मानता हूँ। मुझे शक्ति देना!"

देवरानी को पूजा करते देख बलदेव मन में सोचता है ।



[Image: 52-D.gif]
" कितनी भोली है। मेरी मां, इनलोगो को पता नहीं कि मैंने माँ को कब पत्नी के रूप में स्वीकार कर लिया है और कोई मेरी प्रेमिका मेरी पत्नी देवरानी पर हमला तो दूर अगर ऊंचे स्वर में भी बात करेगा तो मैं उसका सर उसकी धड से अलग कर दूंगा, राजपाल की इस गलती की सजा उसे जरूर मिलेगी। '

तभी देवरानी अपनी पूजा ख़तम कर के आती है और बैठे बलदेव को बोलती है ।

"ये लो प्रसाद बेटा आख़िर कर तुमने अपने मामा से मिलने के लिए अपने पिता को मना ही लिया ।"

देवरानी नीचे झुक कर बलदेव के पैरो में झुक जाती है और अपने हाथ बलदेव के पैरो की तरफ बढ़ाती है। बलदेव अपने पैर पीछे खीचता है। पर देवरानी अपने हाथ से बलदेव के पैरो को सहलाती हुई उन्हें छूती है और (मन मैं "मेरे पति परमेश्वर!")

बलदेव: हाँ कैसे ना हम पारस जाते आखिर देवराज मामा को उनके नये जीजा से भी तो मिलवाना था।



[Image: 52-2.gif]
ये सुन कर देवरानी खड़ी होती है और थाली में रखा रंग बलदेव के मुँह पर मारती है।

"बड़ा आयामेरे भाई का जीजा बनने वाला।"

"अरी माँ मामा ने लिखा था ना जीजा को साथ लाने के लिए तो उनका जीजा भी तैयार है जाने के लिए!"

देवरानी: पहले उसकी बहन को पत्नी तो बना लो बाद में उसे साला बनाना।

बलदेव लेट जाता है और अपनी माँ को अपने पास खीचता हैं ... और उसके बालो में हाथ लगा कर बोलता है ।

बलदेव: तुम साथ देती रहो मैं राज्य का महाराजा बनूँगा और तुम मेरी महारानी बनोगी।

बलदेव अपनी माँ के चेहरे को अपनी तरफ झुकाए जा रहा था।



[Image: run1.gif]
तभी देवरानी झट से उठती है और भाग कर बाहर जाने लगती है।

"माँ रुको तो!"

बलदेव ( मन में  "अगर हाथ आ गई ना मेरी प्यारी देवरानी तो ये तरबूज़ो को फोड़ दूँगा")

देवरानी के भागने से उसके बड़े नितम्ब खूब हिल रहे थे।

देवरानी: शहहह धीरे! घर में सब हैं...

ये कह कर देवरानी बाहर चली जाती है।

कहानी जारी रहेगी
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09-03-2023, 09:01 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 51 A

मायके चलने का अनुरोध


देवरानी अपने भाई का पत्र कमला से ले कर पढ़ती है और खुशी से उसकी आंखो में आसू आ जाते है

"कमला मेरे भाई का पत्र है, मेरे भैया देवराज का! "

"क्या बात कर रही हो! महारानी! क्या लिखा है आपके भाई ने? "

तभी स्नानागार से बलदेव चुपके से निकल कर दबे पाव बाहर जाने लगता है। अभी हुई घटना से शर्मा जो गया था बलदेव।


[Image: walkaway.gif]

"बलदेव बेटा  जा रहे हो?"

" मां मैं आता हूं। "

"बेटा तुम्हारे मामा का पत्र है उसने मुझे मेरे मायके पारस बुलाया है। "

देवरानी खुशी के मारे एक सांस में पूरी बात बोल देती है।


[Image: happy.gif]

बलदेव देवरानी की आँखों में आसु देख और उसके चेहरे पर ख़ुशी देख रुक जाता है। फिर थोड़ा हिचकिचाते हुए कमला और देवरानी के पास आता है।

कमला: आर्य युवराज तुम तो ऐसे मुंह छुपा रहे हो जैसे कमला जानती हो ना हो के तुम दोनो माँ बेटे में क्या धक्कम पेली चालू है।

बलदेव:चुप करो कमला शब्दो को संभाल कर उसका इश्तमाल करना सीखो।

देवरानी कमला के मुँह से धक्कमपेली सुन के शर्मा जाती है।


[Image: blush.gif]
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"बलदेव ! जाने दो ना क्यू गुस्सा होते हो कमला पर । इसके मुँह में जो आता है बक देती है।"

"हम्म माँ! "

"बेटा मैं बहुत खुश हूं जिसका 18 वर्ष से प्रतीक्षा की वो घड़ी आ गई है मुझे मेरा राज्य जो मेरा जन्म स्थान है वहां जाने का सौभाग्य प्राप्त होने वाला है। "

"मां आप को इतना खुश देख कर मुझे भी बहुत खुशी हो रही है। लगता है भगवान ने आपकी प्रार्थना सुन ली है।"

कमला: भगवान तो अब महारानी के ही सुनते हैं। जो मांग रही हैं वो सब मिल रहा है आज कल।

"महारानी आपके लिए मैं भी खुश हूं आप अपने देश जाओ और खूब घूम आओ। "



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"मां और क्या लिखा है मामा देवराज ने पत्र में। "

"उन्हें कहा है कि जीजा जी को प्रणाम कह दू और उनको भी साथ लें आओ !"

देवरानी ये कह कर थोड़ा मायुस हो जाती है।

कमला:अरे ! अब काहे मायुस हो रही हो महरानी?

देवरानी: कमला वो।

कमला: अरे समधी है देवराज मामा का प्रणाम बलदेव को कह दो ! क्यू के असल जीजा जी तो देवराज जी के यही है । राजपाल तो नाम के ही है।


[Image: KMLA.jpg]
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ये कह कर हस्ते हुए बलदेव को देख कमला कहती है।

"क्यू सही कहा ना देवराज के जीजा जी? "

बलदेव झट से कमला को पकड़ने के लिए झपटता है।गुस्से में कहता है।

"कमला तुम्हारा प्राण ले लेंगे हम! "

कमला अपना जान बचाए जल्दबाजी में भाग जाती है।

दोनों को ऐसे चूहा बिली की तरह लड़ते देख देवरानी मुस्कुरा रही थी और सोचती है।

"कमला ने सही तो कहा है देवराज का जीजा तो बलदेव ने कहा है राजपाल तो नाम का ही है।"



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और खुद अपनी सोच पर झेप जाती है।

"बलदेव तुम कहा जा रहे हो। कमला के पीछे! छोड़ो उसको! वो मुंहफट है और उसकी ज़बान ख़राब है। "

बलदेव अपनी माँ की बात सुन कर रुक जाता है।

"मां मैं उसे छोड़ूंगा नहीं। "

"बलदेव बेटा ये बात याद रखना आज हमारे मिलन या प्रेम का श्रेय अगर किसी को जाता है तो वो कामला ही है। "

"हां मां इस बात को भली चंगी तरह से जानता हूं इसलिए तो कमला को हमेशा माफ़ कर देता हूं।"

"हां कमला बहुत अच्छे दिल की है। बेटा! "

"वो सब छोड़ो ! आप बताओ आगे क्या करना है? पारस कब जाना है? "


[Image: bal1.jpg]

"बेटा अभी भी शत्रु के आक्रमण का डर है और तुम्हारे मामा देवराज ने तुम्हारे पिता राजपाल को भी निमंत्रण भेजा है।"

"तो क्या करना है माँ? हम चलते हैं पिता जी से बात कर के!"

"बेटा ये इतना आसान नहीं है, ऐसे समय में अपने राष्ट्र को छोड़ना सही नहीं होता है, पर फिर भी हम राजपाल से पूछेंगे कि क्या किया जा सकता है? "

दोनों पत्र को ले कर राजपाल के कक्ष की ओर जाते हैं जहां राजपाल बैठा है अपने सेनापति से बात कर रहा है।

बलदेव:पिता जी!

राजपाल: आओ पुत्र कहो क्या बात है?


[Image: 51ghoonghat2.webp]

बलदेव: क्या आप व्यस्त हैं? वो माता देवरानी बाहर खड़ी हैं आपसे कुछ बात करना चाहती हैं।

राजपाल: सेनापति तुम जाओ ! और मैंने जैसा कहा है सैनिकों द्वारा वैसे दो नियमो का पालन हो!

सेनापति: जो आज्ञा महाराज!

सेनापति अपना हाथ जोड़ कर झुक कर आज्ञा ले कर कक्ष के बाहर दरवाजे के पीछे खड़ी देवरानी को देखते हुए बाहर चला जाता है।


[Image: 51ghoonghat1.gif]

सेनापति: (बूढ़ी हो गई है पर आज भी मुंह छुपाती है देवरानी "अपने मन में फुसफुसाता है। )

ये बात बलदेव अपने तेज कान से सुन लेता है।

बलदेव अपने पिता के सामने खड़े हो कर पुकारता है ।

"मां आजाओ अंदर सेनापति चला गया! "

देवरानी दरवाजे की आड़ से बाहर आती है और जो परदा उसने सेनापति को देख कर लीया था उसे उठा लेती है।


[Image: 51ghoonghat.webp]

देवरानी एक अंदाज़ से मुस्कुराती हुई अंदर प्रवेश करती है ।

बलदेव;( मन में- गधे सेनापति अच्छा हुआ तूने परदा के उठने के बाद का दृश्य नहीं देखा । नहीं तो देवरानी की जवानी की गर्मी से जल कर राख हो जाता ! मेरी मां तो अब जा कर जवान हुई है इसे मैं अभी और जवान करूंगा।

कहानी जारी रहेगी
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09-03-2023, 09:03 AM,
RE: महारानी देवरानी
महारानी देवरानी


अपडेट 51 B

मायके चलने का अनुरोध

सेनापति: (बूढ़ी हो गई है पर आज भी मुंह छुपाती है देवरानी "अपने मन में फुसफुसाता है। )

ये बात बलदेव अपने तेज कान से सुन लेता है।

बलदेव अपने पिता के सामने खड़े हो कर पुकारता है ।

"मां आजाओ अंदर सेनापति चला गया! "

देवरानी दरवाजे की आड़ से बाहर आती है और जो परदा उसने सेनापति को देख कर लीया था उसे उठा लेती है।


[Image: 51ghoonghat.webp]

देवरानी एक अंदाज़ से मुस्कुराती हुई अंदर प्रवेश करती है ।

बलदेव;( मन में- गधे सेनापति अच्छा हुआ तूने परदा के उठने के बाद का दृश्य नहीं देखा । नहीं तो देवरानी की जवानी की गर्मी से जल कर राख हो जाता ! मेरी मां तो अब जा कर जवान हुई है इसे मैं अभी और जवान करूंगा।

"महाराज देवराज भैया का पारस से पत्र आया है। "

राजपाल अपने आसन से उठ खड़ा होता है।


[Image: RAJPAL1.jpg]

"अच्छा साले साहब ने क्या लिखा है पत्र में? "

देवरानी पत्र खोल कर -"आपको प्रणाम कहा है और मेरे साथ आपको पारस आने का निमंत्रण दिया है।"

"देवरानी तुम्हें तो पता है ना मैं पिछले 18 साल में पारस नहीं गया क्यू के हमारे शत्रु बहुत हैं।"

"महाराज पता है पर. आप ये पत्र पढ़ें"

राजपाल पत्र पढ़ कर-"हां इसमें तो उसने अनुरोध तो किया है मिलने के लिए पर ये पत्र शमशेरा के दूत से आया है। इसका तुम्हे कुछ मतलब समझ में आता हो देवरानी? "

"नहीं महाराज !"

"हम कह नहीं सकते पर सूत्रों से पता चला है के पारस पर अब शमशेरा के पिता सुल्तान मीर वाहिद का राज है और उनकी नज़र में कुबेरी का खजाना है। "
"महाराज इस से तो वो राजा रतन सिंह का दुश्मन हो जाएगा ।"

"देवरानी पूरी दुनिया राजा रतन और मेरी मित्रता से परिचित है। संभावना है कि कुबेरी को प्राप्त करने के लिए हमरे घटराष्ट्र पर भी आक्रमण किया जा सकता है।"

परन्तु महाराज मुझे वर्ष हो गए मेरे परिवार से मिले । "

"देवरानी वो बात है अपनी जगह पर सही है कि शमशेरा हम पर हमला करेगा या नहीं हमे नहीं पता , पर दिल्ली के बादशाह शाहजेब ने तो तयारी भी शुरू कर दी है घाटराष्ट्र और कुबेरी पर हमला करने के लिए और कुछ सैनिक इस ओर आ रहे हैं। "

"ऐसे समय में देवरानी हमारा जाना खतरे से खाली नहीं होगा हमारे राष्ट्र पर कभी भी कोई आक्रमण कर सकता है और अगर हम पश्चिम की ओर जाते हैं तो इस हमले की सम्भावना बढ़ जायेगी । "


[Image: RANI-BALDEV.jpg]
20 die


ये सब बात सुन कर देवरानी का खुश चेहरा मुर्झा जाता है और अपने पास बलदेव और उसका साथ अपने पास महसुस कर उससे भी आज रहा नहीं जाता।

"महाराज आपने पिछले मुझे 18 वर्ष से हमले के डर के कारण ही मेरे परिवार से दूर रखा है और आज भी…"

गुस्से में ये शब्द देवरानी के मुँह से फूट पड़ते है।

राजपाल अपना दया हाथ देवरानी को मारने के लिए उठाता है।

राजपाल: देवरानी अपनी मर्यादा में रहो, हम से ऊंची स्वर में बात करने का परिणाम जानती हो !

"बलदेव पुत्र अपनी माँ से कहो हम से तर्क वितरक ना करे नहीं तो हम से बुरा कोई नहीं होगा!"

देवरानी के ऊपर जैसे वह राजपाल हाथ ऊँचा कर उसे डांटता है वो उसका दुख से गला भर जाता है और उसकी आंखों में आंसू गिर जाते हैं।



[Image: CRY2.gif]
freaky dice game

"महाराज आपने हाथ उठाया है तो मार लो मैं मना नहीं करूंगी!"

"मां होश में आओ हम इस पर कुछ सोचेंगे!"

"चुप कर तू मेरे पिता ने कभी मेरे ऊपर हाथ नहीं उठाया, ना कभी पहले गुस्सा हुए । कभी मैं रानी थी पारस की। पर यहाँ आ कर बस नौकरानी बना दी गयी । मेरी चाहत के बारे में कोई नहीं सोचता! "

"चुप हो जाओ देवरानी तुम्हारा दिमाग तो ठिकाने पर है ना। "

देवरानी रोती हुई बोली -"नहीं होना चुप मुझे! मैं बहुत चुप रह ली । जब तुम रजाओ में इतना दम नहीं होता, जब सबकी इच्छा का सम्मान नहीं कर सकते, तो 10 विवाह क्यू करते हो ? "

"देवराआआआआआआआआआआआअनी! अगर मेरे हाथ में तलवार होती तो अभी मैं तुम्हारा सर धड से अलग कर देता! "

"बलदेव इस पागल को ले जाओ यहां से इसको बुढ़ापे के साथ इसका दिमाग भी काम करना बंद हो गया है ।" ले जाओ इसे बलदेव ! नहीं तो मैं धक्के मार कर भगाऊंगा इसे। "


[Image: CRY3.gif]
dice multiplayer


बलदेव:बस पिता जी!

देवरानी रोते हुए अब ज़मीन पर नीचे बैठने लगती है।

बलदेव झट से अपनी माँ को अपनी बाहो में पकड़ लेता है।

"चलो माँ ! "

देवरानी सिसकते हुए बलदेव के कंधों पर अपना सर रखती है और बलदेव देवरानी को उसके कक्ष में ले जाता है।

राजपाल वापस आसन पर बैठ कर-"आआआहहहह देवराअअअअअअणि " और एक जोरदार चीख से साथ अपने हाथ गद्दे पर मारता है और अपने गुस्से पर काबू करने का प्रयास करता है ।

बलदेव इधर अपनी मां को ला कर बिस्तर पर बैठाता है फिर अपने हाथो पर थोड़ा गुलाब जल ले कर मां का चेहरा जो आंसू से भरा था उसे धोता है और फिर कपड़े से पूंछता है।


[Image: crying-kajal.gif]

बलदेव: माँ रोना बंद करो!

देवरानी: तुमने सुना ना कैसे मुझे अपमानित कर के भगाया उसने!

बलदेव अपनी माँ की आँखों पर हाथ फेरते हुए कहता है -"रोते नहीं मेरी रानी चुप हो जाओ! "

"अगर तुम सच में मेरे साथ प्रेम करती हो तो चुप हो जाओ, अब मैं नहीं कहूँगा चुप हो जाऊँगा ।"

ये सुन कर देवरानी बलदेव से गले लग जाती है और थोड़ी देर आखे बंद कर दोनों एक दूसरे के दिल की धड़कन सुनते रहते हैं।



[Image: EMBRACE.gif]
कुछ देर बाद बलदेव चुप्पी तोड़ता है।

बलदेव: माँ तुम चिंता मत करो तुम्हारे हर अपमान का बदला लिया जाएगा।

देवरानी:मुझसे अब और सहन नहीं होता! बलदेव बहुत सह लीया ! देखा ना तुमने कैसे बात कर रहा था । वो मुझसे कह रहा है "इसे भगा दूंगा! " सृष्टि को आप कहता हैं "उनको" कहता है। जैसे वो बहुत बुद्धिमान हो।

बलदेव: आपको सम्मान राजपाल जैसे व्यक्ति से लेने की जरूरत नहीं, मैं आपका सम्मान करता हूं । एक दिन आपका हर कोई सम्मान करेगा। किसी की भी हिम्मत नहीं होगी वो आपको "तुम" कह दे। इसको, उसको उनको नहीं कहेगा । और अपमान करना तो बहुत दूर की बात है बस आप थोड़ा धैर्य रखो ।


[Image: bal-dev01.jpg]

देवरानी: बलदेव अब क्या करे हम?

बलदेव: माँ आप आराम करो! मैं कुछ सोचता हूं और प्रयास करता हूं। दोपहर के भोजन के बाद मैं राजपाल और सृष्टि दोनों से मिलूंगा ।

दोपहर के भोजन पर देवरानी और बलदेव गुमसुम हो भोजन कर के उठ जाते है और बलदेव कुछ सोच कर अपने पिता के कक्ष में जाता है।

बलदेव:पिता जी!

राजपाल: आओ बलदेव!

थोड़ा धीरे से उठ कर कहता है।

"पिता जी बात ये है कि मेरे पास एक सुझाव है इस समस्या का। "

"क्या सुझाव है बलदेव! "

"देखिये आप के हिसाब से शत्रु आप पर आक्रमण कर सकता है पर शत्रु मुझे या माँ को तो नहीं जानता। "

"तुम्हारे कहने का अर्थ क्या है? "


[Image: baldev.jpg]

"यही पिता जी आप अगर नहीं जाते हैं पारस और माँ के साथ मैं जाऊं तो। "

"अभी तुम बालक हो मैंने ये पहले सोचा था कि पर शत्रु हम से कहीं ज्यादा शक्तिशाली है। वो तुम दोनों को अगवा भी कर सकते हो या तुम दोनों की प्राण भी ले सकते हैं । "

बलदेव (मन मैं - ये बालक अब इतना बड़ा हो गया है कि तुम्हारी पत्नी को संभाल सकता है और तुम्हारे हाथ में जब पत्नी मेरा बालक देगी तब देखूंगा क्या कहते हो। )

राजपाल:तुम्हारी बात पूरी हो गई हो तो जाओ अब सीमा पर और मैंने जो सेनापति को बताया था और देखो की उस पर कितना काम हो रहा है । हमारे देश की सुरक्षा का प्रबंध करो । जाओ दिन रात अपनी बूढ़ी मां की बातों पर दिमाग मत लगाओ।

बलदेव: जो आज्ञा पिता जी !


[Image: raja1a.jpg]

बलदेव अपना सर झुकाता है।

मन में : महाराज राजपाल तुमने अपनी कुल्हाडी खुद अपने पैरो और दिमाग पर मारी है और देवरानी और बूढ़ी! हाहा! सठिया तुम गए हो वो नहीं।


कहानी जारी रहेगी
Reply
09-03-2023, 09:07 AM,
RE: महारानी देवरानी
MAHARANI DEVRANI

Update 49




Baldev apne maa se milne k lye chal padta hai or uskse kaksha me ja kar dekhta hai parantu use devrani kahi dikhai nahi deti

"maa kaha ho "

devrani tayyar hokar rasoi ghar me aa jati hai ab tak or nashta tayyar krne lagi thi
jaise he uske kano me balde ka awaz padta hai
man me:ek pal chain nahi mere piya ko
"beta me rasoi me hu "
or apne kaam me lag jati hai
baldev bhagta hua rasoi ki traf ata hai 
[Image: CorruptVagueEnglishsetter-size_restricted.gif]

devrani khadi kaam kar rahi thi or uske har bar hilne se sur me uski badi gaand bhi hil rahi thi sur me apni maa k gaand ko dekh
"haay maa kab dogi mujhe inhe marne ise pelne k lye me taras raha hu or tum ab tak mujhe masalne bhi nahi di"
devrani aahat sun k
"aajao baldev waha q khade ho"
man me:mere gand ko he ghurta rahega ya..
"maa aaj bhut mehak rahi ho aap kya baat hai"

"sach me baldev "

"haan maa kaun se sabun se nahai ho"

or baldev devrani k kareeb jata hai
"ye tumhare pyar ki khuhsbu hai baldev tumne he to mera ang ang mahkayahai"
baldev devrani se chipak jata hai

"jhutti kahi ki tumhara badan to pehle se chandan sa mehak hai"
[Image: tumblr_o8u4ryehb21vtoo9oo1_400.gifv]

devrani k kamar ko pakad kar k ghumata hua apne se jakad leta hai to uske pallu niche gir jate hai jis se bade vaksha samne dikhai dene lagte hai baldev achanak uspar apne hoth rkh kar chum leta hai or devrani k kamar ko masalte hue uske badi gaand ko apne se chipka leta hai

"humm devrani q tadpati ho"

"ahhh raja zara aaram se mere raja subah subah he shuru ho gaye "
devrani apne doodh par baldev k hoth padte he sihar jati hai

"meri marzi mai kabhi bhi apne rani ko pyar karu"
"par abhi subah ka samay hai ghar pe sab hai"

"raat me to khub rang jamai thi or abhi dar rahi ho"
devrani apna pallu utha kar fir se apne bade vaksha ko dhak leti hai
"ha ha dekho kaise chhupa rahi ho "ye tumhare chhupane se chhupne wali nahi mahrani ji"

devrani lajja jati hai
"aha dekho kaise sharma rahi hai meri rani"

"baldev..."

"han maa "

"kabhi kabhi mazak se hat kar bar kar lya karo"
"kaho na maa q pareshan ho rahi ho aaj lagta hai kuch soch rahi ho kya chinta hai"

devrani apna muh gira k
"baldev raat me tum faste faste bache or aaj subah me mai fas gayi"

"wo kaise"
"beta wo kal tumne apna pani chhor kar dhoti kharab kar di thi jise kamla dhone le gayi or shurushti ne dekh lya"

"maa to kya samajh jayegi wo is baat se"

"beta tum nahi samajhte wo kitni shatir hai wo samajh gayi hogi k virya purush ka hai or wo mere par nazar rakhne lagegi"

"maa to tumne wo vastra kamla ko q le jane dya bahar "

"beta me kya karti tumhare raat bhar masti ki subah ang ang toot raha tha to "

"bass bass humara kuch nahi kar sakte ye aap nischint rahe or ye shurushti ko apke upar sab atyachar ka uttar dena hog"

devrani ab ja kar thoda chinta se bahar aati hai
baldev mahaul badalne k lye

"waise maa kal tumne bada jaldi vastra badal kar aagayi thi "
devrani muskurati hai

"waise sati savitri avtar me bhi tum kam kamuk nahi lagti ho meri pari"

"chup kar badmash,sab hum par shaq kar rahe hai or tu mujhe rasoi k bahar khada nihar raha tha koi dekh leta to"

baldev devrani k pairo k niche baith te hue
"devrani ye tumhare pahad jaise chutar mere neend chain uda dye hai"

"chi gande kahi k "
"maa mai inhe daboch kar khub masalna chahta hu meri rani par tum nahi aage badhne deti mujhe "
or baldev bache sa muh bana leta hai

baldev jhuk kar devrani k gaand k paas apna muh le ja kar use sungh kar aankh band kye tha
"ohh mera raja raat me he to tumne uspe apna wo ragad k uspe paani bhi gira dya tha"

"maa mujhe in pahado ko khod dena hai aaj "

"raja tum is pahad k malik ho anumati kaisi"
[Image: OfficialAmbitiousArmyworm-size_restricted.gif]

baldev niche se apne bade hatho ko maa k dono chutar k kareeb laata hai masti me or devrani apna chutar halka ghumati ha
"maa mai is pahad k gufa me ghumna chahta hu"
"ye gufa bhut chhota hai beta kaise ghumoge"
"maa apne ghode ko ghumaunga"
"par andar andhera hai ghoda dar nahi jaye gehrai dekh k"
"mera ghoda iski gehrai k jad tak naap dega maa"


baldev apna hath uske chutar par rakh sahla deta hai
"aaaah beta uhhh aaaaaah baldev"
"uff maa kitne mulayam chutar hai kitne makhmali hai ye doodh se bhi chikna or gaddedar"
or baldev uske kamar par chumban de deta hai
"aaaaah baldev jaaan loge meri"
baldev ab halka sa haath ferte hue dono hatho se uske chutar ko sehla raha tha


"aaah maa in chutar ne mere dil k kai tukde kye hai inse to me badla lunga"

"aaah baldev jaan he le loge kya inka "

"maa is chutar ne meri saanse rok di hai kai baar"
devrani apne chutar ko sahlane bhar se uttezit ho jati hai or baldev ko paas he bistar par gira deti hai

"aaah baldev itna pasand hai mere ye tumko"
"haan maa bhut pasand umm kya mulayam hai"
"ahh baldev"
"maa tum in pahado ko le kar chal kaise pato ho bhari nahi lagta ?"

"uff hatt badmash "
devrani rus jati hai or khadi ho jati hai

"ary meri raani bura man gayi"

"maa tumhare jaise chutar dunya me nahi kisi k"

"chal jhutha "

"maa tumhe premika bana k me dhani ho gaya "
devrani smjh jati hai baldev man baana lya hai aaj masti ka
"wo to hu me paras ki sab se sundar rani thi me kisi zamane me"

"maa aap ab bhi sabse sundar ho jab tum chalti ho to ye dono chutar is tarah se sur me upar niche hote hai k jaise jhagad rahe ho aapas me"

"haan islye tu ghurta rehta hai inhe"

baldev uth kar khada hota hai
"maa ek baar chal k dikhao na"

"q baba ab tumhe me chal k q dikhau tumhari patni nahi hu me "

"maa ek bar chalo na do kadam mujhe is bade manmoh lene wale chutar ki thirkan dekhni hai "


devrani ye baat sun kar sharm or uttezna se bhar kar ek baar baldev k aakho me dekh k
sochti hai" ye to apne baap se 10 kadam aage hai abhi se iske apeksha itni hai aage ye kya karega jab abhi ye din dahare pelne pe tula hai"

"maa ek bar hilao na inhe"
"theek hai to dekho ab tum inka kamal"
[Image: b6717d400813b17465a2dd5bbbe0352b.gif]

devrani apna pallu sidha kar k apne gaand ko bade andaz se gol gol ghumane lagti hai or uski thirkan baldev dekhte reh jata hai

"maa mai to bhul he gaya tha k tum nirtya kala me mahir ho or tumhare ye chutar aah"

baldev jhat se devrani ko apne baho me 
[Image: BigMarvelousAustralianshelduck-size_restricted.gif]

bhar leta hai or uske hotho ko chumne lagta hai fir uske kamar me hath laga k nabhi ko bhi chumne lagta hai
"aaah baldev uhhh aaaah"

"umaaa gallpppp galppp maa meri jaan"
baldev devrani ko ab apne baaho me samet leta hai " maa tumhare ye chutar ko khub maslu"
"masal do beta ye chutar kai varsho se tadpi hai ek majbut hath k lye ispe tumhara he haq hai"
"uff maa tumhare gaand"ek zor ka chapat devrani k ek gand par marta hai
devrani ka dono pat hil jata hai
[Image: DependentFlashyGermanshorthairedpointer-...ricted.gif]

"hey bhagwan...uh beta aaramse"
baldev ab apna land jo khada ho chuka tha devrani k chut par ragadta hai
"baldev tum kitne gande ho gaye ho tumne abhi mere chutar ko kya kaha"
"maa maine inhe gaand kaha tumhare nitamb ko"
"ye bhasa koi bhala koi apne maa k sath prayog karta hai"uhh aaaah
"han ye to nitamb nahi ye gaand he hai,or zoro se dono hatho ko le ja kar devrani k unnat nitamb ko masalne lagta hai"

"aaaah maaaa kya bade hai ye uff"
[Image: ImpassionedHomelyGlassfrog-size_restricted.gif]

"aaaah baldev nahi naa baldev nishan pad jayenge uff nahi baldev aaaahhh mere raja"
"ohh maaa nishan kya mai in tarboozo ko tod dunga"
"bada aya todne wala uhhh aaahhh balde.."
devrani ab apna chut baldev k land par sahlane lagti hai or uske sar ko pakad kar baldev k baal kheechti hai
"uhhh aaaah baldev bass aaaah"
"itni jaldi thak gayi meri raani kya hua badi mahrani banti thi thakk gayii"
umm or khub masalme lagta hai baldev

"beta aisa kabhi tere baap ne nahi masla jaisa uhhh aaaah maaa uhhh aaaah jaisa tu masal haaaaa aaaaah rha hai"

"pita ji ko iski mulya ka andaza nahi hai unhe nahi para aise nitamb or tum jaisi maal diya le kar dhundne se nahi milegi"
"uhh maaa kya gadedar gaand hai aapke"
"aaah kha jao fir inhe itna he pasand hai to uhbh hey bhagwan me mar gayi aaaah meree raaaja oh"
"baldev meri raaani tere gaand k darar me apna jhanda gaad dunga "
devrani sharma kar apna muh chhupa leti hai
man me:mere raja tumne mere dill me apna jhanda gaad dya hai ab tum kahi bhi jhanda gaad do me mana nahi karungi
"maa mai tumse bhut pyar karta hu"
"beta me bhi tumse apne aaap se zyada par karti hu kabhi dhoka mat dena "
baldev devrani ko zor se kaste hue
"kabhi nahi maa tum meri mahrani banogi"
or ek hath apna pure chutar ko pakad kar
[Image: HeartfeltWelloffBlackbear-size_restricted.gif]

masalte rehta hai uff maa kya maal ho tum
devrani man me:kamla sahi kehti thi k mere itne bade nitamb kisi k hath me aayenge wo baldev ka hath he hai"

"aaah mere raja "

devrani ki gaand ko daba daba k bhurji kar deta hai baldev or use ek dard k sath alag he sukh ki prapti hoti hai

"baldev bass mere raja ab or nahi"

baldev apna muh gira leta hai
"maa tum "
"lo ab muj gira lya abhi zyada thak gayi to din bhar kaam nahi kar paungi"
baldev uske chutar chhor deta hai

"maa tumhe mera kal tumhara vastra kharab nahi karna chahiye tha"

"ary beta aisa q sochte ho tum "

"wo mere wajah se..or tumhe acha bhi nahi laga"

"pagal mere raja mujhe bhut sukh mila kal or tumhare har ek ang se mujhe pyar hai agar mujhe bura lagta to kya me tumhara virya chakhti"
or sharma kar apna sar niche kar leti hai apne pair se zamee khuredne lagti hai

"maa mere lye tum itna karti ho bolo tumhe mujhse kya chahiye"
"beta bass ek stree ko pyar k alawa kuch nahi chahiye tum ek sache premi ki trah rahna or ye bhagwan k samne pratigya lo k tum mera hamesha sath doge mere sath kabhi chhal nahi karoge "

Baldev maa ki baat sun kar "maa mai baldev yani k ghatrashtra ka maharaj apne rani devrani k samne bhagwan ko sakshi maan kar ye pratigya leta hu k tumhara saath jeevan bhar dunga kabhi dhoka nahi dunga"

baldev or devrani dono hath jod kar devrani k kaksha me bane mandir k samne apna matha tekte hai thoda udas hui devrani k peeche lag kar
[Image: UnlawfulApprehensiveArrowcrab-max-1mb.gif]

"maa aakhir tumne mujhe bandhan se baandh he dya"

"nahi to kya me koi khelne ki cheez nahi jo aaj mere shareer se khel lo or kal kisi or k sath rangrasiya manao sab rajao ka yahi kam hai"

"par maa me tumhare siwa na dekha hu kisi ko na dekhunga or acha hua ye pratigya se kal ho kar agar mera dill beiman hone ka socha to bhi chah kar paap nahi kar payega"

"jis din tumhara dill beiman hua na baldev us din usko cheer k nikal dungi haan"
"ary meri sherni to krodhit ho gayi "

"me baldev apna sab kuch chhor kar sab dav per laga dya hai tumhare lye karma,dharm,niyam ko bhul apne pati ko chhor puri dunya se ladne k lye tayyar hu ab agar tum kuch galat karoge to me bardasht nahi kar sakti ab mujhe sirf tumhara sath chahiye"

"itna pyar karti ho devrani"

"hadd se zyada "

"maa me apne pratigya todne se pehle apni jaan dena pasand karunga"
devrani ye sun kar baldev k hotho par apne hath rakh deti hai
"dubara aisa nahi kahna mere raja tumhe kuch ho gaya to me ek pal nahi jee paungi"

or dono gale lag jate hai...

CONTINUED
Reply
09-03-2023, 09:09 AM,
RE: महारानी देवरानी
Update 50


Dono maa bete ek dusre k baaho me khoye the subah subah dunya se bekhabar

"maa tumhe darne or ghabrane ki katayi aawshyakt nahi hai me tumhare sath kabhi dhoka nahi karunga"
"mujhe tumhare prem per purna vishwas hai mere bharose ko kabhi mat tootne dena baldev"devrani apne tapte hue hoth baldev k hotho
[Image: tumblr_oshz94ubRF1tlqk9xo1_r1_500.gifv]

par lagati hai or baldev apni maa rani k hotho ko apne dono hotho k beech le leta hai "aah maaa"
dono ek lambi chumban karte rehte hai jab tak un dono k saaans na ful jate hai

"maa kya hua saanse full gayi"

devrani man me:tujhe mauqa de di to tu to pet fula dega saaans kya

"han mere raja tu aise chusta hai apne maa k hoth lagta hai tu kaat lega mere hotho ko jad se"
devrani thoda nakhra karte hue door jati hai

"maa kaha ja rahi ho"

devrani apne pallu sambhalte hue
"yahi hu mere laal"

"maa tumne apne kharbooze jaisi nitamb ka haq de dya par meri pasandida papito ka nazara nahi karwaya hai"

"chal hatt bada aya me teri patni nahi jo roz roz nayi mang karta hai"

"nahi ho to ban jao na maa kisne roka hai"
devrani sharm se paani paani ho jati hai

"tujhe bhagwan ka dar nahi mandir hai samne bhagwan tujhe dekh rahe hai"

"bhagwan is baat ka sakshi hai k me tum se kitna prem karta hu or tumhe tumhari andhyari jeevan se nikal kar kitna khush kar raha hu"

"par mere raja beta bhagwan ne to kaha ye paap hai koi beta apne maa se vivah.."shar se laal ho jati hai

"maa agar maa ko khush rakhna jo saalo saal ayyash raja ki naam ki patni rah kar apne aatma ko dukh deti rahi ,agar aise stree ko khush karna paap hai to mujhe ye paap or karna hai"

"tumhare paas har prashn ka uttar hai"

"tum ek prashn ho maa jiska uttar mere paas hai wo dedh futiya rajpal nahi de paya tum jaisi prashn ka uttar"

devrani ye sun kar khush ho jati hai
"dekhungi uttar kya milta hai wo to waqt he batayega raja"

"maa tumhare bade bade ye gend ko pallu se hatao na iske har ek bar hilne se mera dill ruk jata hai dhadkna "

devrani sharmati hui " acha mere raja "
[Image: video2gif_20190328_081228.gif]

devrani apne saree ka pallu utarti hai ek andaz se or apne bade vaksha baldev ko ghurte hue dikhati hai
"maa kya sundar or bade vaksha hai aapke"

sharmate hue
"aise sab k hote hai mere raja "

"nahi hote hai me pure ghatrashtra me itne bade vaksha or aap k jitne bade nitamb nahi dekha"
baldev ab tahalta hua devrani k paas pahuch jata hai or usko pakar kar apne aage se chipka leta hai

"aaj meri roop ki raani"
"aah beta"
baldev devrani ko apne khade land se gaand k darar me fasata hai or uske kandho par chumta hai
[Image: video2gif_20190113_090512.gif]

"aaah maaa kya bhari puri maal ho"
"tumhare haath kitne mardana hai aise mazbuti tumhare pita me bhi nahi thi"

"hmm meri raani"
"baldev tum sab streeio k shareer par nazar rakhte ho"
"nahi maa tumhare siwa kisi ko dekhne ka dill nahi karta"
"to fir kaise kaha tumne k sabse bade mere hai"
"aaah hey bhagwandheere"
"ary meri maa me kisi ko ghurta nahi hu waisi nazar se jaisi nazar se tumko dekhta hu par samne stree rahegi to dikh he jayega"

"agar tumne kisi or ko ghura bhi to jaan le lungi"
"ghurna kya meri rani keh de to me aakho par patti band kar kisi bhi stree se baat karunga"

is baat par devrani khil khila k has deti hai or baldev devrani ko baho me bhare paas me bistar par le kar baith jata hai uske gardn par chumte hue


apne goad me lye baitha baldev devrani k gehri ghati ka nazara kar raha tha
"maa mujhe in gehri ghati me bhi apna ghoda daudana hai"
"aaah uhh beta dauda lena"or baldev ko sehlane lagti hai
baldev ab devrani ko seedha kar gale lag jata hai

"maa tum laakho me ek ho"
"baldev tumhare jaisa balisht shareer ka purush maine bhi kahi nahi dekha"

baldev devrani k peeth ko ek hath se dusre hath se uske kamar k maans ko dabochte hue maze se masal raha tha

"maharani" o maharani"
kamla ki awaz thi wo devrani k kaksha me pravesh kar li thi or baldev ko dekhti hai k devrani k kamar ko khub zor se pakde masal raha hai

Kamla:man me )dekho kaise apne kamar or peeth ko masal raha hai jaise dharm patni ho or darwaza khol k wo bhi

kamla:maharani
darwaza k paas he khadi ho jati hai or andar ka nazara dekh kar dang thi

devrani k kan me ab sunai padti hai
"baldev ye kamla bula rahi hai kya "
"maa uhhm aise he raho"
"mere raja tumne darwaza lagaya tha"
"nahi maa "or achanak se usko dhayan ata hai
baldev jhat se dekhta hai aakh khulte he samne darwaze per kamla khadi nazar aati hai wo samajh jata hai k kamla k peeth or kamar ko masalte dekh li kamla ne

kamla apne hotho par ek kamuk muskan k sath khadi thi
Baldev hadbada kar uth k khada hota hai
"maa me peshab kar k aata hu or snan ghar me ghus jata ha"
kamla muskurate hue aati hai or devrani k paas aakar "kya nai naveli dulhan ki tarah subah sham nahi dekhti ho darwaza khol chalu ho jati ho"
[Image: MediumDamagedChrysalis-size_restricted.gif]

devrani baldev ko jate hu dekh apne asth vyasth saree ko pakar k "aao na kamla" sharma jati or apne saree ko theek karte hue seedha baithne lagti hai
kamla man me:kaise masal masal k halat kar diya baldev ne mahrani ki..

apne asth vyasth kapdo ko smbha devrani baith jati hai muskurati hai
"nayi naveli ki baat nahi wo bass me sochti thi k baldev ne laga dya hoga darwaza or khayal he nahi raha "

"akasar aisa hota hai behak jate hai log "

"me to kehti hu mahrani khub toot kar pyar karo or sach me tum bhut khili khili lag rahi ho"
"dhanyawad kamla meri behan"
"han ek samay tha jab tum dukh or soch me murjhayi rehti thi"

"han kamla sab mere raja beta Baldev ka ahsaan hai"

"wo to hai meri mahrani ji"
"waise tumhe aisi kya aavshyakta pad gayi jo humare beech me aa tapki"

"oho to ab me beech me aagayi dulha or dulhan k waise me nahi aati koi or ata to kya hota soch lo islye me sochi chali jau par nai gai k tum log thoda sachet raha karo or

"or kya kamla"

kamla ek hath me apne patra lye
"ye patra dya mujhe Paras k doot ne kaha shamshera ne bheja hai"

devrani shamshera samajh jati hai ye to wahi hai jo jasusi karne aya tha or uske bhai ka sandesh bhi dya tha
devrani jhat se wo patra khol k padhne lagti hai

Priya behan devrani
Me tumhara abhaga bhai devraj hu aasha karta hu k tum kushal mangal ho me ye patra shamshera k doot k madhyam se pahucha raha hu ,or mujhe shamshera ne he bataya k meri behan devrani kitna apne parivar apne bhai se milne k lye tadap rahi hai or ek me hu jo varsho se apne behan ko dekha nahi,

mujhe kshama kar do devrani meri behan tumhe mayke aane ka saubhagya prapt nahi hua hamare yudha se or pita ji bhi ab nahi rahe par unke badle me hu tumhara pita or tumhar bhai dono
kripa kar k tum hamare yaha paras aao hum tumhare sewa karna chahte hai or han apne pati yani mere jeeja ji Rajpal ko pranam kahna or unhe bhi sath le kar aana ,me apne behan or jeeja se milne k lye vyakul hu

pratiksha karunga me apni behan ki

Tumhara bhai
Devraj
To be continued..
Reply


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